आजाद सिपाही संवाददाता
नयी दिल्ली। सत्ता का सेमीफाइनल कहे जानेवाले पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में चार राज्यों के परिणाम रविवार को घोषित कर दिये गये। यह सेमीफाइनल मुकाबला पूरी तरह एकतरफा रहा, क्योंकि हिंदी पट्टी के तीन राज्यों, मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भाजपा ने रिकॉर्डतोड़ जीत हासिल की, जबकि तेलंगाना में के चंद्रशेखर राव की भारत राष्ट्र समिति के हाथों से सत्ता छिन गयी है। राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भाजपा ने कांग्रेस से सत्ता छीनी है, जबकि मध्यप्रदेश में उसने अपनी सत्ता बचा ली है। तीन राज्यों में भाजपा की इस शानदार जीत के पीछे पीएम मोदी का चेहरा, उनकी गारंटी और उनके काम को पूरा श्रेय दिया जा रहा है। इस चुनाव परिणाम का लब्बो-लुआब यह रहा कि मध्यप्रदेश को छोड़ हर राज्य में सत्ता परिवर्तन हुआ है। इस परिणाम ने कम से कम छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के बारे में कराये गये एग्जिट पोल की विश्वसनीयता को भी संदिग्ध बना दिया है।

मध्यप्रदेश में बहनों ने दिल खोल कर दी आशीष
मध्यप्रदेश में भाजपा ने उन तमाम पूवार्नुमानों को गलत साबित कर दिया है, जिनमें शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्ववाली सरकार के कारण उसकी पराजय का दावा किया जा रहा था। भाजपा एक बार फिर प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में वापसी कर चुकी है। चुनाव में भले ही केंद्रीय नेतृत्व ने शिवराज को चेहरा न बनाया हो, बावजूद इसके शिवराज ही केंद्र में नजर आये। 230 विधानसभा सीटों में से 160 सीटों पर उन्होंने ताबड़तोड़ रैलियां और सभाएं कीं। शिवराज सिंह चौहान की लाड़ली बहन योजना चुनाव में गेम चेंजर साबित हुई। इस बंपर जीत के पीछे महिला वोटरों की भूमिका बेहद अहम मानी जा रही है। लाड़ली बहन योजना ने चौहान की राजनीतिक किस्मत बदल कर रख दी है। योजना के तहत मध्यप्रदेश की 1.31 करोड़ महिलाओं को 1250 रुपये हर महीने दिये जा रहे हैं। एमपी की सात करोड़ आबादी में लाड़ली बहना योजना की लाभार्थियों ने शिवराज को भर-भर कर वोट दिया है। महिलाओं और लड़कियों के लिए शिवराज का नाम एक भरोसा था, इस पर उन्होंने यकीन किया।

राजस्थान में सनातनियों ने दिखायी ताकत
राजस्थान में हर पांच साल में सत्ता परिवर्तन का रिवाज हालांकि इस बार भी जारी रहा, लेकिन रजवाड़ों के इस प्रदेश में सनातन विरोध के कारण कांग्रेस की शर्मनाक हार हुई है। राजस्थान में कांग्रेस की हार को सनातन धर्म के विद्रोह का पाप बताया जा रहा है। जिस तरह चुनाव से पहले कांग्रेस टूलकिट के जरिये सनातन धर्म पर हमला कर रही थी, उसे अब उसके किये की सजा मिली है। कन्हैयालाल की हत्या से लेकर शोभायात्राओं पर पथराव और सांप्रदायिक तनावों ने राजस्थान के हिंदुओं को पूरी तरह भाजपा के पाले में कर दिया।

छत्तीसगढ़ में भाजपा को मिला आदिवासी समाज का साथ
छत्तीसगढ़ में भाजपा की ऐतिहासिक जीत के पीछे आदिवासी समाज का प्रचंड समर्थन है। राज्य के 35 फीसदी आदिवासियों ने इस बार एकजुट होकर भाजपा को वोट दिया, जिसके कारण पार्टी ने आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में शानदार वापसी की है। छत्तीसगढ़ के बारे में तमाम आकलन धराशायी हो गये। एग्जिट पोल की पोल खुल गयी। सभी बघेल की वापसी कर दावा कर रहे थे, लेकिन हुआ ठीक इसके उलट। भूपेश बघेल और कांग्रेस को यहां मुंह की खानी पड़ी है।

तेलंगाना ने बचायी कांग्रेस की इज्जत
देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस की इज्जत केवल तेलंगाना में बच सकी। राज्य की सत्ता में उसने वापसी की है, जबकि के चंद्रशेखर राव की भारत राष्ट्र समिति अब विपक्ष में बैठेगी। असदुद्दीन ओवैसी की एआइएमआइएम की स्थिति में भी कोई सुधार नहीं हुआ, जबकि भाजपा ने वहां अपनी राजनीतिक पकड़ मजबूत की है।

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