कोलकाता। पश्चिम बंगाल में महाधिवक्ता (एजी) का रिक्त पद मामलों की सुनवाई में बाधा बन रहा है। उक्त टिप्पणी कलकत्ता हाई कोर्ट ने सोमवार को की है। राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने जिस महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम के तहत 100 दिन के रोजगार योजना को लेकर बंगाल से दिल्ली तक आंदोलन किया है, उससे संबंधित मामले की सुनवाई नहीं हो पा रही है। कोर्ट ने कहा कि महाधिवक्ता का रिक्त पद इस योजना के कार्यान्वयन में कथित अनियमितताओं पर एक जनहित याचिका की सुनवाई में बाधा पैदा कर रहा है।
मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम ने पश्चिम बंगाल सरकार को इस संबंध में विकल्पों की व्यवस्था करने की भी सलाह दी है। गत दस नवंबर को राज्य के महाधिवक्ता एसएन मुखोपाध्याय के पद से इस्तीफा देने के बाद से एजी का पद खाली पड़ा है और राज्य सरकार ने अभी तक उनके प्रतिस्थापन की घोषणा नहीं की है। सोमवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता और सीपीआई (एम) के राज्यसभा सदस्य विकास रंजन भट्टाचार्य ने मनरेगा मुद्दे पर मुख्य न्यायाधीश का ध्यान आकर्षित करते हुए जनहित याचिका पर तत्काल सुनवाई की आवश्यकता पर जोर दिया। धन की कमी के कारण बड़ी संख्या में लोगों को अभी तक उनका वैध बकाया नहीं मिल पाया है। मनरेगा मुद्दे पर हाल ही में कलकत्ता उच्च न्यायालय में दो अलग-अलग जनहित याचिकाएं दायर की गई हैं।
पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी द्वारा दायर जनहित याचिका कई फर्जी जॉब कार्ड जारी करने के माध्यम से 100 दिवसीय योजना के कार्यान्वयन में घोर अनियमितताओं के मुद्दे पर है। अधिकारी की जनहित याचिका पर सुनवाई सोमवार को होनी थी। दूसरी जनहित याचिका कृषि श्रमिकों के एक संघ, पश्चिम बंगाल खेत मजदूर समिति द्वारा दायर की गई थी, इसमें 100 दिन की नौकरी योजना के तहत कृषि श्रमिकों को मजदूरी का भुगतान न करने का आरोप लगाया गया था।