गढ़वा। गढ़वा में एक अनोखी शादी आज चर्चा का विषय बनी हुई है। यह शादी बिहार के गया जिला में विष्णु पद मंदिर में गत 7 दिसंबर गुरुवार को संपन्न हुई। जिसमे शहर के प्रसिद्ध समाजसेवी स्व: कृत्यानंद श्रीवास्तव की विधवा पत्नी निरुपमा श्रीवास्तव का पुनर्विवाह उनके ससुराल व मयके पक्ष के प्रयास से संपन्न हुआ है। कृत्यानंद श्रीवास्तव की कोरोना की वजह से वर्ष 2021 में मृत्यु हो गयी थी। वे अपने पीछे पत्नी, मां और भाइयों को छोड़ कर गए थे। सामाजिक कार्यों में सदैव अग्रणी रहने वाले कृत्यानंद के परिवारजन विधवा की पुनर्विवाह करवा कर समाज में एक मिसाल कायम की है। गढ़वा में इस विवाह की चर्चा हो रही है। इस संबंध में लोगों का कहना है कि यदि इसी तरह ससुराल और मायके वाले सूझबूझ से काम लें तो किसी की जिंदगी अधूरी नही रहेगी। विदित हो कि कृत्यानंद श्रीवास्तव विषम परिस्थितियों में भी लोगों की मदद के लिए शुरू से ही संघर्ष करते रहे। जिसे भी रक्त की जरूरत होती थी तो कृत्यानंद हाजिर हो जाते थे। जरूरतमंदों के लिए रक्त उपलब्ध कराना उनका एकमात्र मकसद था। जीवनभर वह इसी काम में लगे रहे। रक्तदान के क्षेत्र में किये गये अपने कार्यो को लेकर उनको अनेक बार पुरस्कार भी मिला। वह खुद किडनी रोग से पीड़ित थे। बावजूद कभी हिम्मत नहीं हारी। रक्तदान कर लोगों की मदद करते रहे। बीमारी कभी आड़े नहीं आयी। उन्होंने ब्लड डोनर नामक एक व्हाटसएप ग्रुप बनाया था। इस ग्रुप में किसी जरूरतमंद को रक्त की जरूरत की सूचना मिलती थी तो वह तुरंत सक्रिय हो जाते थे। वहीं जी जान से उसके लिए रक्त उपलब्ध कराते थे। दिल्ली, मुंबई, बंगलुरू, रांची समेत देश के विभिन्न शहरों में रक्त उपलब्ध कराने के लिए उनके पास मैसेज आते थे। वह उन शहरों में रहने वाले अपने मित्रों से संपर्क कर उनके लिए रक्त की व्यवस्था करते थे। उन्होंने कई लोगों को रक्त उपलब्ध कराकर नई जिदगी दी है। मगर दूसरों को जिदगी देने वाला कोरोना के कारण खुद मौत की नींद सो गया। गढ़वा सदर अस्पताल परिसर में बेहतर समाजसेवी होने के नाते बड़े सम्मान के साथ उनकी प्रतिमा स्थापित की गयी है। जिसका अनावरण शहर के बुद्धिजीवियों की उपस्थिति में की गयी थी।