विशेष
क्षेत्रीय और जातीय संतुलन को शानदार तरीके से साधा है हेमंत सोरेन ने
गठबंधन के सहयोगियों के लिए भी आसान बना दिया मंत्रियों का चयन
सर्वश्रेष्ठ टीम की मदद से अब झारखंड को विकास के रास्ते पर ले जायेंगे

नमस्कार। आजाद सिपाही विशेष में आपका स्वागत है। मैं हूं राकेश सिंह।
झारखंड विधानसभा चुनाव में प्रचंड जीत हासिल कर लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री बने हेमंत सोरेन ने अपनी कैबिनेट का विस्तार कर दिया है। उन्होंने अपनी कैबिनेट में 11 मंत्रियों को शामिल किया है। इनमें से छह उनकी पार्टी झामुमो से हैं, जबकि चार कांग्रेस और एक राजद से हैं। जिन 11 विधायकों को मंत्री बनाया गया है, उनमें से छह नये चेहरे हैं। इनमें झामुमो के तीन, कांग्रेस को दो और राजद के एक मंत्री शामिल हैं। हेमंत सोरेन की यह टीम वास्तव में अनुभव और युवा जोश का शानदार मिश्रण तो है ही, साथ ही इसमें जातीय और क्षेत्रीय संतुलन की भी स्पष्ट झलक दिखायी दे रही है। इतना ही नहीं, मंत्रियों के चयन में हेमंत सोरेन ने अपने सहयोगी दलों की भी खूब मदद की है, जिसका असर दूरगामी होगा। यह कहा जा सकता है कि इस कैबिनेट विस्तार से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के राजनीतिक कौशल के साथ उनकी नेतृत्व क्षमता भी साफ तौर पर उभर कर सामने आयी है। इससे यह उम्मीद तो बंधी ही है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की यह टीम झारखंड को विकास के रास्ते पर लगातार आगे ले जायेगी।
क्षेत्रीय और जातीय दृष्टिकोण से बेहद संतुलित इस टीम से झारखंड को बहुत सी उम्मीदें हैं। क्या है हेमंत सोरेन कैबिनेट विस्तार के पीछे की रणनीति और किस तरह मुख्यमंत्री ने सहयोगी दलों के साथ मिल कर अपने मंत्रियों के चयन में हर पहलू को ध्यान में रखा, इसकी पूरी कहानी के साथ इस पूरी कवायद का क्या हो सकता है राजनीतिक असर, बता रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह।

विधानसभा चुनाव में प्रचंड जीत दर्ज करने के बाद लगातार दूसरी बार झारखंड के मुख्यमंत्री बने हेमंत सोरेन ने अपनी कैबिनेट का विस्तार करते हुए इसमें 11 मंत्रियों को शामिल किया है। इन मंत्रियों को गुरुवार को पद और गोपनीयता की शपथ दिलायी गयी। नयी सरकार में पांच मंत्रियों को रिपीट किया गया है, जबकि झामुमो और कांग्रेस ने अपने 50 प्रतिशत मंत्रियों को बदला है। राजद ने भी नये चेहरे को मंत्री बनाया है। इस कैबिनेट विस्तार की सबसे खास बात यह है कि राज्य गठन के बाद पहली बार अगड़ी जाति से किसी को मंत्री नहीं बनाया गया है। हालांकि दीपिका पांडेय सिंह मंत्री बनायी गयी हैं, जिनका मायका ब्राह्मण परिवार में है, लेकिन उनकी शादी ओबीसी परिवार में हुई है। इससे पहले एक या दो मंत्री हमेशा सवर्ण कोटे से बनते रहे हैं। हेमंत सोरेन की नयी टीम में झामुमो से छह, कांग्रेस से चार और राजद से एक विधायक मंत्री शामिल हैं।

झामुमो ने तीन मंत्रियों को रिपीट किया
नयी कैबिनेट में झामुमो ने तीन मंत्रियों को रिपीट किया है। चाइबासा से विधायक दीपक बिरुवा, घाटशिला से विधायक रामदास सोरेन और मधुपुर से विधायक हफीजुल हसन अंसारी इस बार भी मंत्री बने हैं।

तीनों हेमंत सोरेन की पिछली सरकार में मंत्री थे। पार्टी ने तीन नये चेहरों को मंत्री बनाया है। इनमें गिरिडीह से विधायक सुदिव्य कुमार सोनू, गोमिया से विधायक योगेंद्र प्रसाद और बिशुनपुर से विधायक चमरा लिंडा शामिल हैं। योगेंद्र कुर्मी/महतो समाज से आते हैं और हेमंत सोरेन के काफी करीब हैं। वहीं, सुदिव्य दो बार से गिरिडीह से चुनाव जीत रहे हैं। वह कल्पना सोरेन के करीबी हैं। दीपक बिरुवा झारखंड आंदोलन की उपज है। वहीं पूर्व सीएम चंपाई सोरेन के झामुमो छोड़ने पर रामदास सोरेन की किस्मत खुली थी। पार्टी ने कोल्हान में उनको अपना चेहरा बनाया और पिछली बार भी मंत्री बनाया था। इस बार भी उनको मंत्री बनाया गया है। रामदास ने चंपाई के बेटे बाबूलाल सोरेन को हराया है। चमरा लिंडा बिशुनपुर से लगातार चौथी बार विधायक बने हैं। उन्हें पहली बार मंत्री बनाया गया है।

कांग्रेस से दो पुराने और दो नये चेहरों को मौका
कांग्रेस कोटे से जामताड़ा विधायक इरफान अंसारी, महागामा विधायक दीपिका पांडेय सिंह, छत्तरपुर विधायक राधाकृष्ण किशोर और मांडर से विधायक शिल्पी नेहा तिर्की को मंत्री बनाया गया है। इरफान अंसारी हेमंत सोरेन की पिछली कैबिनेट में ग्रामीण विकास मंत्री थे, जबकि दीपिका पांडेय सिंह कृषि मंत्री थीं। पार्टी ने राधाकृष्ण किशोर और शिल्पी नेहा को पहली बार मंत्री बनाया है। जामताड़ा से चुनाव जीते डॉ इरफान अंसारी अपने बयानों को लेकर हमेशा चर्चा में रहते हैं। वहीं महागामा से लगातार दूसरी बार जीतीं दीपिका पांडेय सिंह बिहार सरकार में मंत्री रहे अवध बिहारी सिंह की बहू हैं। विधायी और वित्तीय मामलों के जानकार राधाकृष्ण किशोर एससी कोटे से मंत्री बने हैं, जबकि शिल्पी नेहा तिर्की पूर्व मंत्री बंधु तिर्की की बेटी हैं और लगातार दूसरी बार विधायक बनी हैं।

राजद को अपने यादव वोट बैंक पर भरोसा
राजद ने अपने यादव वोट बैंक को साधने का प्रयास किया है। पार्टी ने अपने कोटे से गोड्डा विधायक संजय यादव को मंत्री बनाया है। वह लालू यादव के काफी भरोसेमंद हैं। बिहार चुनाव को देखते हुए संजय यादव का मंत्री बनना राजद के लिए फायदेमंद है। यादव 15 साल बाद चुनाव जीते हैं। इससे पहले वह 2009 में गोड्डा से राजद के टिकट पर ही जीते थे। अभी पार्टी के प्रदेश महासचिव हैं।

क्षेत्रीय संतुलन पर फोकस
कैबिनेट विस्तार में क्षेत्रीय संतुलन पर फोकस किया गया है। सबसे अधिक संथाल परगना से चार विधायकों को मंत्री बनाया गया है। झामुमो और कांग्रेस ने यहां से दो-दो मंत्री पद दिया है। 2024 के विधानसभा चुनाव में संथाल की 18 सीटों में से इंडिया ब्लॉक ने 17 सीटों पर धमाकेदार जीत दर्ज की थी। यहां भाजपा ने बांग्लादेशी घुसपैठ के मुद्दे को पुरजोर तरीके से उठाया था, लेकिन उसे बड़ी हार का सामना करना पड़ा था। भाजपा तीन बार से जीत रही सारठ और राजमहल सीट भी हार गयी। इसी तरह नयी सरकार में कोल्हान, उत्तरी छोटानागपुर और दक्षिणी छोटानागपुर प्रमंडल से दो-दो विधायकों को मंत्री बनाया गया है। कोल्हान के दोनों मंत्री पिछली सरकार में भी थे। दक्षिणी छोटानागपुर से बनने वाले दोनों मंत्री पहली बार बने हैं। वहीं उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल से भी दोनों पहली बार मंत्री बनाये गये हैं। इंडिया ब्लॉक ने कोल्हान की 14 में से 11 सीटों पर जीत दर्ज की है। यहां भाजपा सिर्फ सरायकेला और जमशेदपुर पूर्वी से जीत सकी। उसकी सहयोगी जदयू ने जमशेदपुर पश्चिम से जीत दर्ज की है। दक्षिणी छोटानागपुर की 15 में से 13 सीटों पर इंडिया ब्लॉक ने जीत दर्ज की है। इस बार यहां से दो मंत्री बने हैं। जबकि उत्तरी छोटानागपुर की 25 सीटों में से इंडिया ब्लॉक ने 10 सीटों पर जीत दर्ज की है।

यह इलाका भाजपा का मजबूत गढ़ है। यहां एनडीए ने 14 सीटों पर जीत दर्ज की है। यहां की राजनीति जाति आधारित होती है। यही कारण है कि महतो समाज से आने वाले योगेंद्र प्रसाद और वैश्य समाज से आने वाले सुदिव्य कुमार सोनू को मंत्री बनाया गया है। नयी सरकार में पलामू को सिर्फ एक मंत्री पद मिला है। कांग्रेस ने छतरपुर से विधायक राधाकृष्ण किशोर को मंत्री बनाया है। वह एससी समाज से आते हैं। इंडिया ब्लॉक ने पलामू की नौ सीटों में से पांच पर जीत दर्ज की है। बिहार से सटे होने के कारण यहां जाति और जमात की राजनीति हावी रहती है।

हेमंत सोरेन ने दिखाया राजनीतिक कौशल
कैबिनेट विस्तार में यह साफ दिख रहा है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राजनीतिक कौशल के जरिये सभी संतुलनों को साधा है। उन्होंने न केवल अपनी पार्टी, बल्कि कांग्रेस और राजद को भी मंत्री चुनने में मदद की। डॉ रामेश्वर उरांव को मंत्री नहीं बनाने के पीछे उनकी उम्र जनित समस्याएं हैं, तो शिल्पी नेहा तिर्की और राधाकृष्ण किशोर को मंत्री बना कर कांग्रेस के लिए आगे की राह हेमंत ने आसान कर दी है। इसी तरह सुदिव्य कुमार, चमरा लिंडा और योगेंद्र प्रसाद के जरिये नया राजनीतिक संतुलन हेमंत सोरेन ने साधा है।
कहा जा सकता है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने जो टीम बनायी है, वह सर्वश्रेष्ठ है। इस टीम की मदद से वह झारखंड को विकास के रास्ते पर आगे ले जायेंगे, इसमें किसी को संदेह नहीं होना चाहिए।

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