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नंगे पैर और साष्टांग प्रणाम कर विधानसभा में इंट्री मार खींचा सबका ध्यान
कुड़माली भाषा में ली शपथ, टी शर्ट पर विकास-प्रकाश की तस्वीर से दे डाला मैसेज
नमस्कार। आजाद सिपाही विशेष में आपका स्वागत है। मैं हूं राकेश सिंह।
झारखंड की छठी विधानसभा का पहला सत्र 9 दिसंबर को शुरू हुआ। यह सत्र नवनिर्वाचित विधायकों के शपथ ग्रहण के अलावा स्पीकर के चुनाव के लिए आहूत किया गया है। सत्र के पहले दिन विधायकों ने अलग-अलग अंदाज में सदन में इंट्री ली और अपने-अपने तरीके से शपथ ली। इन सभी में जिस एक विधायक ने सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा, वह थे जयराम महतो, जो डुमरी विधानसभा क्षेत्र से चुने गये हैं। वह नवगठित झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा यानी जेएलकेएम के अकेले विधायक हैं और पहली बार निर्वाचित हुए हैं। जयराम महतो झारखंड की राजनीति में एक धूम्रकेतु की तरह आये हैं और उनकी विधानसभा में इंट्री भी धमाकेदार तरीके से हुई। वह जिस राजनीति के लिए जाने जाते हैं और जिस तरह का फकीराना जीवन जीते हैं, उसके अनुरूप ही उन्होंने विधायक पद की शपथ ली। वह नंगे पैर थे और विधानसभा में प्रवेश से पहले जमीन पर साष्टांग लेट कर लोकतंत्र के इस मंदिर को उन्होंने प्रणाम किया, जिससे लोकतांत्रिक व्यवस्था के प्रति जयराम महतो की आस्था व्यक्त होती है। उन्होंने कहा भी कि जिस तरह लोग अपने धर्मस्थलों में नंगे पैर प्रवेश करते हैं, उसी तरह वह विधानसभा को अपना धर्मस्थल मानते हैं और इसलिए उसके अंदर नंगे पैर ही जा रहे हैं। जयराम महतो की विधानसभा में इंट्री ने झारखंड के लोगों में एक नयी उम्मीद जगायी है और ऐसा लगता है कि वह वाकई कई लोगों की आवाज बनेंगे। यही नहीं, उन्होंने जो टी शर्ट पहनी थी, उससे भी वे बड़ा मैसेज दे गये। उस टी शर्ट पर दो युवाओं की तसवीर प्रिंटेड थी। एकबारगी तो उस दौरान यही लगा कि ऐसी ही कोई टी शर्ट जयराम महतो ने पहन रखी है, लेकिन जब हकीकत सामने आयी, तो इसने एक बड़ा मैसेज समाज में छोड़ा। दरअसल उस टी शर्ट पर आंदोलन में शुरू दिनों के दो सक्रिय साथियों की तसवीर थी, जो अब इस दुनिया में नहीं रहे। चूंकि उन दोनों ने बचपन से जयराम के साथ यारी निभायी थी और आंदोलन में भी साथ थे, लेकिन अचानक सरस्वती पूजा में एक सड़क हादसे में दोनों जयराम का साथ छोड़ गये। उनके जाने के बाद जयराम महतो अंदर से पूरी तरह विचलित हो गये थे। उन्हीं की याद में वह अमूमन वह टी शर्ट पहन कर अपना प्रेम प्रदर्शित करते हैं। समाज को यह मैसेज भी दे रहे हैं कि जिसने आंदोलन में उनका साथ दिया, उसके प्रति उनका फर्ज क्या है। क्या है जयराम महतो की इस धमाकेदार इंट्री और उनकी सादगी का सियासी मतलब, बता रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह।
झारखंड में इस साल हुए दो चुनावों ने झारखंड को दो नये सियासी चेहरे दिये हैं। एक को परिस्थितियों ने नेता बनाया, तो दूसरे को अपना हित-अधिकार हासिल करने के लिए सियासी रास्ते पर चलना पड़ा। इनमें से एक हैं कल्पना सोरेन, जिन्हें उनके पति हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद पैदा हुई परिस्थितियों ने सियासत की पथरीली राह पर चलने को मजबूर किया, और इस दौरान देखते ही देखते वह झारखंड की स्टार नेता बन गयीं, जबकि दूसरे हैं जयराम महतो, जिन्होंने झारखंडी भाषा और खतियानी रैयतों का अधिकार हासिल करने के लिए यह रास्ता चुना है। जयराम महतो आज पूरे झारखंड में जाना-पहचाना नाम बन गये हैं, क्योंकि चुनावी राजनीति में उन्होंने धमाकेदार इंट्री ली और फिर विधायक बनने के बाद 9 दिसंबर को विधानसभा में उनकी इंट्री उससे भी अधिक धमाकेदार रही। जयराम महतो की इस धमाकेदार इंट्री से झारखंड के लोगों की उम्मीदें बढ़ गयी हैं।
कुड़माली भाषा में बिना पढ़े ही शपथ ली
झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा नाम से अपनी पार्टी बना कर पहली बार डुमरी से विधायक चुने गये जयराम महतो ने झारखंड विधानसभा में अनोखे अंदाज में शपथ ली। उन्होंने कुड़माली भाषा में बिना पढ़े ही शपथ ली। विधानसभा में यह पहली बार हुआ है। शपथ के दौरान उनका कॉन्फिडेंस साफ झलक रहा था। आगे की राजनीति में उनकी क्या तैयारी है, यह बिना पढ़े शपथ लेने से भी पता चलता है।
जयराम महतो की टी-शर्ट भी चर्चा में
जयराम महतो ने शपथ लेने के दौरान जो टी-शर्ट पहन रखी थी, वह भी चर्चा में रही। इस शर्ट पर दो युवकों के चित्र थे और अंग्रेजी में संदेश लिखा था, मिस यू चैंप्स फॉरएवर (यानी हम हमेशा तुम चैंपियनों की कमी महसूस करते हैं)। वे तस्वीरें विकास और प्रकाश की थीं, जो जयराम महतो के करीबी मित्र थे और उनके गांव के ही थे। दोनों आंदोलन में भी उनेक साथी थे। दो साल पहले एक सड़क हादसे में उन दोनों की मौत हो गयी थी। तब से लेकर आज तक जयराम महतो ने कभी भी उनकी तस्वीर के बिना कोई काम नहीं किया। जयराम का यह अंदाज दर्शाता है कि जिन्होंने उनके संघर्ष के दिनों में साथ दिया, उसे वह कभी भूलते नहीं।
इंट्री भी रही खास
जयराम महतो ने विधानसभा में पहले दिन एक खास अंदाज में इंट्री की। सफेद रंग की जैकेट पहने, नंगे पांव विधानसभा में दाखिल होकर उन्होंने साष्टांग प्रणाम किया, जो चर्चा का केंद्र बन गया। जयराम का यह आदर्श और सादगी भरा प्रदर्शन सभी को प्रेरित कर रहा है।
2014 में मोदी की याद ताजा कर दी
जयराम महतो ने विधानसभा में जिस तरह प्रवेश किया, उससे 2014 में लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की याद ताजा हो गयी। जयराम महतो ने विधानसभा में प्रवेश के पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अंदाज में मत्था टेक कर सदन के प्रवेश द्वार को प्रणाम किया। मत्था टेकने के बाद ही जयराम महतो विधानसभा के अंदर घुसे। इस दौरान उनके हाथ में लाल रंग की डायरी थी, जिसमें उन्होंने शपथ की पंक्तियां लिख रखी थीं।
जयराम से हैं उम्मीदें
इस विधानसभा चुनाव में जयराम महतो की पार्टी जेएलकेएम का जो प्रदर्शन रहा है, यह दर्शाता है कि उनसे लोगों की कितनी उम्मीदें हैं। उनके समर्थकों और उनके मतदाताओं को जयराम महतो से उम्मीद है कि वह अपने वादे के मुताबिक युवाओं की आवाज, रोजगार, स्थानीय नीति और झारखंड के हित के मुद्दे को भी जोर-शोर से उठायेंगे।
आक्रामक भाषण शैली के कारण युवाओं में लोकप्रिय
लोकसभा और विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान गाड़ी के बोनट पर खड़े होकर भाषण देनेवाले जयराम महतो आम युवाओं की तरह जींस और टी-शर्ट पहनते हैं। आक्रामक भाषण शैली के कारण युवाओं में वह खासे लोकप्रिय हैं।
झारखंड की सियासी हलचल हैं
30 वर्षीय जयराम महतो ने पिछले कुछ दिनों में झारखंड की राजनीति में हलचल मचा रखी है। विधानसभा चुनाव में जयराम महतो की पार्टी जेएलकेएम ने सिर्फ एक सीट हासिल की, लेकिन उनकी पार्टी ने सबसे अधिक 71 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ कर करीब 12 लाख वोट हासिल किये। जयराम महतो की पार्टी के वोट के कारण ही भाजपा और आजसू पार्टी समेत कई अन्य उम्मीदवारों का सियासी गणित गड़बड़ा गया। जेएलकेएम उम्मीदवारों के कारण भाजपा और आजसू को काफी नुकसान उठाना पड़ा।
बचपन से अब तक का पूरा जीवन संघर्षों में बीता
झारखंड में 81 निर्वाचित विधायकों में जयराम महतो की संपत्ति सबसे कम है। वह खुद भी बताते हैं कि उनका जीवन संघर्षों भरा रहा है। जयराम महतो का संघर्ष मां के गर्भ से ही शुरू हो चुका था और जन्म के कुछ ही दिनों में अंधविश्वास के कारण नानी उन्हें अपने साथ ले गयीं। वह अपनी मां का दूध भी पी नहीं सके। जयराम बताते हैं कि उनके जन्म के पहले उनके दो बड़े भाइयों की जन्म के कुछ दिनों बाद मौत हो गयी थी, जिसके बाद गांव-घर के लोगों का मानना था कि जिस घर में वह रहते थे, उस घर में जरूर किसी न किसी का साया है। इसी कारण बच्चों की मौत हो रही है। इसी कारण जन्म के बाद नानी उन्हें अपने साथ ले गयीं।
अलग होती हैं भाषण की बातें और अंदाज
युवा टाइगर के रूप में चर्चित जयराम महतो के भाषण में सिर्फ स्थानीय मुद्दे, युवाओं को रोजगार, भाषा और अपने हक-अधिकार की बातें होती हैं। जींस और टी-शर्ट पहने इस नेता की बातें भी स्थानीय भाषा में इस तरह से सीधी-सरल होती हैं कि उन्हें सुनने आये ग्रामीणों पर इसका बड़ा प्रभाव पड़ता है। रांची, बोकारो, गिरिडीह, हजारीबाग, रामगढ़ और धनबाद जिले में गांव-गांव घूम कर अपने संगठन को मजबूत बनाने वाले जयराम महतो से झारखंड के लोगों को बहुत उम्मीद है। जयराम महतो खुद स्वीकार करते हैं कि कई बड़े दल उन्हें साथ आने का आॅफर दे रहे थे, लेकिन उन्होंने जनता के मुद्दों को प्रभावी तरीके से उठाने के लिए झारखंड भाषा खतियानी संघर्ष समिति नामक संगठन बनाया है। अब एक विधायक के रूप में वह अपने मुद्दों को और अधिक प्रभावी तरीके से उठा सकेंगे।