काठमांडू। अमेरिकी सरकार ने एएआर कॉर्प पर नेपाल एयरलाइंस कॉर्पोरेशन के लिए दो वाइडबॉडी विमानों की खरीद में नेपाली अधिकारियों को रिश्वत देने का दोषी पाए जाने के बाद 55 मिलियन डॉलर का जुर्माना लगाया है। अमेरिकी कंपनी एएआर कॉर्प ने एयरबस खरीद समझौते को लेकर रिश्वत में 2.5 मिलियन डॉलर का भुगतान किया था।

अमेरिकी न्याय विभाग ने मंगलवार को एक बयान में कहा कि एएआर कॉर्प ने भ्रष्टाचार विरोधी कानूनों का उल्लंघन किया है। इसके कारण उस पर जुर्माना लगाया गया है। एएआर के एक अधिकारी ने नेपाल और दक्षिण अफ्रीका में सरकारी अधिकारियों को रिश्वत देने और अवैध मुनाफे में 24 मिलियन डॉलर के मुनाफ की बात स्वीकार की है।

दिसंबर 2016 में नेपाल एयरलाइंस कॉर्पोरेशन (एनएसी) ने लंबी दूरी की उड़ान क्षमताओं की आवश्यकता को पूरा करने के लिए एएआर कॉर्प से दो वाइडबॉडी विमान खरीदे। एनएसी के नैरो बॉडी विमानों के मौजूदा बेड़े के साथ लंबी दूरी के मार्गों को संभालने में असमर्थ होने के कारण तत्कालीन प्रचंड सरकार ने वाइडबॉडी विमान खरीदने का निर्णय लिया गया था। 26 जनवरी, 2017 को एनएसी के बोर्ड ने 274 यात्रियों के बैठने की क्षमता वाले दो एयरबस ए-330 विमानों की खरीद को मंजूरी दी थी।

26 सितंबर, 2016 को इस संबंध में जारी टेंडर के बाद 10 कंपनियों ने प्रस्ताव पेश किए। एएआर कॉर्प को अंततः चुना गया था। फरवरी 2017 में एनएसी ने एएआर कॉर्प को एक मिलियन डॉलर का अग्रिम भुगतान किया। विवाद तब सामने आया जब भुगतान विवरण 2017 के मध्य में सार्वजनिक हो गया। 2018 में त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर दोनों विमानों के पहुंचने के बाद इसकी खरीद के लिए अनियमितताओं का आरोप लगा। इसके बाद सरकार ने जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व प्रधान न्यायाधीश गोविंद प्रसाद पराजुली के नेतृत्व में आयोग का गठन किया, लेकिन प्रक्रियात्मक देरी के कारण आयोग की कार्यवाही आगे नहीं बढ़ सकी।

बाद में संसद की सार्वजनिक लेखा समिति ने एक अलग जांच की और विमान खरीद प्रक्रिया में 4.36 अरब रुपये की अनियमितताओं की बात सामने आयी। भ्रष्टाचार निरोधक आयोग ने बाद में अप्रैल 2023 में विशेष अदालत में पूर्व पर्यटन मंत्री जीवन बहादुर शाही, एनएसी के पूर्व प्रबंध निदेशक सुगत कंसकर और पूर्व पर्यटन सचिव शंकर प्रसाद अधिकारी सहित 32 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किए। छह दिसंबर, 2024 को विशेष अदालत ने एनएसी के तत्कालीन अध्यक्ष शंकर अधिकारी, प्रबंध निदेशक सुगत कंसकर और बोर्ड के सदस्यों बुद्ध सागर लामिछाने और शिशिर ढुंगाना सहित 10 व्यक्तियों को दोषी पाया। हालांकि बाद में पूर्व पर्यटन मंत्री जीवन कुमार शाही और अन्य को बरी कर दिया गया।

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