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    Home»विशेष»आरोप संगीन, फिर भी हामिद अंसारी के खिलाफ जांच क्यों नहीं!
    विशेष

    आरोप संगीन, फिर भी हामिद अंसारी के खिलाफ जांच क्यों नहीं!

    azad sipahiBy azad sipahiJuly 15, 2022No Comments15 Mins Read
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    बात सिर्फ पाकिस्तान के पत्रकार नुसरत मिर्जा के रहस्योदघाटन की ही नहीं, रॉ के पूर्व अधिकारियों ने पीएमओ को सौंपी थी हामिद के कारनामों की लंबी फेहरिश्त

    भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। यहां सबको अभिव्यक्ति की आजादी मिली हुई है। हर व्यक्ति तार्किक तरीके से अपनी बातों को रख सकता है, नीतियों, रणनीतियों की तर्कपूर्ण तरीके से समालोचना कर सकता है। लेकिन इसकी अस्मिता के साथ खिलवाड़ करने का किसी को अधिकार नहीं है। चाहे वह शीर्ष पर बैठा हुआ व्यक्ति ही क्यों न हो। कानून सबके लिए बराबर है। कानून में साफ-साफ वर्णित है कि जो भी देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करेगा, उसे कड़ी से कड़ी सजा मिलेगी। उस पर देशद्रोह का मुकदमा चलना ही चाहिए। किसी हाल में देश के साथ गद्दारी भारत का संविधान बर्दाश्त नहीं करेगा। पाकिस्तान के एक नामी-गिरामी पत्रकार नुसरत मिर्जा ने भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी पर भारत की सुरक्षा को खतरे में डालने का गंभीर आरोप लगाया है। उसका दावा है कि वह पांच बार भारत आ चुका है। उसे भारत आने का निमंत्रण तत्कालीन उप राष्टÑपति हामिद अंसारी ने दिया था। वह जब-जब भारत आया, कुछ न कुछ खुफिया जानकारी उसने यहां से जुटायी और उसे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ कोे सौंप दिया। इन खुफिया जानकारियों का इस्तेमाल भारत के खिलाफ किया जाता था। हामिद अंसारी पर देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करने का आरोप कोई नया नहीं है। भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ के पूर्व अधिकारी एनके सूद भी हामिद अंसारी के खिलाफ गंभीर आरोप लगा चुके हैं। उनका आरोप है कि जब हामिद अंसारी तेहरान में राजदूत थे, वहां उन्होंने रॉ के सेटअप को उजागर कर, रॉ के लोगों का जीवन खतरे में डाल दिया था। इसरो के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन का करियर बर्बाद करने का भी आरोप उन पर लगा। उस देशभक्त प्रतिभावान एयरोस्पेस इंजीनियर को देश का गद्दार घोषित कर दिया गया था। 24 साल तक वह लड़ता रहा। न्याय मिला, बेदाग निकले। मोदी सरकार ने पद्मभूषण से नवाजा, लेकिन भारत राकेट साइंस टेक्नोलॉजी में दशकों पीछे चला गया। विदेश सेवा में हामिद अंसारी के जूनियर और प्रधानमंत्री के विशेष सलाहकार रहे दीपक वोहरा ने बताया था कि हामिद अंसारी के विदेशी और इस्लामी लिंक की जांच शुरू हो गयी है। उन्होंने बताया था कि यह चेतावनी हमारी कई खुफिया एजेंसियों द्वारा भारत सरकार को दी जा चुकी है कि हामिद अंसारी की प्राथमिकताएं कभी भी भारत के पक्ष में नहीं थीं। वह हमेशा इस्लाम से जुड़ी थीं। उनकी ईमानदारी पड़ोसी मुल्कों के साथ दिखती थी। हामिद अंसारी वह शख्स हैं, जो दशकों तक देश के संवैधानिक पद पर आसीन रहे और अंत में नैरेटिव गढ़ देते हैं कि भारत का मुसलमान डरा हुआ है। हामिद अंसारी की मानसिकता कितनी जहरीली है, यह तब और स्पष्ट हुआ, जब उन्होंने केरल में 23 सितंबर, 2017 को पॉपुलर फ्रंट आॅफ इंडिया के एक कार्यक्रम में शिरकत की। यह जानते हुए भी कि इस संगठन पर आतंकियों के समर्थन का आरोप है। कैसे हामिद अंसारी 10 सालों तक राष्ट्रपति के बाद दूसरा सबसे बड़ा पद उपराष्ट्रपति पद पर बैठ अपना एजेंडा साधते रहे। आखिर क्यों इतने संगीन आरोपों के बावजूद हामिद अंसारी के खिलाफ जांच नहीं हो रही है। उनके खिलाफ आरोपों की लंबी फेहरिश्त 2017 से ही पीएमओ में पड़ी हुई है। देश के लोग यह जानना चाहते हैं कि आखिर जांच एजेंसियों के हाथ क्यों बंधे हुए हैं। बहुत दिनों के बाद हामिद अंसारी का यह बयान आया है कि उन पर लगे आरोप निराधार हैं। ऐसे में यह और जरूरी हो जाता है कि जांच करा कर दूध का दूध और पानी का पानी कर दिया जाये। हामिद अंसारी पर लगे संगीन आरोपों को उजागर करती आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह।

    एक ऐसा व्यक्ति, देश का उपराष्ट्रपति रहा हो, देश का राजदूत रहा हो, उससे अपेक्षा यही होती है कि वह देश की अस्मिता की रक्षा करेगा। वह देश की सुरक्षा को और पुख्ता करेगा। वह कोई ऐसा कृत्य नहीं करेगा, जिससे देश पर आंच आये। देश कमजोर हो। लेकिन हामिद अंसारी पर लगे संगीन आरोप चीख-चीख कर यह कह रहे हैं उन्होंने देश के साथ अच्छा नहीं किया। देश की खुफिया एजेंसी की गोपनीयता भंग करने के आरोप उन पर लगे हैं। बीते कई सालों में ऐसे कई प्रमाण सामने आये हैं, जब हामिद अंसारी की वाणी में कट्टरता की बू आती रही है। कई अवसरों पर तो उन्होंने यहां तक कहा है कि भारत के मौजूदा हालात रहने लायक नहीं। उनकी अनर्गल बयानबाजी ने भारत की छवि को कई बार कलंकित किया है। हामिद अंसारी उस भारत को असहिष्णु बता चुके हैं, जिस भारत ने उन्हें इज्जत दी, दौलत दी, शोहरत दी, मान-सम्मान सब कुछ दिया। जिसने उन्हें राजदूत बनाया, जिसने उन्हें उप राष्टÑपति पद पर बैठाया। जिस भारत का सार ही वसुधैव कुटुंबकम है, उसे हामिद अंसारी ने इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल के मंच से भारत को असहिष्णु बताया था। यह वही संगठन है, जिसके हाथ आइएसआइ से मिले हुए हैं। उस पर भारत में दंगे की साजिश रचने का आरोप भी है।

    हामिद अंसारी देश की खुफिया एजेंसी रॉ के अधिकारियों के आरोप को हवा में उड़ा सकते हैं, आरोप लगा सकते हैं कि ये खुफिया एजेंसियां किसी के दबाव में उन पर आरोप चस्पां कर रही हैं, लेकिन हामिद अंसारी पाकिस्तान के पत्रकार नुसरत मिर्जा के इस रहस्योदघाटन को कैसे हवा में उड़ा सकते हैं, जिसने कहा है कि उनके बुलावे पर वह पांच-पांच बार भारत आया और हर बार कुछ न कुछ खुफिया जानकारी हासिल कर पाकिस्तान की आइएसआइ को सुपुर्द की। यहां बता दें कि पाकिस्तानी पत्रकार नुसरत मिर्जा ने खुद यह कहा है कि वह पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ के लिए जासूसी करता था। नुसरत मिर्जा ने दावा किया है कि वह हामिद अंसारी के उप-राष्ट्रपति रहते उनका मेहमान बन कर भारत आया था और 15 राज्यों का दौरा कर उसने आइएसआइ के लिए जासूसी की थी। नुसरत मिर्जा ने दावा किया कि उस दौरान उसे भारत के तीन शहरों की जगह सात शहरों में जाने की अनुमति मिल जाती थी। नुसरत मिर्जा ने अपने एक साक्षात्कार में बताया कि वह दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, चेन्नई, पटना, लखनऊ और कोलकाता भी गया था, जहां से उसने जानकारियां एकत्रित कर आइएसआइ को सौंपी। यहां यह गौर करनेवाली बात है कि बाहर से आये किसी व्यक्ति को एक दौरे के दौरान देश के सिर्फ तीन शहरों में जाने की इजाजत मिल सकती है, लेकिन वह सात शहरों में कैसे चला गया। इस बात का जवाब तो हामिद अंसारी ही दे सकते हैं कि नुसरत मिर्जा ने उनके बारे में जो रहस्योदघाटन किया है, उसमें कितनी सच्चाई है। या फिर केंद्र सरकार की जांच के बाद यह उजागर हो सकता है।

    जब देश की सुरक्षा खतरे में आ गयी थी
    भारतीय इंटेलिजेंस एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग रॉ के पूर्व अधिकारियों ने अगस्त 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिख कर यह अपील की थी कि वह हामिद अंसारी के कार्यकाल की जांच करायें। उनकी मांग थी कि देश के सामने हामिद अंसारी का क्रियाकलाप उजागर हो। रॉ के पूर्व अधिकारियों ने अपनी शिकायत में उन चार घटनाक्रमों का हवाला दिया था, जिनकी वजह से देश की सुरक्षा खतरे में आ गयी थी। उनका कहना था कि दूतावास पर तैनात भारतीय अधिकारियों को सवाक, ईरान की इंटेलिजेंस एजेंसी ने किडनैप किया और हामिद अंसारी बतौर राजदूत अपनी ड्यूटी को पूरा नहीं कर पाये। बात तब की है, जब हामिद अंसारी साल 1990-1992 में ईरान की राजधानी तेहरान में भारत के राजदूत के तौर पर पदस्थापित थे। उस समय उन पर इरान की इंटेलिजेंस एजेंसी सवाक और ईरान सरकार के साथ मिलीभगत के आरोप लगे थे। सवाक को आधिकारिक तौर पर 1979 में बंद कर दिया गया था। इसकी जगह पर फिर एक नये संगठन सजमान-ए-एत्तेलायत अमिनियात-ए-मिल्लिए ईरान को शुरू किया गया। लेकिन आज भी इसे सवाक के नाम से ही बुलाया जाता है। शिकायतकर्ता रॉ अधिकारियों ने पीएम मोदी से चिट्ठी लिख कर दावा किया कि जब अंसारी तेहरान में थे, तब वह भारत के हितों की रक्षा नहीं कर सके, साथ ही ईरानी सरकार और उसकी खुफिया एजेंसी सवाक से सहयोग करके रॉ के आॅपरेशन्स को नुकसान पहुंचाया।

    शिकायतकर्ताओं की मानें तो ऐसे चार मामले हुए, जब भारतीय दूतावास के अधिकारियों और कूटनीतिज्ञों का सवाक ने अपहरण करवाया और हामिद अंसारी राष्ट्रहित साधने में असफल रहे। तत्कालीन अधिकारियों में से एक एनके सूद का दावा है कि हामिद अंसारी ने ईरान में रॉ के ठिकानों को बंद करने तक की सिफारिशें की थीं। वहीं 28 जून, 2019 को ट्वीट कर एनके सूद ने लिखा था, मैं तेहरान, ईरान में था और हामिद अंसारी तेहरान में राजदूत थे। हामिद अंसारी ने तेहरान में रॉ के लोगों का जीवन खतरे में डाल दिया था। उन्होंने रॉ के सेटअप को उजागर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी, लेकिन इसी व्यक्ति को लगातार दो बार देश का वाइस प्रेसिडेंट बनाया गया। अब नुसरत मिर्जा के दावों के बाद सूद का वह ट्वीट फिर वायरल हो गया है। एक और मामले में रॉ अधिकारी आरके यादव ने 2018 में हामिद अंसारी के बारे में सनसनीखेज खुलासा करते हुए बताया था कि रॉ के अधिकारी डीबी माथुर, तेहरान के करीब कूम में कश्मीर के युवकों के लिए चल रहे ट्रेनिंग कैंप पर नियमित रूप से दिल्ली को रिपोर्ट भेजते रहते थे। ये सभी रिपोर्ट्स राजदूत हामिद अंसारी के पास से होकर गुजरती थीं, इनमें से कई रिपोर्ट्स को लेकर हामिद अंसारी काफी विरोध में रहते थे। इसी दौरान, एक सुबह डीबी माथुर को सवाक ने अगवा कर लिया, लेकिन हामिद अंसारी ने ईरान की सरकार से इस बारे में कोई बात नहीं की और बहुत ही साधारण रिपोर्ट दिल्ली भेज कर शांत हो गये। दो दिनों तक डीबी माथुर के बारे में कोई जानकारी न मिलने पर भारतीय दूतावास के करीब 30 अधिकारियों की पत्नियों ने हामिद अंसारी के चैंबर में जबरदस्ती घुस कर विरोध भी दर्ज कराया था। दूसरे दिन ही आरके यादव, विपक्ष के नेता अटल बिहारी वाजपेयी से मिले और पूरी घटना की जानकारी दी। इसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव से बात की। पीवी नरसिम्हा राव ने तुरंत कार्रवाई की और ईरान को कुछ ही घंटों में डीबी माथुर को रिहा करना पड़ा। इसके बाद माथुर को 72 घंटों के अंदर वापस दिल्ली बुला लिया गया था। आरके यादव ने अपनी किताब मिशन रॉ में हामिद अंसारी के दोहरे चरित्र पर एक पूरा अध्याय बिज्जारे रॉ इन्सिडेंट्स ही लिख डाला है, जिसमें हामिद अंसारी की देशविरोधी गतिविधियों को एक्सपोज किया गया है। एक मामले का जिक्र आता है। मई 1991 में एक भारतीय अधिकारी संदीप कपूर को तेहरान हवाई अड्डे से सवाक ने किडनैप कर लिया था। तत्कालीन रॉ स्टेशन चीफ की तरफ से व्यक्तिगत तौर पर हामिद अंसारी को इस बारे में जानकारी भी दी गयी थी। रॉ चीफ उस समय दुबई में थे और इस घटना को इमरजेंसी के तौर पर समझ वह तुरंत ही हामिद अंसारी को ब्रीफ करने के लिए तेहरान पहुंचे थे। उसके बाद हामिद अंसारी ने संदीप कपूर की खोजबीन करवाने के बजाय, भारतीय विदेश मंत्रालय को खुफिया रिपोर्ट भेजी कि संदीप कपूर गुम हो गये हैं और ईरान में उनकी गतिविधियां संदिग्ध थीं।

    हामिद अंसारी ने रिपोर्ट में लिखवाया कि कपूर के किसी स्थानीय महिला से संबंध भी थे। आरोप है कि उन्होंने जानबूझ कर रिपोर्ट में नहीं लिखवाया कि इस अपहरण के पीछे रॉ ने सवाक का हाथ बताया है। तीन दिन बाद भारतीय दूतावास को की गयी एक अनजान कॉल से पता चला कि कपूर किसी सड़क किनारे पड़े हैं। उन्हें ड्रग्स का नशा दिया गया था, जिसका असर सालों तक कपूर पर रहा। रॉ की सलाह थी कि ईरानी विदेश मंत्रालय के सामने इस मामले को उठाया जाये पर अंसारी साहब शांत रहे। एनके सूद एक और घटना याद करते हैं, जब भारतीय राजदूतावास पर तैनात सिक्योरिटी गार्ड मोहम्मद उमर को सवाक उठा कर ले गये और फिर तीन घंटे बाद मुक्त कर दिया। हामिद अंसारी को जब इस बारे में बताया गया तो उन्होंने रॉ स्टेशन चीफ से पड़ताल के लिए कहा क्योंकि उन्हें लगा कि गार्ड को सवाक ने अपनी ओर मिला लिया है। रॉ ने उसे मासूम करार दिया, लेकिन अंसारी ने इस सिफारिश के साथ उसे भारत भेज दिया कि भविष्य में गार्ड को विदेशी ट्रांसफर ना मिले।

    हामिद अंसारी पर ये आरोप भी लगे कि रॉ के उन आॅपरेशंस को भी रोक दिया गया था, जो रक्षात्मक थे और ये पूर्व उपराष्ट्रपति के आदेश पर ही हुआ था। इसके अलावा उन्होंने दुबई, बहरीन और सऊदी अरब के भारतीय राजदूतों को तलब किया था, जिसका मकसद भारतीय दूतावासों पर मौजूद रॉ यूनिट्स को टारगेट करना था। पीएम मोदी को जो शिकायत की गयी थी ,उसमें कहा गया था कि मार्च 1993 में मुंबई में हुए ब्लास्ट्स के समय खाड़ी देशों में रॉ की क्षमताएं पूरी तरह से अव्यवस्थित थीं। सूद ने बताया कि जब हामिद अंसारी का ईरान से तबादला हुआ, तो भारतीय दूतावास में खुशियां मनायी गयी थीं।

    कैसे मिल रहा था वीजा
    पीएम मोदी को हामिद अंसारी के बारे में जो शिकायत की गयी थी, उसमें ईरान में 10 साल तक तैनात रहने वाले फर्स्ट सेक्रेटरी का भी जिक्र था। इसमें बताया गया था कि कैसे उन लोगों को भारत का वीजा 500 अमेरिकी डॉलर में दे दिया जाता था, जो खुद को छात्र बताते थे। रॉ की तरफ से हुई एक इंक्वॉयरी में यह बात सामने आयी थी कि किसी भी भारतीय यूनिवर्सिटी की तरफ से ऐसी कोई चिट्ठी जारी ही नहीं की गयी थी, जिसमें ईरान के नागरिकों को वीजा देने का प्रस्ताव हो। रॉ की तरफ से इस बारे में अंसारी को चिट्ठी भी लिखी गयी थी, लेकिन इस मामले को भी भुला दिया गया। इसके अलावा पूर्व रॉ अधिकारियों ने अंसारी पर ये आरोप भी लगाया था कि वह तेहरान में नियमित तौर पर पाकिस्तान के राजदूत से मुलाकात करते रहते ह,ैं जिसके बारे में विदेश मंत्रालय को कुछ नहीं मालूम होता था।

    जब हामिद अंसारी ने अपने मजहबी चरमपंथी सोच को उजागर किया
    हामिद अंसारी ने कई बार अपने मजहबी चरमपंथी सोच को उजागर किया है। डरा हुआ मुसलमान का नैरेटिव भी उन्होंने ही गढ़ा है। भारत में मुसलमान असुरक्षित हैं, उनका ही कहा हुआ है। मुसलमानों की लिंचिंग पर बात करते वह थकते नहीं। वहीं हिंदुओं की लिंचिंग तो उनकी नजर में होती ही नहीं है। 20 नवंबर, 2020 को हामिद अंसारी ने कांग्रेस सांसद शशि थरूर की किताब द बैटल आॅफ बिलॉन्गिंग के डिजिटल विमोचन के मौके पर कहा कि देश कोरोना से पहले ही दो महामारी का शिकार हो चुका है। वह है धार्मिक कट्टरता और आक्रामक राष्ट्रवाद। हामिद अंसारी की मानसिकता कितनी जहरीली है, ये तब और सामने आया, जब उन्होंने केरल में 23 सितंबर, 2017 को पॉपुलर फ्रंट आॅफ इंडिया के एक कार्यक्रम में यह जानते हुए भी शिरकत की थी कि इस संगठन पर आतंकियों के समर्थन का आरोप है। पीएफआइ पर हिंसक वारदातों को अंजाम देने, युवाओं को आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट में भर्ती करने के भी आरोप लगते रहे हैं। केरल हाइकोर्ट पीएफआइ को चरमपंथी संगठन बोल चुका है। देश में कई दंगों में पीएफआइ का नाम आ चुका है। ऐसे में देश के किसी संवैधानिक पद पर लंबे समय तक रहे किसी शख्स का पीएफआइ से संबंधित कार्यक्रम का हिस्सा बनना कई सवालों को जन्म देता है। दस साल तक उप-राष्ट्रपति रहनेवाले हामिद अंसारी ने अपने कार्यकाल के आखिरी दिन ही कहा था कि देश के मुसलमानों में घबराहट का भाव है और वे असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। हामिद अंसारी 10 साल तक उपराष्ट्रपति रहे, तब तक उन्हें भारत अच्छा लगता रहा, लेकिन जैसे ही उनकी उपराष्ट्रपति पद से विदाई हुई, उन्हें भारत असुरक्षित लगने लगा था। अचानक वह बेहद डरे हुए हो गये। उससे पहले पद का उपयोग कर एजेंडा फैलाने में उन्हें कोई दिक्कत नहीं आती थी, तो सब ठीक था। उपराष्ट्रपति एक धर्म या वर्ग का नहीं होता, बल्कि राष्ट्र का होता है, लेकिन जिस तरह अंसारी ने अपने कार्यकाल के आखिरी दिन बयान दिया, उससे स्पष्ट होता है कि वह कभी 130 करोड़ भारतीयों का प्रतिनिधित्व नहीं कर पाये। इसके अलावा हामिद अंसारी ने देश की राजधानी दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में देश के विभाजन के लिए भारत को जिम्मेदार ठहराया था। अंसारी ने कहा था कि विभाजन के लिए भारत भी बराबर का जिम्मेदार था, लेकिन सियासत के लिए सिर्फ मुसलमानों को जिम्मेदार ठहरा दिया गया। इसके अलावा राष्ट्रवाद को जहर बताना हो या अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में जिन्ना की तस्वीर का मामला हो, तीन तलाक के कानून का विरोध हो या देश के हर जिले में शरिया अदालतें स्थापित करने का आॅल इंडिया पर्सनल लॉ बोर्ड का प्रस्ताव हो, सभी मामलों में हामिद अंसारी ने विवादित बयान दिया है। एक गणतंत्र दिवस के अवसर पर उन्हें राष्ट्रध्वज को सलामी न देने के भी आरोप लगे। इसकी तस्वीर वायरल भी हुई थी। जून 2015 में पहले अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के कार्यक्रम से भी वह नदारद रहे थे। इसके अलावा हामिद अंसारी ने राष्ट्ररक्षक सेना के जवानों के शौर्य पर सवाल उठाते हुए बालाकोट एयर स्ट्राइक के सबूत मांगे थे। अंसारी ने कहा था कि देश के लोगों को बालाकोट एयरस्ट्राइक पर सवाल उठाने का पूरा हक है। तत्कालीन विंग कमांडर अभिनंदन द्वारा पाकिस्तान के एफ 16 को मार गिराने पर सवाल उठाते हुए कहा था कि कि अगर मैं कह दूं कि मैंने किसी शेर को मारा है, तो मुझे उस शेर को दिखाना भी होगा।

    बड़ा सवाल। इतने संगीन आरोपों के बावजूद आखिर इस व्यक्ति की जांच क्यों नहीं हो रही है। आखिर जांच करने में क्या परेशानी है। क्या जांच इसलिए नहीं हो रही कि हामिद अंसारी उप राष्टÑपति रह चुके हैं।

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