कोडरमा। छठ पर्व दुनिया के हर हिस्से और लोगों के मन में बसा हुआ है। इस त्योहार को लेकर सभी भाषा-भाषियों में समान उत्साह और भक्ति भाव देखने को मिला, क्योंकि यह न केवल एक त्योहार है बल्कि एक परंपरा भी है। शहर के राजस्थानी समाज की मीना चौधरी लगातार 33 वर्षों से छठ व्रत कर रही हैं। त्योहार को नियमों और निष्ठा के साथ शहर के माइकनाइट स्थित झारखंड बंगाली समिति कोडरमा के पूर्व सचिव और साहित्यकार दाशरथी बनर्जी के घर यह छठ पर्व पिछले 18 साल से मनाया जा रहा है।
पहले उनकी मंझली बेटी माला चटर्जी, बाद में उनकी बड़ी बेटी शुक्ला चटर्जी यह छठ व्रत करती आ रही हैं। इस बारे में दाशरथी बाबू कहते हैं कि दुर्गा पूजा में परिवार के लोग एक साथ इकट्ठे हो या ना हो पर छठ पूजा में शामिल होते ही हैं। इस बार भी छठ पूजा को बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। कोरियाडीह में स्थित तालाब में सभी नियमों का पालन करते हुए भक्ति भाव से पूजा की गयी। इस त्योहार में परिवार के 25-30 सदस्य इकट्ठा होते हैं। दोनों परिवारों के लोगों ने बताया कि पर्व को लेकर मन में जो खुशी है वह चार दिवसीय छठ पर्व के अलावा किसी और चीज में व्यक्त नहीं होती। सुबह से शाम तक पूजा सामग्री व अन्य व्यवस्थाओं में ही समय बीत जाता है। यह त्योहार ऐसा है कि यह संयुक्त परिवार की परिभाषा को भी मजबूत करता है।
35 सूप की पूजा एक साथ हुई
छठ को लेकर झुमरी तिलैया के वंदना होटला के समीप श्याम चौधरी के निवास स्थल पर छठ की छटा देखते ही बन रही थी यहॉ चौधरी परिवार के 50 पुरूष महिलाओं ने अस्ताचलगामी एवं उदयमान सूर्य को अर्घ्य दिया। यहां 35 सूप की पूजा अर्चना की गई। व्रती राजस्थानी समाज की मीना चौधरी लगातार 35 वर्षो से एवं उनके भाई सुशील अग्रवाल जो भीलवाडा में रह रहे है वो झुमरी तिलैया पहुंचे और 36 घंटे का व्रत किया। चौधरी परिवार के अलावा शहर के कई अन्य लोग भी इस पूजा अर्चना में शामिल हुए।
ढाका से आए शिवशंकर ने कहा अद्भुत है छठ
लोक आस्था का महापर्व छठ सामाजिक समरसता का उदाहरण है। छठ का आयाम दिनो दिन बढ़ता जा रहा है। नदी घाटी से शुरु हुआ पर्व सात समंदर पार चला गया है। वह भी अपने मूल रुप में परिवर्तन नहीं आया है। बांग्ला देश के ढाका से आए शिवशंकर सिंह एवं स्थानीय व्रती अलका सिंह ने झुमरी तिलैया के विद्यापुरी में अपने ससुराल में छठ पूजा की। शिवशंकर सिंह ने कहा कि छठ अद्भुत है और इसको मनाने के लिए वे अपने ससुराल झुमरीतिलैया आए हैं। इनकी पत्नी ज्योति सिंह भी इनके साथ ढाका से पहुंची है। वहीं अलका सिंह ने बताया कि वे अपनी सास कुंती देवी के स्थान पर पिछले दो साल से छठ कर रही हैं।