-रेलवे रैक से काला पत्थर और कोयला का चूर प्लांट को आपूर्ति
-पांच हजार रुपये टन है प्लांट का कोयला, कोल डिपो को आठ हजार में
रांची । झारखंड में कोयला तस्करी का एक और तरीका कारोबारियों ने ईजाद कर लिया है। इस तरीके से जहां करोड़ों का नुकसान पॉवर प्लांट को हो रहा है, वहीं कारोबारी मालामाल हो रहे हैं। संरक्षण की बात करें तो सीसीएल के अधिकारियों की भूमिका इसमें सामने आयी है। बरकाकाना, पतरातू या दूसरी रेलवे साइडिंग से एनटीपीसी, एमपीएल मैथन, पंजाब पॉवर प्लांट, हरियाणा पॉवर प्लांट सहित देश के अन्य पॉवर प्लांट को कोयले की आपूर्ति की जाती है। पॉवर प्लांट को केंद्र सरकार पांच हजार रुपये प्रति टन बेचती है। यही कोयला हॉट कोक कंपनियों को आठ हजार रुपये प्रति टन बेचा जाता है। तीन हजार रुपये का बड़ा गैप होने के कारण तस्कर रेलवे के कुछ अधिकारियों और सीसीएल के कुछ अधिकारियों से मिल कर पॉवर प्लांट को भेजे जाने वाला कोयला खुले बाजार में बेच दे रहे हैं। रेलवे रैक में तीन नंबर का कोयला काला पत्थर और कहीं-कहीं चारकोल मिला कर भेजा जा रहा है। हर दिन 20 हजार टन कोयला रैक से भेजा जा रहा है। तस्करी से होनेवाले फायदे को सीसीएल के अधिकारी, तस्कर, रेलवे के कुछ अधिकारी आपस में बांट ले रहे हैं। कहीं-कहीं कुछ हिस्सा पुलिस को भी मिल रहा है। पॉवर प्लांट को भेजे जानेवाला कोयला को आसपास के इलाके की हॉट कोक कंपनियों और फर्जी कागजात के जरिये बनारस की मंडी भेजा जा रहा है। रेलवे के एक बड़े अधिकारी ने बताया कि तस्करी से रेलवे को कुछ लेना-देना नहीं है। रेलवे माल ले जाने के लिए भाड़ा वसूलती है। उसमें क्या जा रहा है, इससे रेलवे को कोई मतलब नहीं है।
पॉवर प्लांट का कीमती कोयला बेचा जा रहा खुले बाजार में
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