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    Home»Jharkhand Top News»शिक्षा संस्थाएं निभाएं अपनी सामाजिक भूमिका : दत्तात्रेय होसबोले
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    शिक्षा संस्थाएं निभाएं अपनी सामाजिक भूमिका : दत्तात्रेय होसबोले

    Pramod SinghBy Pramod SinghDecember 26, 2023Updated:December 26, 2023No Comments3 Mins Read
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    -शिक्षा नीति क्रियान्वयन और आत्मनिर्भर भारत की दृष्टि से जो प्रयोग चल रहे हैं उसे और आगे बढ़ना चाहिए
    रांची। भारतीय ज्ञान परंपरा पर आज सही समय पर चर्चा समस्त भारत में हो रही है। इसी दृष्टि से समाज के लोगों को साथ लेकर कार्य करने की आवश्यकता है। भारत गौरव, हमारी परिवार व्यवस्था, सामाजिक व्यवस्था, पर्यावरण, सस्टेनेबल डिवेलपमेंट जैसे विषय शिक्षा में सम्मिलित किये जाने चाहिए, देश में आज अनेक उदाहरण हैं जहां इन पर सफल प्रयोग चल रहे हैं। यह बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मा. सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास की प्रांत संयोजक बैठक के द्वितीय दिन देशभर से आये कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहीं। उन्होंने महर्षि अरविंदो द्वारा स्वतंत्रता के संदर्भ में कहे गये कथन को दोहराते हुए कहा कि आज हमें तीन महत्वपूर्ण कार्य करने की आवश्यकता है। भारत का जो ज्ञान का भंडार है उसे संग्रहित व संकलित करना। दूसरा संकलित ज्ञान के भंडार को वर्तमान युग के अनुसार इंटर्प्रेट करना जो अनुकूल है उसे रखना बाकी को त्याग देना और तीसरा महत्वपूर्ण व सबसे कठीन कार्य है नये ज्ञान का सृजन करना। उन्होंने आगे कहा कि ज्ञान की आराधना करने वाले ज्ञान तपस्वी के लिए भारत योग्य भूमि है। हम यह कर सकते हैं, हमें आलस्य को, स्वार्थ को, सदियों की गुलामी की मानसिकता को त्याग कर आगे कार्य करने की आवश्यकता है। एआइ, बायोसाइयंस जैसे विषयों का भी अध्ययन कर हमें कार्य करने की आवश्यकता है।
    सत्र को संबोधित करते हुए शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव डॉ अतुल कोठारी ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति क्रियान्वयन तथा आत्मनिर्भर भारत जैसे विषयों को न्यास अभियान के रूप में लेकर कार्य कर रहा है। उन्होंने आगे कहा कि न्यास का लक्ष्य देश की शिक्षा को नया विकल्प देना है। यह सिर्फ़ नारा नहीं है, न्यास कोई भी बात करता है वो पहले प्रत्यक्ष अनुभव करता है उसके बाद बोलता है और यही भारतीय पद्धति व परंपरा है। हमारा सौभाग्य है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति – 2020 आयी जो देश का भविष्य बदलने वाली है। उन्होंने आगे कहा कि लोकतंत्र में सरकार और समाज एक रेल के दो पहिए की तरह हैं दोनों के समन्वय और संतुलन से ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति का पूर्ण रूप से क्रियान्वयन संभव है। बैठक के विषय में जानकारी देते हुए क्षेत्र संयोजक चंद्रशेखर कछावा ने बताया कि इस दो दिवसीय बैठक में शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के कार्यों का अनुवर्तन व आगामी योजना पर चर्चा हुई। आगामी योजना के अंतर्गत न्यास वैदिक अंक गणित, बीज गणित, ज्यामिति का पाठ्यक्रम तैयार कर रहा है, साथ ही शोध, पर्यावरण, तकनीकी शिक्षा, चरित्र निर्माण, शिक्षक-शिक्षा जैसे न्यास के सभी विषयों पर राष्ट्रीय संगोष्ठी व कार्यशाला आयोजित करेगा। दुर्गाप्रसाद अग्रवाल ने बताया कि इस दो दिवसीय प्रांत संयोजक बैठक में चयनित 20 से अधिक विश्वविद्यालयों व अखिल भारतीय स्तर की संस्थानों के कुलपतियों व निदेशकों ने सहभागिता की।
    प्रांत संयोजक नितिन कासलीवाल ने बताया कि इस दो दिवसीय बैठक में उत्तर पूर्व, बंगाल, केरल, तमिलनाडु, जम्मू, हरियाणा, गुजरात समेत कुल 30 से अधिक प्रांतों से 150 से अधिक प्रमुख कार्यकर्ता उपस्थित रहे। इसके अतिरिक्त इग्नू के कुलपति नागेश्वर राव, भारतीय विश्वविद्यालय संघ की महासचिव डॉ पंकज मित्तल, गुरु घासिदास विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आलोक चक्रवाल, झारखंड राय विश्वविद्यालय के कुलपति सविता सेंगर, रानी दुर्गावती विवि, जबलपुर के कुलपति राजेश वर्मा, म.प्र. हिंदी ग्रंथ अकादमी के संचालक अशोक कड़ेल, गुजरात साहित्य अकादमी के महासचिव जयेंद्र जाधव विशेष रूप से उपस्थित हैं। सत्र का संचालन भारतीय भाषा मंच के राष्ट्रीय संयोजक राजेश्वर पराशर ने किया।

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