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    Home»Jharkhand Top News»बंद हो गया फर्जी नक्सली सरेंडर कांड का अनुसंधान
    Jharkhand Top News

    बंद हो गया फर्जी नक्सली सरेंडर कांड का अनुसंधान

    azad sipahi deskBy azad sipahi deskJune 10, 2020No Comments3 Mins Read
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    अजय शर्मा
    रांची। झारखंड में आदिवासी युवकों को नक्सली बताकर फर्जी तरीके से सरेंडर करने के मामले में अनुसंधान एक तरह से बंद हो गया है। इस मामले में कई आइपीएस अधिकारी लपेटे में हैं। लिहाजा पुलिस ने दिग्दर्शन इंस्टीट्यूट के मालिक दिनेश प्रजापति, पुलिस के लिए काम करने वाले रवि बोदरा और एक अन्य के विरुद्ध चार्जशीट कर अपना अनुसंधान पूरा मान बैठी है। इस फर्जी सरेंडर मामले में भी अगर उच्चस्तरीय जांच हुई, तो इसकी आंच कई आइपीएस अधिकारियों को लपेटे में ले सकती है। इसलिए अधिकारियों ने बीच का रास्ता निकाला है। तीन लोगों पर चार्जशीट कर अनुसंधान एक तरह से बंद कर दिया।
    झारखंड के वर्तमान डीजीपी एमवी राव वर्ष 2014 में सीआरपीएफ के आइजी थे। वह एक बार रांची के पुराने जेल पहुंचे थे। उनके साथ सीआरपीएफ के डीआइजी भी थे। आइजी ने एक रिपोर्ट देकर उस समय यह खुलासा किया था कि सीआरपीएफ की कोबरा बटालियन को फर्जी तरीके से सरेंडर कराये गये 514 आदिवासी युवकों की सुरक्षा में लगाया गया है, जो ठीक नहीं है। इसके बाद पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया था। इस संबंध में कई मामले भी दर्ज किये गये थे।
    सीएम हेमंत सोरेन थे विपक्ष के नेता
    सीएम हेमंत सोरेन उस समय विपक्ष के नेता थे। उन्होंने दोषी पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की थी। साथ ही इस पूरे मामले की जांच सीबीआइ से कराने का अनुरोध भी किया था। उन्होंने पीड़ित आदिवासी युवकों को मुआवजा दिलाने और सरकारी नौकरी देने की मांग भी की थी।
    क्या है मामला
    झारखंड के कुछ पुलिस अधिकारियों ने राज्य भर के 514 आदिवासी युवकों को सरेंडर करा दिया था। उन्हें यह झांसा दिया गया था कि सभी को नौकरी दे दी जायेगी। आदिवासी युवकों ने अपनी जमीन बेचकर, मां के गहने बेचकर तो कोई घर बेचकर सीआरपीएफ के अधिकारियों को पैसा दिया था। इन युवकों के खाने में जो खर्च हुआ, उसका भुगतान उस समय की सरकार ने किया था। इस मामले में झारखंड कैडर के कई आइपीएस अधिकारी भी शामिल हैं। रांची पुलिस की जांच उन तक नहीं पहुंच पायी।
    दलालों को दोषी बताया
    सब कुछ झारखंड के कुछ आइपीएस अधिकारी और सीआरपीएफ के कई कमांडेंट ने किया। पुलिस की जांच दलालों तक आकर टिक गयी। इस मामले के पीड़ित युवक अब भी न्याय की उम्मीद लगाये हैं।
    क्या कहता है कृष्णा
    खूंटी का रहने वाला कृष्णा गरीब परिवार से आता है। उसने बताया कि जब रांची पुलिस ने इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की, तो वह कोर्ट गया था। न्यायालय ने भी इस पर कोई फैसला नहीं दिया है। यानि रांची पुलिस अब भी जांच कर सकती है। पुलिस के कुछ अधिकारी दबाव बनाये हुए हैं कि इसमें कोई कार्रवाई नहीं हो।

    Research on fake naxalite surrender case stopped
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