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    Home»विशेष»धर्म-पर्व»क्या है निशान साहिब, जिसे पवित्र ध्वज मानते हैं सिख
    धर्म-पर्व

    क्या है निशान साहिब, जिसे पवित्र ध्वज मानते हैं सिख

    sonu kumarBy sonu kumarJanuary 27, 2021No Comments2 Mins Read
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    गणतंत्र दिवस पर जब कुछ किसान ट्रैक्टर रैली के लिए तय रूट को तोड़ते हुए लाल किले में घुस गए तो अफरातफरा फैल गई. वहां फहरे राष्ट्रीय ध्वज के बगल में खाली पड़े पोल में कुछ युवकों ने पीले रंग के एक तिकोने ध्वज को फहरा दिया. तब से इसे लेकर काफी चर्चाएं चल रही हैं. ये पूछा जा रहा है कि ये ध्वज आखिर किस बात का प्रतीक है. इसे लाल किले पर क्यों लगाया गया.

    इसे निशान साहिब कहा जाता है. सिखों के लिए ये ऐसा पवित्र ध्वज होता है जो हर गुरुद्वारे के बाहर फहराता रहता है. इसे वो अपनी धार्मिक रैलियों या धार्मिक-राजनीतिक रैलियों में भी इस्तेमाल करते हं. अपने वाहनों में सबसे ऊपर लगाकर भी चलते हैं. भारतीय सेना की सिख रेजीमेंट में ये उनके हर गुरुद्वारे पर होता है. जब रेजीमेंट एक जगह से दूसरी जगह जाती है तो उनका गुरुद्वारा भी साथ जाता है. तब निशान साहिब भी ले जाया जाता है. सेना के अफसरों और जवानों में निशान साहिब को लेकर बहुत सम्मान होता है.

    ये पवित्र त्रिकोणीय ध्वज कॉटन या रेशम के कपड़े का बना होता. इसके सिरे पर एक रेशम की लटकन होती है. इसे हर गुरुद्वारे के बाहर, एक ऊंचे ध्वजडंड पर फ़ैहराया जाता है. परंपरानुसार निशान साहब को फ़ैहरा रहे डंड में ध्वजकलश(ध्वजडंड का शिखर) के रूप में एक दोधारी खंडा (तलवार) होता है और डंड को पूरी तरह कपड़े से लपेटा जाता है. झंडे के केंद्र में एक खंडा चिह्न (☬) होता है.

    निशान साहिब खालसा पंथ का पारंपरागक प्रतीक है. काफ़ी ऊंचाई पर फ़ैहराए जाने के कारण निशान साहिब को दूर से ही देखा जा सकता है. किसी भी जगह पर इसके फहरने का मतलब वहां खालसा पंथ की मौजूदगी होती है. हर बैसाखी पर इसे नीचे उतारा जाता है. फिर नए ध्वज से बदल दिया जाता है. सिख इतिहास के प्रारंभिक काल में निशान साहिब की पृष्ठभूमि लाल रंग की थी. फ़िर इस का रंग सफ़ेद हुआ और फिर केसरिया.

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