रांची। झारखंड में नेतृत्वविहीन कांग्रेस डॉ अजय कुमार के इस्तीफे के बाद से कोमा में है। पार्टी की हालत उस नाव की तरह है, जिसकी पतवार अचानक गिर कर पानी में गुम हो चुकी है। बुजुर्ग नेताओं का बोझ ढो रही पार्टी सांस लेने के लिए भी हांफ रही है। पर वर्तमान नेतृत्व और परिस्थितियां पार्टी में नयी सांसों का स्पेश निर्मित होने ही नहीं दे रही हैं। इन परिस्थितियों में संभावना यह है कि पार्टी आलमगीर आलम या सुखदेव भगत में से किसी एक को पार्टी का नया प्रदेश अध्यक्ष बनाये और विधानसभा चुनावों में अपनी चुनावी नैया पार लगाये। प्रदेश अध्यक्ष के दावेदार के रूप में एक नाम सुबोधकांत सहाय तो दूसरी नाम खूंटी के कालीचरण मुंडा का भी है, पर इन दोनों पर पार्टी दांव लगायेगी, इसकी संभावना कम है। प्रदेश अध्यक्ष बनने की अधिक संभावना आलमगीर आलम की है, क्योंकि पार्टी में उनका चेहरा ना काहू से दोस्ती, ना काहू से बैर हैं। उनके नाम पर विवाद की संभावना नहीं है। वे पार्टी विधायक दल के नेता भी हैं। पार्टी में डॉ अजय से पहले सुखदेव भगत भी अध्यक्ष रह चुके हैं, पर उनके नाम के साथ विवाद जुड़ा हुआ है और पार्टी फिर किसी विवादित चेहरे को नेतृत्व देकर नया बखेड़ा करना नहीं चाहेगी। उनकी कार्यशैली पर प्रदीप बलमुचू ने सवाल उठाये थे। आलमगीर आलम के साथ प्लस प्वाइंट यह है कि अपने इस्तीफे में जिस नेता की डॉ अजय कुमार ने प्रशंसा की है वह आलमगीर आलम ही हैं। अजय ने उन्हें अपना प्रतिष्ठित सहयोगी बताया है। इस पर प्रस्तुत है दयानंद राय की रिपोर्ट।
Author: azad sipahi desk
बालूमाथ। बालूमाथ प्रखंड स्थित दुर्गा मंडप में रविवार को सैकड़ों ग्रामीणों को मशरूम की खेती का ट्रेनिंग दिया गया। इस दौरान ट्रेनिंग करा रहे लाल अरविंद नाथ शाहदेव ने मशरुम की खेती की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि किस तरह मशरूम की खेती करनी है, किन-किन चीजों पर ध्यान देना है, क्या सावधानियां बरतनी चाहिए। वही अभी तक छह हजार किसान इस खेती का लाभ उठा चुके हैं और आगे भी उठायेंगे। यह ट्रेनिंग झारखंड के अलावे उड़ीसा, छत्तीसगढ़ सहित अन्य जगहों पर दिया जाता है। ये लोग थे मौके पर मौके पर नरेश लोहरा, फलूमंत मिंज, प्रभू टोप्पो,…
जम्मू में फोन शुरू, लेह में इंटरनेट चालू
श्रीनगर : एक-दूसरे के धुर विरोधी उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती को आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद पिछले हफ्ते हरि निवास महल में हिरासत में रखा गया था। अधिकारियों ने बताया है कि इस दौरान दोनों के बीच विवाद इतना अधिक बढ़ गया कि उन्हें अलग करना पड़ा। दरअसल, दोनों एक-दूसरे पर राज्य में भारतीय जनता पार्टी को लाने का आरोप मढ़ रहे थे। महबूबा पर चिल्ला पड़े उमर इसी बीच, उमर महबूबा पर चिल्ला पड़े और उन पर और उनके दिवंगत पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद पर बीजेपी से 2015 और 2018 में गठबंधन करने के लिए ताना जड़…