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खबर विशेष में आज हम बात कर रहे हैं भाजपा के संथाल फतह की रणनीति की। लंबे अरसे के बाद भाजपा ने आखिरकार इस लोकसभा चुनाव में संथाल फतह कर ही ली। फतह ऐसी की झारखंड के सबसे बड़े आदिवासी नेता को मुंह की खानी पड़ी। इतना ही नहीं झाविमो और कांग्रेस के दिग्गजों को भी उनके ही मैदान में जबरदस्त पटखनी दी। चाहे वह झाविमो के प्रदीप यादव हों या चुन्ना सिंह, कांग्रेस के आलमगीर आलम या झामुमो के शशांक शेखर भोक्ता और सीता सोरेन। सभी को उसके ही किले में घुसकर भाजपा ने परास्त किया है। भाजपा ने यह करिश्मा एक दिन में नहीं किया है। पिछले पांच वर्ष से संथाल पत: पर भाजपा काम कर रही थी। आदिवासी बहुल इस इलाके में विकास की बयार के साथ आमजन को जोड़कर भाजपा ने यह करिश्मा किया है। विकास के साथ संगठन को भी भाजपा ने यहां विकसित किया है। नतीजा सामने है, भाजपा ने संथाल की तीन सीट में से दो पर जीत हासिल की है। कैसे संथाल के किले पर भाजपा ने किया कब्जा, कौन थे इसके सूत्रधार और कैसे गुरुजी के अजेय रथ को भाजपा ने संथाल में रोका इसपर प्रकाश डाल रहे हैं आजाद सिपाही के राजनीतिक संपादक ज्ञान रंजन।