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जैसा कि हारने के बाद अमूमन राजनीतिक पार्टियोें में होता है, भाजपा में भी सन्नाटा पसरा हुआ है। पार्टी के नेता और कार्यकर्ता हार के कारणोें पर चर्चा निजी तौर पर कर रहे हैं, पर साफ तौर पर कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं है। पार्टी आलाकमान कह रहा है कि वह हार की समीक्षा करेगा, पर झारखंड में हार की समीक्षा के लिए कोई बैठक अभी तक नहीं हुई है। हालांकि रघुवर दास ने हार की जिम्मेवारी ली है और अमित शाह भी झारखंड में भाजपा को मिली हार की जिम्मेवारी खुद ले चुके हैं, पर सच्चाई तो यह है कि ऐसी जिम्मेवारी उठाने से भाजपा को कोई फायदा नहीं होनेवाला, क्योंकि पार्टी की झारखंड में हार के एक नहीं कई कारण हैं और इन सब कारणों का सामूहिक नुकसान पार्टी को उठाना पड़ा है। भाजपा की झारखंड विधानसभा चुनाव में हुई हार के कई कारण सतह पर हैं और वे आसानी से दिखाई भी दे रहे हैं, पर कई कारण ऐसे हैं, जिनकी ओर न तो पार्टी का ध्यान है और न कार्यकर्ता और नेता ही इस ओर सोच पा रहे हैं। झारखंड विधानसभा चुनाव मेें 65 प्लस सीटें जीतने का लक्ष्य लेकर उतरी भाजपा की चुनाव में हुई दुर्गति के कारणों की विवेचना करती दयानंद राय की रिपोर्ट।

मोमेंटम झारखंड में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए जनसभा एनजीओ ने आवेदन देकर एसीबी से जांच कराने की मांग की है। इस पर पूर्व नगर विकास मंत्री सीपी सिंह ने आजाद के सिपाही संवाददाता सुनील सिंह से खास बातचीत की। प्रस्तुत है बातचीत के मुख्य अंश।

अच्छा रिसीवर वह होता है, जो कमजोर सिग्नल भी मजबूती से पकड़े और अच्छा मुख्यमंत्री वह होता है, जो विपरीत परिस्थितियों के बावजूद जनता की उम्मीदों पर खरा उतरे। हेमंत सोरेन ने 23 दिसंबर को झारखंड विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद अपने हर कदम और बयानों से यह साबित किया कि वह झारखंड की जनता की उम्मीदों पर खरे हैं और नायक बनने की दक्षता, क्षमता और ऊर्जा उनमें कूट-कूट कर भरी हुई है। उन्हें झारखंडी मानस की आकांक्षाओं की जानकारी तो है ही, राज्य की समस्याओं की समझ भी है। नौकरशाही उनके नेतृत्व में कैसे काम करे, इसका संकेत वे दे चुके हैं और समन्वय और सहयोग की सरकार वह कैसे चलायेंगे इसका भी परिचय उन्होंने दे दिया है। हेमंत सोरेन के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने और उनके नेतृत्व में झारखंड के कायाकल्प की उनकी कोशिशों को रेखांकित करती दयानंद राय की रिपोर्ट।