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किसी के दबाव में न आकर और अपने दम पर 52 सीटों पर उम्मीदवार उतारकर जहां आजसू ने अपनी ताकत दिखायी है, वहीं एकला चलो की राह पर चलते हुए झाविमो सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी ने भी अपनी तथा अपनी पार्टी का दमखम साबित किया है। दरअसल सुदेश महतो हों या बाबूलाल मरांडी, इन दोनों ने राजनीति की शतरंज पर ऐसी चाल चली है कि भाजपा को न सिर्फ यह दोहराना पड़ा है कि चुनाव के बाद भी भाजपा आजसू के साथ रहेगी, बल्कि अमित शाह को बाबूलाल को साधने का प्रयास भी करना पड़ा है। भाजपा झारखंड में किसी भी कीमत पर दुबारा सरकार बनाना चाहती है और इस काम में उसे साझीदार की जरूरत महसूस होने लगी है। बीते चुनाव में भाजपा और आजसू के गठबंधन ने पार्टी का मजबूत सरकार बनाने और चलाने में मदद की थी। इस दफा भी भाजपा कुछ-कुछ ऐसा ही रिजल्ट चाहती है। भाजपा के राष्टÑीय अध्यक्ष अमित शाह के बयान के निहितार्थ और झारखंड में झाविमो तथा आजसू की बढ़ती ताकत को रेखांकित करती दयानंद राय की रिपोर्ट।

झारखंड विधानसभा का यह चुनाव कई मायनों में बेहद महत्वपूर्ण है। किसी की जीत और किसी की हार से इतर इस चुनाव की अहमियत इसलिए भी है कि इसके परिणाम से राज्य के चार प्रमुख राजनीतिक दलों के सुप्रीमो के सियासी भविष्य का फैसला होगा। भाजपा के नेतृत्वकर्ता मुख्यमंत्री रघुवर दास और झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन की साख अगर दांव पर लगी है, तो झारखंड विकास मोर्चा के केंद्रीय अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी और आजसू पार्टी के सुप्रीमो सुदेश कुमार महतो की आगे की राजनीति की दशा-दिशा क्या होगी, यह इस चुनाव के नतीजों से तय होगा। ये चारों योद्धा चुनावी रणक्षेत्र में अपने युद्ध कौशल और शौर्य का जैसा प्रदर्शन करेंगे, उसी के आधार पर उनकी पार्टियों की हैसियत भी निर्धारित होगी। इन चारों से उनके समर्थकों और कार्यकर्ताओं की उम्मीदें जुड़ी हैं। इनके सामने सिर्फ अपनी सीट पर फतह हासिल करने चुनौती ही नहीं है, बल्कि इन पर पूरी पार्टी का दारोमदार है। इन्हें कुछ ऐसा करना है, जिससे ये खुद को बेहतर नेता भी साबित कर सकें, जिसके लिए इनके दल और नेताओं ने इन पर ऐतबार किया है। ऐसे में यदि चूक हुई, तो ये न सिर्फ सत्ता और सल्तनत की रेस में पिछडेंगे, बल्कि कार्यकर्ताओं और नेताओं का भरोसा भी डिगेगा। सफलता का श्रेय भी इन्हें ही मिलेगा, तो विफलता का ठिकरा भी इन्हीं के सिर फूटेगा। चारों शीर्ष नेताओं की चुनौतियों पर निगाह डालती दीपेश कुमार की स्पेशल रिपोर्ट।