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यदि जिंदगी हर पल इम्तिहान लेती है, तो राजनीति का मैदान भी राजनेताओं के लिए चुनौतियों और संभावनाओं का द्वार एक साथ खुला रखता है। राजनीति के इम्तिहान में जो चुनौतियों का सामना करते हुए इसे अवसर में तब्दील कर लेते हैं, उनके सिर जनता सत्ता का ताज सजा देती है और जो जनता की उम्मीदों पर खरे नहीं उतरते, उन्हें विफलता का मुंह देखना पड़ता है। झारखंड में सात दिसंबर को होनेवाले दूसरे चरण के चुनाव में पाला बदलकर चुनाव लड़ने वाले छह दिग्गजों को कड़ी चुनौती से जूझना पड़ रहा है। इस चुनाव में इन दिग्गजों को जहां खुद को साबित करना है, वहीं उनके दलों को भी कड़ी परीक्षा देनी है। दूसरे चरण के चुनाव में झारखंड के दिग्गज नेताओं की राजनीति और उनकी चुनौतियों की पड़ताल करती दयानंद राय की रिपोर्ट।

चरही में जेवीएम प्रत्याशी चंद्रनाथ के लिए झाविमो सुप्रीमो की चुनावी जनसभा चरही। झारखंड विकास मोर्चा के सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी…

30 नवंबर को झारखंड में पहले चरण का मतदान समाप्त होने के बाद राजनीतिक दलों और राजनीति के पंडितों की निगाहें दूसरे चरण की 20 सीटों पर जाकर अटक गयी हैं। वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव में इन बीस सीटों में से भाजपा और झामुमो ने आठ-आठ सीटों पर जीत हासिल की थी। वहीं आजसू दो सीटोें पर, कांग्रेस एक सीट पर और जय भारत समानता पार्टी के टिकट पर जगन्नाथपुर सीट से गीता कोड़ा ने विजय हासिल की थी। गीता कोड़ा अब विधायक से प्रमोशन पाकर सिंहभूम से सांसद बन चुकी हैं। दूसरे चरण की इन 20 सीटों में 13 सीटें कोल्हान और सात सीटें दक्षिणी छोटानागपुर प्रमंडल की हैं और इन सभी सीटों में सबसे हॉट जमशेदपुर पूर्वी है, जहां से मुख्यमंत्री रघुवर दास चुनाव के मैदान में हैं, वहीं जमशेदपुर पश्चिमी सीट से टिकट कटने के बाद इस सीट से सरयू राय बतौर निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में हैं। इस मुकाबले को चतुष्कोणीय बनाते हुए तीसरे कोण पर कांग्रेस के प्रत्याशी और एक्सएलआरआइ के प्रोफेसर गौरव बल्लभ तथा चौथे कोण पर झाविमो के अभय सिंह चुनाव के मैदान में हैं। इन सीटों में जहां कोल्हान की 13 सीटों पर झामुमो के सामने अपना गढ़ बचाने की चुनौती है, वहीं भाजपा के सामने खुद को साबित करने की। आजसू और कांग्रेस इस चरण में अपनी जीती हुई सीटों पर कब्जा बरकरार रखने की कोशिश करेंगी। वहीं जय भारत समानता पार्टी का अब कांग्रेस में विलय हो चुका है। जमशेदपुर पूर्वी सीट को केंद्र में रखते हुए इन 20 सीटों पर भाजपा और झामुमो की चुनौतियों पर नजर डालती दयानंद राय की रिपोर्ट।