आजाद सिपाही से खास बातचीत में बोले विधायक जयप्रकाश भाई पटेल
Browsing: विशेष
विधानसभा चुनाव से ठीक पहले टिकट की समस्या हर दल में विकट हो चुकी है। हाल यह है कि हर दल में, चाहे वह सत्तारूढ़ भाजपा हो या उसकी सहयोगी आजसू, प्रमुख विपक्षी झामुमो हो या कांग्रेस या फिर झाविमो, सभी में टिकट को लेकर एक अनार और सौ बीमार की स्थिति है। भाजपा में टिकट के बंटवारे की समस्या गंभीर इसलिए हो गयी है, क्योंकि इस पार्टी में एक-एक विधानसभा क्षेत्र के लिए कई कद्दावर दावेदार हैं। ऐसे में टिकट का बंटवारा भाजपा के प्रदेश नेतृत्व और आलाकमान दोनों के लिए आसान नहीं रह गया है। हालांकि पार्टी ने टिकट के बंटवारे की प्रक्रिया को आसान और कार्यकर्ताओं के मिजाज के अनुरूप बनाने के लिए उनके साथ रायशुमारी की है, पर यह लगभग तय है कि टिकट बंटवारे के बाद हर नेता और कार्यकर्ता को खुश करना भाजपा के लिए आसान नहीं होगा। झारखंड में टिकट बंटवारे से पूर्व भाजपा की चुनौतियों और उसके संभावित परिणामों को रेखांकित करती दयानंद राय की रिपोर्ट।
रांची। भाजपा प्रदेश चुनाव समिति की मैराथन बैठक में बुधवार को सभी 81 सीटों के लिए संभावित उम्मीदवारों की सूची…
रांची। झामुमो ने 41 से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है। यह फैसला पार्टी की कार्यसमिति की…
रांची। झाविमो की दो दिनी रायशुमारी बुधवार को संपन्न हो गयी। इसमें तमाम नेता प्रत्याशियों के चयन से ज्यादा एकजुट…
रांची। झारखंड विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया औपचारिक रूप से बुधवार को शुरू हो गयी। राज्य की 81 विधानसभा सीटों के…
समर्पित कार्यकर्ताओं की लंबी फेहरिस्त, आलाकमान के दरबार में ही आखिरी फैसला
रांची। झारखंड में 81 सदस्यीय विधानसभा के चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो गयी है। और इसके साथ ही राजनीतिक दल भी पूरी तरह चुनावी मोड में आ गये हैं। प्रत्याशियों के चयन से पहले चुनाव पूर्व गठबंधन को कोशिशों का कुल जमा यही हासिल हुआ है कि राज्य की अधिकांश सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबले की जमीन तैयार हो गयी है।
इस त्रिकोणीय मुकाबले का एक कोण जहां सत्तारूढ़ भाजपा और आजसू है, वहीं दूसरे कोण पर झामुमो के नेतृत्व वाला गठबंधन है, जिसमें कांग्रेस, राजद और दूसरे छोटे दल हैं। तीसरा कोण बाबूलाल मरांडी का झारखंड विकास मोर्चा बना रहा है, जिसने सभी 81 सीटों पर उम्मीदवार उतारने की घोषणा कर दी है। यह तो बड़ी तसवीर है, लेकिन यह भी सच है कि राज्य की करीब दर्जन भर सीटें ऐसी हैं, जहां भाजपा और आजसू या झामुमो और कांग्रेस के बीच दोस्ताना संघर्ष हो सकता है।
वैसे तो कोई भी संघर्ष दोस्ताना नहीं होता, लेकिन भारतीय चुनाव में इसका धड़ल्ले से इस्तेमाल किया जाता है। विधानसभा चुनाव के पहले चरण की प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही चुनाव की पूरी तसवीर पर निगाह डालती हमारे पॉलिटिकल ब्यूरो की यह स्पेशल रिपोर्ट।
आजाद सिपाही संवाददाता रांची। विधानसभा चुनाव में 65 प्लस का लक्ष्य लेकर चल रही भाजपा की पूरी मशीनरी चुनावी मोड…
फिलहाल दो माह के लिए गुमला से विशेष शाखा में भेजे गये
बड़कागांव के थानेदार रह चुके मुकेश पर विभाग है मेहरबान
रांची। विपक्षी महागठबंधन पर गहरा रहे संकट के बादलों के मद्देनजर झामुमो में क्राइसिस मैनेजमेंट की कवायद शुरू हो गयी…