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राजनीति में हर हार और जीत के पीछे एक नहीं, कई वजहें होती हैं। उनमें कुछ प्रमुख होती हैं, तो कुछ सेकेंडरी। पर इनके सम्मिलित प्रभाव से किसी नेता या पार्टी की जीत या हार तय होती है। झारखंड विधानसभा चुनाव में भाजपा को मिली हार ने पार्टी को इसके पीछे के कारणों पर मंथन के लिए विवश कर दिया है। इस मंथन से पार्टी को कई वजहें भी मिली हैं और कई बाद में भी मिलेंगी। झारखंड में और खासकर कोल्हान में भाजपा का सूपड़ा साफ होने की एक नहीं, कई वजहें थीं। कोल्हान में चुनावी मोर्चे पर पार्टी की दुर्गति के कारणों को खंगालती दयानंद राय की रिपोर्ट।

रांची। हेमंत सरकार काम करके दिखाने वाली सरकार साबित होगी, ना कि बोलने वाली। लगन, परिश्रम और सच्ची निष्ठा हो, तो कामयाबी स्वत: बाहें फैलाये स्वागत करती है। ये अल्फाज झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव सह प्रवक्ता विनोद पांडेय के हैं। उन्होंने अपनी जिंदगी के सुनहरे 35 साल झारखंड मुक्ति मोर्चा को समर्पित किया है। तमाम विषम परिस्थितियों और प्रशासनिक दबावों के बावजूद इन्होंने कभी शिबू सोरेन और हेमंत सोरेन का साथ नहीं छोड़ा। छात्र जीवन में उन्होंने दिशोम गुरु शिबू सोरेन का नेतृत्व स्वीकारा। तब से लेकर आज तक वह गुरुजी के साथ परछार्इं की तरह रहते हैं। जब भी उनके सामने गुरुजी का जिक्र होता है, वह कहीं अतीत में खो जाते हैं। भावुक हो जाते हैं। उन्हें गुरुजी के साथ बिताये वे पल याद आने लगते हैं, जब कभी गुरुजी उनकी खुली जीप में बैठ खुद ड्राइविंग करने लगते थे। उनके सिर पर हाथ फेरते रहते थे। पहले जब गुरुजी रांची आते थे, तो वह उनके घर पर रहना ही पसंद करते थे। वे कहते हैं: गुरुजी पलंग पर नहीं, जमीन पर सोना पसंद करते हैं। कहते हैं: कभी गुरुजी के साथ बाहर जाने पर गुरुजी होटल में जमीन पर सो जाया करते थे और हम लोगों को पलंग पर सुला देते थे। हेमंत सोरेन के रणनीतिकारों में भी इनकी गिनती होती है। यह झारखंड मुक्ति मोर्चा के उन सिपाहियों में से एक हैं, जिनके रूह में पार्टी की परंपरा और सोच बसती है। राहुल सिंह के साथ विनोद पांडेय ने बातचीत की। उसी बातचीत के प्रमुख अंश-

सुबोध सिंह पवार
धनबाद का बाघमारा विधानसभा क्षेत्र आतंक और दहशत का पर्याय बना हुआ है, बल्कि यूं कहें कि यहां जंगल राज कायम है। इस राज के राजा को लोग टाइगर के नाम से जानते हैं। वह बेखौफ है और कानून से खुद को ऊपर मानता है। जिसने उसके खिलाफ बोलने की जुर्रत की, उसे विभिन्न हथकंडे अपना कर प्रताड़ित करते हुए अपने सामने झुकने पर मजबूर कर देता है। उसकी दहशतगर्दी के कारनामों से सब वाकिफ हैं। फिर भी व्यवस्था उसका बाल बांका तक नहीं कर पाती। आतंक का साम्राज्य चलानेवाला यह शख्स और कोई नहीं, बल्कि धनबाद चैंबर आॅफ कामर्स की मानें, तो वह भाजपा विधायक ढुल्लू महतो है। वह कई गंभीर मामलों में नामजद आरोपी और कई मामलों में घोषित वारंटी भी है। वह दोषसिद्ध मुजरिम भी है और अपनी समानांतर व्यवस्था को टिकाये रखने के लिए टाइगर फोर्स का संस्थापक भी।

कहा जाता है कि जब आप बेहद गुस्से में हों या बहुत खुश हों, तो किसी से कोई वादा न करें। लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में राजनेताओं के लिए यह बात सबसे जरूरी होती है। झारखंड में हेमंत सोरेन यह बात अच्छी तरह से आत्मसात कर चुके हैं। विधानसभा चुनाव में ऐतिहासिक जीत हासिल करने के बाद हेमंत सोरेन ने जिस शालीनता का परिचय दिया है और हर रोज दे रहे हैं, वह सामान्य बात नहीं है। पिछले पांच साल से लगातार राजनीतिक विरोधियों के निशाने पर रहे हेमंत के लिए धैर्य और हिम्मत बनाये रखना बेहद मुश्किल काम था, लेकिन उन्होंने कभी न खुद को और न ही अपनी पार्टी को भटकने दिया। इसी शालीनता से उन्हें देश की राजनीति के फलक पर लाकर खड़ा कर दिया है। पिछले एक सप्ताह के दौरान हेमंत सोरेन के इस बदलाव पर पेश है आजाद सिपाही पॉलिटिकल ब्यूरो की खास रिपोर्ट।