दयानंद राय रांची। विधानसभा के नये भवन के निर्माण में बरती गयी गड़बड़ी एक बार फिर सामने आयी है। इस…
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साढ़े चार महीने से चल रही कोरोना के खिलाफ लड़ाई ने झारखंड को बुरी तरह प्रभावित किया है। इसके बावजूद…
अयोध्या में श्रीराम मंदिर का शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कर दिया है और अगले साढ़े तीन साल में दुनिया का सबसे भव्य मंदिर बन कर तैयार हो जायेगा। अयोध्या में हुआ शिलान्यास और भूमि पूजन केवल एक मंदिर का शिलान्यास नहीं है, बल्कि यह भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण की शुरुआत है। इसलिए अयोध्या में बननेवाला श्रीराम जन्मभूमि मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं होगा, बल्कि यह भारत को एक सूत्र में पिरोनेवाली उस अदृश्य शक्ति का प्रतीक भी होगा, जिसे भगवान श्री राम कहा जाता है। राम को मर्यादा पुरुषोत्तम इसलिए कहा जाता है, क्
राम मंदिर के शिलान्यास ने पूरे भारत को एक कर दिया ’भगवान राम को इसलिए ही कहा जाता है मर्यादा…
श्रीराम जन्मभूमि के ठीक पीछे स्थित कुबेर टीला से छेड़छाड़ किये बगैर भव्य राम मंदिर बनेगा। इसे लेकर श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट और प्रशासन ने रणनीति बना ली है। इसी के साथ कुबेर टीला को संरक्षित करने की योजना पर काम शुरू हो गया है। श्रीराम जन्मभूमि परिसर के दक्षिणी-पश्चिम किनारे पर स्थित कुबेर टीला भारतीय पुरातत्व
अयोध्या। 84 हजार छह सौ वर्गफुट का विशाल श्रीराम जन्मभूमि मंदिर अब तक बने नागर शैली के मंदिरों में सबसे अलौकिक होगा। एक शिखर और पांच विशाल मंडपों के गुंबद से सुशोभित तीन तल का यह दिव्य मंदिर विश्व भर में अनूठा होगा। शिखर से लेकर अधिष्ठान तक 17 हिस्सों की डिजाइन के साथ हर एक हिस्से के आकार के पिंक स्टोन की माप और लागत तय हो गयी है। अहमदाबाद निवासी मुख्य शिल्पी चंद्रकात सोमपुरा और उनके दोनों पुत्र निखिल
एक नाम धरा पर ऐसा है, जिससे अनगिनत भाव जुड़े हैं। राम, जो सर्वव्यापी है, जो अविनाशी है, जो त्याग की पराकाष्ठा है, जो मानव भेष में महामानव और भगवान है, जो सत्य है, जो धर्म है, जो विजय है, जो अनंत है, जो अविनाशी है, जो भ्रातृत्व है, जो मित्रता है, जो सर्वप्रि
करोड़ों हिंदुओं की आस्था का मंदिर अब बनने जा रहा है। पांच अगस्त 2020 वह ऐतिहासिक दिन होगा, जिस दिन प्रधानमंत्री राम मंदिर का शिलान्यास कर करोड़ों हिंदुओं को उनके प्रिय भगवान राम के मंदिर की सौगात देंगे। राम मंदिर बनना किसी बड़े सपने से कम नहीं है, क्योंकि इसे बनाने में पिछले सैकड़ों सालों का इतिहास है। सैकड़ों साल से संघर्ष की लड़ाई, आंदोलनों की वीरता और लोगों के संयम का फल है कि राम मंदिर बनने का सपना आ
झारखंड सरकार ने प्रदेश में स्कूली शिक्षा की रीढ़ बन चुके पारा टीचरों की कई साल से लंबित मांग को पूरा करने के लिए बड़ा कदम उठा लिया है। राज्य के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो की बातों पर अगर विश्वास करें, तो सचमुच में राज्य के करीब 65 हजार पारा टीचरों को इंसाफ मिलने की उम्मीद जगी है। इससे पहले किसी भी सरकार ने यह पहल नहीं की थी, बल्कि जब-जब इन शिक्षकों ने अपनी आवाज उठायी या आंदोलन किया, तो या तो उन्हें आश्वासन मिला या फिर पुलिस की लाठी।
पीएम रहते हुए पहले कभी अयोध्या नहीं गये नरेंद्र मोदी पांच अगस्त को राम मंदिर निर्माण के लिए किये जा रहे भव्य भूमि पूजन कार्यक्रम में शिरकत करेंगे और निर्माण के लिए पहला पत्थर रखेंगे। इसके साथ ही एक नयी किस्म की राजनीति के युग की भी शुरुआत होने के आसार हैं। आजाद भारत में सबसे लंबे और पेंचीदे कानूनी मुकदमों में से एक रहे राम जन्मभूमि मामले में यह एक निर्विवाद युग की शुरुआत होगी। इतना ही नहीं, 80 के दशक
झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार के लिए वाकई संतोष देनेवाली बात है। अपने कार्यकाल के सात महीने में ही इसने राज्य के उस हक को हासिल करने में कामयाबी हासिल की है, जो आज तक किसी ने नहीं किया था। झारखंड को पहली बार कोयला खनन के लिए उपयोग की जानेवाली सरकारी जमीन के इस्तेमाल के बदले कोल इंडिया ने ढाई सौ करोड़ रुपये दिये हैं औ
