सोशल मीडिया पर भी लगातार कर रहे शालीन व्यवहार
बात 23 दिसंबर के तीसरे पहर की है। झारखंड की पांचवीं विधानसभा के लिए हुए चुनाव के नतीजों से यह बात साफ हो चुकी थी कि झामुमो के नेतृत्व में कांग्रेस और राजद के महागठबंधन ने ऐतिहासिक जीत हासिल की है और हेमंत सोरेन राज्य के अगले मुख्यमंत्री होंगे। मीडियाकर्मियों का हुजूम और आम लोगों की कतार हेमंत सोरेन के सरकारी आवास के बाहर जमा थी और अपने भावी मुख्यमंत्री की एक झलक पाने और उनसे बातचीत के लिए व्यग्र थी। हेमंत सोरेन किसी को भी निराश नहीं कर रहे थे। वह पूरी शालीनता से हरेक व्यक्ति से मिल रहे थे और उनकी बधाई स्वीकार कर रहे थे। शाम को उन्होंने मीडिया से बात की और कहा कि वह नेता नहीं, झारखंड का बेटा बन कर राज्य की सेवा करेंगे। उन्होंने कहा, मैं झारखंड के लोगों को दोबारा भरोसा देना चाहता हूं कि मैं इस जमीन का बेटा बन कर अपने वादों को पूरा करने के लिए काम करूंगा।
यह उस राजनेता का बयान था, जिसने कुछ घंटे पहले झारखंड में ऐतिहासिक जीत हासिल की थी और अपने खिलाफ लगाये गये तमाम आरोपों को एक झटके में साफ कर दिया था। मतगणना की गहमागहमी के बीच भी हेमंत ने अपने संस्कार का परिचय दिया और दिन की शुरुआत अपने माता-पिता के आशीर्वाद से की।
जैसे-जैसे उनकी जीत पर मुहर लगती जा रही थी और हेमंत को अपनी जिम्मेदारियों का एहसास होता जा रहा था, उनका व्यक्तित्व और भी शालीन होता जा रहा था। वैसे हेमंत को नजदीक से जाननेवाले लोग कहते हैं कि वह आम दिनों में भी बेहद शालीन और गंभीर ही रहते हैं।
हेमंत ने 23 दिसंबर को देश भर से आये बधाई संदेशों का व्यक्तिगत तौर पर जवाब दिया, आभार प्रकट किया। चाहे प्रधानमंत्री हों या पूर्ववर्ती सीएम, कांग्रेस अध्यक्ष हों या आजसू सुप्रीमो, हेमंत ने हरेक नेता के बधाई संदेशों का जवाब दिया। इतना ही नहीं, उनके सोशल मीडिया खातों पर जिस व्यक्ति ने जो भी संदेश भेजा, सभी का उन्होंने जवाब दिया। उनके ट्विटर हैंडल पर महज 24 घंटे के भीतर पांच हजार से अधिक बधाई संदेश आये। इन सभी को हेमंत ने लाइक किया और हरेक को धन्यवाद दिया। यह सब इतना आसान नहीं था। दरअसल 20 दिसंबर को आये एग्जिट पोल के नतीजों के बाद से ही उन्होंने अपनी टीम को ताकीद कर दी थी कि किसी भी व्यक्ति के संदेश की अनदेखी नहीं होनी चाहिए। जब वास्तविक जीत हुई, तो हेमंत का व्यक्तित्व और भी निखर कर सामने आया।
अपने आवास पर मिलने के लिए आये लोगों से उन्होंने एक ऐसी अपील की, जिसने उन्हें दुनिया भर में अलग पहचान दिला दी। यह अपील थी बुके के बदले बुक देने की। हेमंत ने अपने ट्विटर हैंडल पर फूलों के गुलदस्तों के ढेर की तस्वीर के साथ ट्वीट किया कि उन्हें लोगों के इस उपहार का यह हश्र देख दुख होता है। इसलिए यदि उन्हें गुलदस्तों की बजाय किताबें भेंट की जाये, तो वह एक पुस्तकालय खोलना चाहेंगे, जिनमें ये किताबें होंगी। इतना ही नहीं, हेमंत ने किताब भेंट करनेवालों से उस पर अपने बारे में दो पंक्तियां लिखने की अपील भी की, ताकि उपहार लानेवाले हरेक व्यक्ति का नाम हमेशा जीवित रहे। हेमंत ऐसी अपील करनेवाले पहले नेता बने और उनकी इस पहल की बहुत तारीफ हुई।
मुख्यमंत्री पद संभालने के बाद हेमंत ने उपहार में मिली किताबों की तसवीर के साथ फिर ट्वीट किया कि ये किताबें नये साल में न केवल उनका ज्ञानवर्द्धन करेंगी, बल्कि आनेवाली पीढ़ियों का पथ प्रदर्शन भी करेंगी। उनके इस ट्वीट से साबित हो गया कि अपने कामकाज और भविष्य के प्रति हेमंत सोरेन कितने गंभीर हैं।
अपने शपथ ग्रहण समारोह में हेमंत ने जिस तरह देश के प्रधानमंत्री, तमाम मुख्यमंत्रियों, बड़े नेताओं और नामचीन हस्तियों को आमंत्रित किया, उसकी चौतरफा तारीफ हुई। शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होनेवाले अतिथियों का जिस तरह ध्यान रखा गया और उन्हें सम्मान मिला, उसने हेमंत को राष्टÑीय फलक पर स्थापित कर दिया। रांची आनेवाले प्रत्येक मेहमान ने हेमंत की मेजबानी की न केवल तारीफ की, बल्कि उनकी सादगी और बालसुलभ चपलता ने उनका मन भी मोह लिया। हेमंत ने जिस अंदाज में अपने हमउम्र राहुल गांधी या अखिलेश यादव या तेजस्वी यादव से मुलाकात की और सभी को समुचित सम्मान दिया, उससे आम लोग भी खूब प्रभावित हुए।
मुख्यमंत्री का पद संभालने के बाद भी हेमंत ने अपने आवास पर आनेवालों को निराश नहीं किया। चाहे वीवीआइपी हों या आम लोग, वह हर किसी से गर्मजोशी से मिले। उन्होंने अपने कामकाज की शुरुआत भी बेहद सधे अंदाज में की। उनके फैसलों में राजनीति कहीं दिखाई नहीं दिखी। राज्य में दो से तीन महीने से मानदेय की आस में बैठे छह लाख परिवारों को उन्होंने राहत दी, मुकदमे का बोझ ढो रहे लोगों को इससे छुटकारा दिलाया और राज्य भर में अलाव की व्यवस्था करने और कंबल बांटने का आदेश दिया।
हेमंत के काम करने का अंदाज और उनकी व्यवहारकुशलता ने झारखंड में एक उम्मीद जतायी है। वह एक ऐसे राजनेता बन कर उभरे हैं, जो न जीत में बौराता है और न विपरीत परिस्थितियों में बौखलाता है। उन्होंने साफ कर दिया है कि वह प्रतिक्रियावादी शासन नहीं चलायेंगे और न बदले की भावना से काम करेंगे। यह हेमंत के विराट व्यक्तित्व का परिचायक है।
झारखंड के 11वें मुख्यमंत्री के रूप में हेमंत सोरेन का आगाज तो शानदार रहा है और राज्य की सवा तीन करोड़ आबादी के सपनों को पूरा करने का बोझ उनके युवा कंधों पर है। लोग उम्मीदों के साथ हेमंत की ओर देख रहे हैं और पूरी उम्मीद है कि वह प्राकृतिक संपदा और नैसर्गिक खूबसूरती से भरे इस प्रदेश को बहुत आगे ले जायेंगे।

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