प्रश्न: गढ़वा विधानसभा क्षेत्र में भाजपा बेहद मजबूत मानी जा रही थी। उनकी चुनौती का सामना आपने कैसे किया ?
उत्तर: यह जनता की जीत है। भाजपा प्रचुर संसाधनों से लैस थी। लेकिन चुनाव केवल संसाधनों और सत्ता की हनक की बदौलत नहीं जीते जाते। जिस तरह से गढ़वा में दस साल जनता को ठगा गया, उसका जवाब जनता ने खुद दिया है। पूरे झारखंड के चुनाव परिणाम को भी इसी तरह देखा जाना चाहिए। भाजपा विशाल संसाधनों के साथ चुनाव में उतरी थी। हर इलाके में पैसा पानी की तरह बहाया गया। भाजपा के केंद्र से लेकर राज्य के नेताओं ने धुआंधार प्रचार किया। झामुमो के पास साधनों की कमी थी। इसके बावजूद जनता का विश्वास हमें मिला। जनता ने जिस उम्मीद के साथ हमें जिम्मेवारी सौंपी है, हम उसे निभाने के लिए पूरी तरह से कृतसंकल्पित हैं।
प्रश्न: आपने गढ़वा को ही राजनीतिक कार्यक्षेत्र क्यों चुना ?
उत्तर: देखिये, मैं वर्ष 1990 से राजनीति में हूं। मैं चाईबासा में नगर परिषद का अध्यक्ष भी रहा हूं। मैंने गढ़वा को राजनीति कार्यक्षेत्र के रूप में अनायास नहीं चुना। इस धरती और इस माटी ने मुझे गढ़ा है। मेरे बचपन की स्कूली शिक्षा-दीक्षा गढ़वा में ही हुई। उस समय मेरे पिताजी वहां पर एक सरकारी कर्मी के रूप में पदस्थापित थे। गढ़वा से मेरा बचपन से लगाव था। इसलिए मैंने इस धरती की सेवा का संकल्प लिया था। मुझे यह बताते हुए गर्व होता है कि चाईबासा में मैं नगर परिषद का अध्यक्ष रहा हूं। इसे झारखंड में नंबर वन नगर परिषद के रूप में आज भी जाना जाता है। चाईबासा नगर परिषद के जिम्मेवार पद पर रहने के बावजूद मैं गढ़वा के लोगों की सेवा करता रहा। गढ़वा की जनता के बीच जाकर उनकी एक-एक समस्या को मैंने जाना। हमारी बातों को भी यहां की जनता ने गंभीरतापूर्वक सुना। इसी का प्रतिफल है कि गढ़वा की जनता ने इस बार मुझे 10 वर्षों के बाद आशीर्वाद देकर विधानसभा भेजा।
प्रश्न: गढ़वा की जनता ने जिस भरोसे एवं विश्वास के साथ आपको चुना है, उसे कैसे पूरा करेंगे?
उत्तर: गढ़वा की जनता ने जिस विश्वास एवं भरोसे के साथ मुझे जिताया है, उस भरोसे पर मैं शत-प्रतिशत खरा उतरूंगा। क्षेत्र की समस्याओं से मैं भलीभांति परिचित हूं। यह मेरे लिए कोई नयी जगह नहीं है। मैं यहां की जनता के साथ 10 साल कदम से कदम मिलाकर उनके हर सुख-दु:ख में साथ रहा। विधायक नहीं रहने के बावजूद मैं जनता की समस्याओं के साथ हमेशा खड़ा रहा और जितना बन सका, उनकी कठिनाइयों को कम करने की दिशा में प्रयास किया। यही कारण है कि मुझ पर जनता ने भरोसा जताया और मुझे चुनाव जिताकर विधानसभा भेजा। मैं जनता की सेवा करने आया हूं। आनेवाले समय में विकास धरातल पर दिखेगा।
प्रश्न: पहले झामुमो 12 से 18 सीटों पर सिमट जाता था। इस बार पार्टी ने 30 सीटें लाकर कीर्तिमान स्थापित किया है। इस सफलता के पीछे क्या है?
उत्तर: झामुमो को अपने विरोधियों के दुष्प्रचार से लंबे समय तक जूझना पड़ा। पार्टी के बारे में उल्टी-पल्टी बातें प्रचारित की जाती रहीं। इसे केवल आदिवासियों की पार्टी बताया जाता रहा। लोगों के मन में तरह-तरह की भ्रांतियां फैलायी जाती थीं। लेकिन अब जनता जान चुकी है कि तमाम झारखंडियों के मान-सम्मान, झारखंड के जल, जंगल, जमीन और झारखंड के अधिकारों की रक्षा अगर कोई कर सकता है, तो वो है झारखंड मुक्ति मोर्चा। लोगों ने इस बार पूरे भरोसे एवं उम्मीद के साथ हमें बहुमत से जिताया है। हमारे नेता हेमंत सोरेन ने एक-एक इलाके में जाकर लोगों के बीच विश्वास जगाया। उन्हें बताया कि झामुमो कैसे आम आदमी के हक की लड़ाई लड़ता है। लोग कन्विंस हुए और हमें सफलता मिली। झामुमो के विधायकों की संख्या अभी 30 है लेकिन मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि आनेवाले विधान सभा चुनाव में यह संख्या बढ़कर 50 से अधिक होगी। झारखंड मुक्ति मोर्चा का एक ही उद्देश्य है-जो भी झारखंडवासी जो झारखंड में रहते हैं, झारखंड की खाते हैं, झारखंड की बेहतरी के लिए सोचते हैं, उन्हें अपने साथ लेकर चलना। यह हमारे माननीय नेता हेमंत सोरेन की सोच है। झारखंड के हित के लिए जो भी बेहतर करनेवाले लोग होंगे, उन्हें झारखंड मुक्ति मोर्चा साथ लेकर चलेगा।
प्रश्न: झामुमो पर बाहरी-भीतरी का खेल करने का आरोप लगता रहा है। इसे आप कैसे देखते हैं?
उत्तर: झारखंड के मूलवासियों की भावना के साथ खिलवाड़ न हो। आदिवासियों के अधिकारों का हनन न हो। एक-एक आदमी के साथ इंसाफ हो। चाहे आप किसी भी जाति, धर्म एवं व्यवसाय के हों, आपके साथ भेदभाव न हो। झामुमो की यही सोच है। झारखंड के सम्मान और हक में जो भी लोग खड़े हैं, उन्हें लेकर चलने का माद्दा हमारे माननीय नेता हेमंत सोरेन रखते हैं। यह सोच हमारे दिशोम गुरू श्री शिबू सोरेन की शुरू से ही रही है। झामुमो बाहरी-भीतरी का खेल नहीं करता। हां, यह कौन नहीं चाहेगा कि राज्य की नौकरियों पर पहले स्थानीय युवकों का हक हो। यह कौन चाहेगा कि यहां के प्राकृतिक संसाधनों को स्थानीय हितों की उपेक्षा कर बाहर के लोगों को सौंप दिया जाये। इसी की लड़ाई तो झामुमो हमेशा लड़ता रहा है। इसे लेकर हमारी पार्टी के खिलाफ दुष्प्रचार होता रहा है। इस चुनाव में हमने ऐसे दुष्प्रचार करने वालों को मुंहतोड़ जवाब दिया है।
प्रश्न: झारखंड गठन के बाद वर्ष 2000 के आस-पास जन्में बच्चे इस विधान सभा चुनाव में युवा वोटर के रूप में उभरकर सामने आये हैं। उन्होंने भी सरकार बनाने में अहम भूमिका निभायी है। उनके बारे में आप क्या सोचते हैं।
उत्तर: हमारे माननीय नेता हेमंत सोरेन ने पांच वर्षों तक विपक्ष में रहकर झारखंड की जनता खासकर युवाओं के बीच यह विश्वास जगाया कि यदि झारखंड मुक्ति मोर्चा की सरकार बनती है तो उनके हितों की रक्षा की जायेगी। यही कारण है कि युवाओं ने हमारी पार्टी पर भरोसा किया। युवाओं की एक बड़ी फौज झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रति आस्था जताते हुए झारखंड में झामुमो की सरकार बनाने की मुहिम में जुटी रही। उनकी उम्मीदों का हमें एहसास है। इतना ही नहीं झारखंड के किसानों, अभिवंचित वर्ग के लोगों, दलित, पीड़ित, सभी वर्ग एवं धर्म के लोगों ने झामुमो की मदद है। हेमंत सोरेन का मानना है कि महागठबंधन की यह सरकार पूरी तरह से लोगों के विश्वास पर खरा उतरेगी। हमलोग प्रयासों में कोई कमी नहीं होने देंगे।
प्रश्न: गढ़वा छोटा जिला होते हुए भी कभी मंत्री विहीन जिला नहीं रहा। क्या इस बार भी गढ़वा के लोग यह उम्मीद लगा सकते हैं कि वे आपको मंत्री के रूप में देखें।
उत्तर: गढ़वा की जनता ने मुझे जो मान-सम्मान और प्यार दिया है, उससे मैं काफी उत्साहित और खुश हूं। जो जिम्मेवारी अभी मुझे मिली है, उसे मुझे निभाना है। अब आगे हमारे माननीय मुख्यमंत्री एवं माननीय केंद्रीय अध्यक्ष मुझे जो भी जिम्मेवारी सौंपेंगे, उसे मैं बखूबी निभाऊंगा। अभी भी पार्टी ने बड़ी जिम्मेवारी सौंपी है। अभी मैं पार्टी में केंद्रीय महासचिव के पद पर हूं। मैं पलामू का प्रभारी भी था। पहली बार वहां पार्टी का खाता खोला है। एक नहीं दो-दो सीटें हमने पलामू में जीती हैं। गढ़वा के साथ लातेहार में हमारी पार्टी का झंडा लहराया है। मैं जिम्मेवारी से पीछे से नहीं भागता हूं। पार्टी मुझे जो भी जिम्मेवारी सौंपेगी, उसे बखूबी निभाऊंगा। जनता की सेवा ही मेरे लिए सर्वोपरि है।