विशेष
वक्फ बोर्ड कागज दिखाये, नहीं तो संपत्ति सरकारी है: योगी सरकार
दरगाह हो, मस्जिद हो या फिर कब्रिस्तान, वक्फ को देना पड़ेगा प्रमाण
दान में दी गयी संपत्तियां ही वक्फ की, बादशाहों द्वारा निर्मित मीनारें उसकी नहीं
अधिकारियों को निर्देश, वक्फ की संपत्तियों का सत्यापन करें, गिनती नहीं बतायें

नमस्कार। आजाद सिपाही विशेष में आपका स्वागत है। मैं हूं राकेश सिंह।
प्रयागराज सनातनियों के महाजुटान का गवाह बना हुआ है। हर सनातनी की इच्छा है कि वह 144 साल बाद आये इस महाकुंभ में डुबकी जरूर लगाये। महाकुंभ से अभिभूत सिर्फ भारतीय ही नहीं हैं, विदेशों में भी इसका डंका बज रहा है। यह मानव इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा और भव्य जुटान है। यह योगी राज है और इस लिए भी यह मुमकिन हो पाया है। लेकिन योगी के इस महायज्ञ में कई लोगों ने किरासन तेल डालने की कोशिश की। लेकिन योगी तो योगी हैं। वह उसी किरासन तेल से उसका तेलाभिषेक करना भी जानते हैं। प्रयागराज में महाकुंभ का मेला खूब सुर्खियां बटोर रहा है। इसी मेले को लेकर मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने किरासन तेल छिड़कने की कोशिश की थी। मौलाना ने कुंभ मेले की जमीन को वक्फ बोर्ड का होने का दावा कर दिया था। फिर क्या था। सीएम योगी आदित्यनाथ ने वक्फ बोर्ड को लेकर जोरदार हमला बोल दिया। इसके बाद मौलाना शहाबुद्दीन रजवी का एक नया बयान सामने आया। मौलाना ने मुसलमानों से महाकुंभ में आने वाले साधु-संतों और श्रद्धालुओं पर पुष्प वर्षा करने की अपील की। साथ ही कुंभ की तैयारियों और व्यवस्थाओं के लिए सीएम योगी को मुबारकबाद भी दिया। लेकिन शायद शहाबुद्दीन रजवी को यह पता नहीं कि योगी के छत्ते में हाथ डालने का नतीजा क्या होता है। योगी आदित्यनाथ ने वक्फ बोर्ड को लेकर एक ऐसा फार्मूला तैयार कर दिया है, जिसने पूरी बाजी ही पलट दी है। योगी आदित्यनाथ का फार्मूला सुनकर एक वर्ग में सन्नाटा पसरा हुआ है। इस फॉर्मूले के कारण नये सिरे से हाय-तौबा मची हुई है। लोग कहने लगे हैं कि यह तो पूरी बाजी ही पलट गयी। अभी तो वक्फ बोर्ड पर नया कानून आया ही नहीं, जिसे मोदी सरकार लाने वाली है। अभी तो जेपीसी यानी ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमिटी की राज्य भर में बैठक ही चल रही है, रिपोर्ट ही लिये जा रहे हैं। जेपीसी कुछ दिन पहले लखनऊ में भी थी। कहा जा रहा है कि संसद के शीतकालीन सत्र के पहले सप्ताह में जेपीसी अपनी रिपोर्ट रख देगी। अब रखेगी या नहीं रखेगी, या एक्सटेंशन मांगेगी, यह तो बाद कि बात है। लेकिन योगी के नये फॉर्मूले से बहुसंख्यक वर्ग काफी खुश है। वह इस फॉर्मूर्ले की सराहना कर रहा है। वहीं कुछ मुस्लिम धर्म गुरु और नेता कह रहे हैं कि यह तो जुल्म हो गया। ज्यादती हो गयी। क्या है मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का फार्मूला और कैसे इस फॉर्मूले ने वक्फ बोर्ड के एजेंडे में सेंध लगा दी है, बता रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह।

वैसे योगी आदित्यनाथ की एक आदत है। वह पूरा इंतजाम करते हैं। वह जल्दी किसी मुद्दे को छेड़ते नहीं हैं, लेकिन अगर कोई उन्हें बार-बार छेड़ता रहे, तो वह फिर उन्हें छोड़ते भी नहीं।
प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वक्फ बोर्ड की मनमानियों पर करारा पलटवार किया है। उन्होंने माफिया बोर्ड वाली अपनी टिप्पणी को स्पष्ट किया कि राज्य में जिस प्रकार से संपत्तियों पर वक्फ बोर्ड दावे करता जा रहा है, उसकी हमने जांच करायी। इससे पता चला कि वक्फ बोर्ड जो भी मनमाने दावे करता जा रहा है, वे सभी गलत हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वक्फ बोर्ड को माफिया बोर्ड बताने वाली अपनी टिप्पणी के जबाव में कहा कि जिस प्रकार से अयोध्या, काशी, मथुरा, संभल और प्रयागराज समेत अन्य स्थानों पर वक्फ के दावे सामने आये कि ये तो वक्फ की जमीन है, इसके बाद फिर हमने पुराने रिकॉर्ड को खंगालना शुरू किया। पुराने राजस्व को खंगालने के बाद जो परिणाम सामने आ रहे हैं, वे आंखें खोलने वाली हैं। हमने पाया की वक्फ बोर्ड के अधिकतर दावे गलत हैं। इसके बाद हमने वक्फ बोर्ड को कहा कि इसे माफिया बोर्ड मत बनाओ, अन्यथा माफिया टास्क फोर्स इसके खिलाफ कार्रवाई शुरू कर देगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कहते हैं कि यूपी सरकार ने उत्तर प्रदेश वक्फ बोर्ड के नियमों में संशोधन किया है, जिसके तहत हमने राजस्व की जांच के आधार पर कार्रवाई करने की व्यवस्था कर दी है। आने वाले बजट सत्र में इस बार संसद के पटल पर वक्फ संशोधन विधेयक को रखा जायेगा। 1995 से लागू वक्फ अधिनियम के भ्रष्टाचार, कुप्रबंधन और अतिक्रमण के कारण इसकी आलोचना की जाती रही है।

योगी आदित्यनाथ का फार्मूला
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश की सरकार ने संयुक्त संसदीय समिति जेपीसी को बताया है कि राज्य की जिन संपत्तियों पर वक्फ बोर्ड दावा कर रहा है, उसका 78 प्रतिशत हिस्सा सरकार का है। इन पर वक्फ बोर्ड का कोई कानूनी मालिकाना हक नहीं है। उनके पास न कोई कागज है न कोई पत्तर। यूपी सरकार की ओर से राज्य के अल्पसंख्यक कल्याण आयोग की अतिरिक्त मुख्य सचिव मोनिका गर्ग ने जेपीसी के सामने बातों को रखा। सीनियर आइएएस अधिकारी ने सरकार की तरफ से प्रस्तुतीकरण देकर जेपीसी से कहा कि उत्तर प्रदेश में जो वक्फ कि संपत्तियां हैं, या जिसे वक्फ की संपत्तियां मानी जाती हैं, उनमें से 78 प्रतिशत संपत्ति वक्फ बोर्ड की नहीं है। वक्फ द्वारा जो संपत्ति क्लेम की जाती है, उनमें सिर्फ 22 प्रतिशत जमीन ही वक्फ ही संपत्ति है। 78 प्रतिशत संपत्ति उत्तर प्रदेश शासन की है। उत्तर प्रदेश सरकार ने संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से यह भी कहा कि लखनऊ के प्रसिद्ध स्मारक बड़ा इमामबाड़ा, छोटा इमामबाड़ा और अयोध्या में बेगम का मकबरा सरकारी संपत्ति हैं, लेकिन वक्फ बोर्ड गलत तरीके से इन संरक्षित स्मारकों के स्वामित्व का दावा कर रहा है। वक्फ बोर्ड ने जिन संपत्तियों पर अपना अधिकार जताया है, उनमें और भी कई नामी-गिरामी संपत्तियां हैं। इसे सुनने के बाद एक पक्ष में सन्नाटा छाया हुआ है। उन्हें समझ में ही नहीं आ रहा है कि इसकी काट क्या है। अब यहां सवाल यह उठता है कि यह 78 प्रतिशत संपत्तियां उत्तर प्रदेश सरकार की कैसे। कोई तो मानक होगा, जिससे यह साबित होगा। जी हां, योगी सरकार ने इसका भी मानक तय कर दिया है। योगी सरकार का कहना है कि वक्फ की संपत्ति वही मानी जायेगी, जिसे लिखा-पढ़ी में किसी ने दान में दिया हो। अल्लाह के नाम पर वक्फ किया हो। कोई बादशाह अपनी संपत्ति या धनी नवाब या शेख ने दान में दिया हो। लेकिन जो संपत्ति केवल मुस्लिम धार्मिक कामों में इस्तेमाल में आ रही हैं, जैसे दरगाह हो, मस्जिद हो या फिर कब्रिस्तान हो, वे संपत्तियां वक्फ की नहीं मानी जायेंगी। वक्फ की वही संपत्ति मानी जायेगी, जो लिखा-पढ़ी में दान दी गयी हो।

सरकारी जमीन, सरकारी स्वामित्व और नियंत्रण में लायी जायेगी
अभी तक जो मुतवल्ली हुआ करते थे वक्फ के, जो वक्फ की संपत्तियों का लेखा-जोखा रखा करते हैं, वे लोग जहां भी मुस्लिम इकट्ठे हो रहे हैं और वहां धार्मिक कार्य चल रहा हो या चादर चढ़ायी जा रही हो, तो उस जमीन को वे लोग वक्फ की जमीन घोषित कर देते थे। अब यहां न तो आपने किसी से जमीन खरीदी या किसी ने दान दी। खाली जमीन थी, तो आपने दरगाह बना ली। उसके बाद क्लेम किया जाता कि यह तो वक्फ की जमीन है। उससे आर्थिक लाभ वक्फ बोर्ड लेना चाहता है या फिर उसका मुतवल्ली। इस पर योगी आदित्यनाथ ने अब रोक लगा दी है। अब नये सिरे से कागज चेक हो रहे हैं। हर जिले में डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट इसी काम में व्यस्त हैं। योगी का सख्त आदेश है कि अपने जिले में वक्फ की संपत्तियों का सत्यापन करिये। गिनती नहीं बताइये, सत्यापन करिये। मौके पर जाइये, पूछिए, इसे किसने वक्फ किया था। पूछिए, इसका कहां कागज-पत्तर है। अगर नहीं, तो जमीन सरकारी है। उत्तर प्रदेश के राजस्व के खाते में दर्ज किया जाये। अब वक्फ को लेकर उत्तर प्रदेश की जो मौजूदा स्थिति है, वक्फ का नया कानून आये या न आये, या देर से आये, योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश में व्यवस्था टाइट कर रखी है। अब तो कई जिलों से रिपोर्ट आ रही है कि ज्यादातर संपत्तियां वक्फ के नाम पर जो क्लेम की जाती थीं, वे उसकी हैं ही नहीं। कुछ हैं, लेकिन बहुतायत में नहीं हैं। प्रदेश भर के सत्यापन होने के बाद सरकारी जमीन, सरकारी स्वामित्व और नियंत्रण में लायी जायेगी। यानी पहले योगी जी दवा करेंगे। फिर आॅपरेशन करेंगे।

योगी के फॉर्मूले ने वक्क के फॉर्मूले की कर दी शल्य क्रिया
नवाब ने अगर कोई चीज बनवायी, या बादशाह ने किसी चीज का निर्माण कराया हो, इस नाते वह वक्फ की हो जायेगी, यह कहां लिखा है। हजारों कब्रिस्तान उत्तर प्रदेश में सरकारी जमीन पर हैं। हजारों दरगाहें उत्तर प्रदेश में सरकारी जमीन पर हैं। हजारों मस्जिदें सरकारी और सार्वजनिक जमीन पर हैं। उनका वक्फ से कोई लेना-देना नहीं। योगी के फॉर्मूले के हिसाब से बेगम का मकबरा हो, बड़ा इमामबाड़ा हो, या छोटा इमामबाड़ा सब सरकारी संपत्ति हैं। किसी जमीन को कोई मुस्लिम इस्तेमाल कर रहा हैं, वह वक्फ की मानी जायेगी, ऐसा कैसे हो सकता है। वक्फ को उसका कारण बताना पड़ेगा। वाजिद अली शाह के राज्य में उनके अधीन जितनी जमीन थी, वे मुसलामानों की जमीन तो नहीं हो सकती। या फिर बाबर, अकबर, जहांगीर और औरंगजेब के समय जितनी भी जमीन थी, देश का जो भौगोलिक नक्शा था, वो वक्फ की जमीन थोड़े न हो जायेगी। न ही मुसलमान की जमीन हो जायेगी। वह भारत की जमीन है। जमीन तो उस समय भी सत्ता में निहित थी और आज के दौर में भी सत्ता के निहित है। जमीन तो सत्ता में ही निहित रहेगी। जब तक कि व्यक्तिगत स्तर पर उसका कोई मालिकाना हक किसी के पास न हो। हमारे देश में गलतफहमी थी। नवाबों की जितनी जमीन थी, वे सभी मुसलमानों की जमीन हो जाये। या फिर बादशाहों की जितनीं जमीन थी, वे भी मुसलमानों की हो जाये। इसके हिसाब से फिर जितनी भी जमीन हिंदू राजाओं के शासनकाल में रही होगी, चाहे राजा विक्रमादित्य हों, सम्राट अशोक हों, चंद्रगुप्त मौर्य हों, पृथ्वीराज चौहान हों या तमाम हिंदू राजाओं का नक्षत्र मंडल, जो भारत में है, तो क्या फिर इनके अधीन जो जमीन थी, वे हिंदुओं की हो जायें। या उसे हिंदुओं की मान ली जाये। फिर तो अखंड भारत ही हो जायेगा न। तो योगी द्वारा वक्फ के फॉर्मूले की शल्य क्रिया होनी बहुत जरूरी थी।

राज्य में 14,000 हेक्टेयर जमीन, जिसमें 11,700 हेक्टेयर जमीन सरकारी
दरअसल, वक्फ (संशोधन) विधेयक पर संयुक्त संसदीय समिति, जेपीसी ने मंगलवार 21 जनवरी 2025 को लखनऊ में क्षेत्रीय दौरे की अपनी अंतिम बैठक आयोजित की। यह बैठक जेपीसी प्रमुख और भाजपा सांसद जगदंबिका पाल की अध्यक्षता में हुई। बैठक में शिया और सुन्नी वक्फ बोर्ड तथा अल्पसंख्यक आयोग के सदस्यों सहित इससे प्रभावित सभी पक्षों ने भाग लिया। रिपोर्ट के अनुसार, यूपी सरकार के अल्पसंख्यक कल्याण आयोग की अतिरिक्त मुख्य सचिव मोनिका गर्ग ने जेपीसी को बताया कि वक्फ बोर्ड का दावा है कि उसके पास राज्य में 14,000 हेक्टेयर जमीन है। इनमें से आधिकारिक रिकॉर्ड में 11,700 हेक्टेयर जमीन सरकारी है। गर्ग ने कहा कि सच्चर कमिटी की रिपोर्ट में भी कहा गया था कि वक्फ बोर्ड जिन 60 संपत्तियों पर दावा कर रहा है, वे सरकारी हैं। वहीं उत्तर प्रदेश सरकार की राजस्व विभाग ने संयुक्त संसदीय समिति को बताया कि वक्फ बोर्ड जिन जमीनों पर अपना दावा कर रहा है, उनमें से एक बड़ा हिस्सा राजस्व रिकॉर्ड में वर्ग 5 और वर्ग 6 के तहत दर्ज है। वर्ग 5 और 6 में सरकारी संपत्तियां और ग्राम सभा की संपत्तियां शामिल हैं। दरअसल, उत्तर प्रदेश में वक्फ बोर्ड 1.3 लाख से अधिक संपत्तियों पर दावा कर रहा है। इन संपत्तियों में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित स्मारक, बलरामपुर का सरकारी अस्पताल, लखनऊ विकास प्राधिकरण की जमीन सहित कई सरकारी संपत्तियां हैं। एलडीए और आवास विकास विभाग की जिन संपत्तियों पर वक्फ बोर्ड दावा कर रहा है, उन्हें संबंधित नगरपालिकाओं से आधिकारिक तौर पर संबंधित विभागों को आवंटित की गयी थीं। यूपी सरकार ने जेपीसी को बताया कि राज्य में वक्फ संपत्तियों को चिह्नित करने के लिए दिशा-निर्देश और नियम हैं। जब वक्फ बोर्ड किसी भूमि पर दावा करता है, तो उस भूमि का 1952 के अभिलेखों से मिलान किया जाता है। मिलान में भूमि वक्फ बोर्ड के स्वामित्व की पायी जाती है, तो वह सरकार से उस भूमि पर अतिक्रमण हटाने का अनुरोध कर सकता है। सांसद जगदंबिका पाल ने बताया कि जेपीसी अगले संसद सत्र में 31 जनवरी को अपनी रिपोर्ट पेश करेगी। उन्होंने कहा, जेपीसी पिछले 6 महीने से पूरे देश में लगातार बैठक कर रही है। मुझे पूरा भरोसा है कि हम सब एकमत होकर अपनी रिपोर्ट पेश करेंगे। पिछली बार हमें इसे शीतकालीन सत्र में पेश करना था। हम इस रिपोर्ट को बजट सत्र में पेश करने जा रहे हैं। बता दें कि संसद का बजट सत्र 31 जनवरी 2025 से शुरू होकर 4 अप्रैल 2025 तक चलेगा। इस सत्र में केंद्रीय बजट 1 फरवरी 2025 को पेश किया जायेगा। वहीं, वक्फ संपत्तियों को विनियमित करने के लिए 1995 में बनाये गये वक्फ अधिनियम की कुप्रबंधन, भ्रष्टाचार और अतिक्रमण जैसे मुद्दों पर अंकुश लगाने के लिए मोदी सरकार तैयारी कर रही है।

Share.
Leave A Reply

Exit mobile version