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    Home»विशेष»महाकुंभ के बीच धर्म संसद में सनातन बोर्ड की मांग तेज, कहा गया एकजुट हों हिंदू
    विशेष

    महाकुंभ के बीच धर्म संसद में सनातन बोर्ड की मांग तेज, कहा गया एकजुट हों हिंदू

    shivam kumarBy shivam kumarJanuary 29, 2025No Comments11 Mins Read
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    विशेष
    सरकारी नियंत्रण से मुक्त किये जायें मंदिर, मथुरा में भगवान श्रीकृष्ण का भव्य मंदिर बने
    मंदिरों में पूजा और प्रसाद वितरण की व्यवस्था वैदिक मान्यताओं और परंपराओं से
    आर्थिक रूप से कमजोर और असहाय परिवारों को धर्मांतरण से बचाना है
    आस : सरकार हिंदुओं और सनातनियों को सनातन बोर्ड का तोहफा दे
    नमस्कार। आजाद सिपाही विशेष में आपका स्वागत है। मैं हूं राकेश सिंह।
    प्रयागराज में त्रिवेणी संगम के तट पर चल रहे सनातन के सबसे विशाल और भव्य आयोजन महाकुंभ में धर्म संसद संपन्न हो गयी है। इस धार्मिक आयोजन और विचार मंथन के दौरान सनातन बोर्ड के गठन की मांग को गति दी गयी। सनातन बोर्ड के गठन की मांग के पीछे भारत भूमि पर हिंदू हितों की लगातार उपेक्षा को कारण बताया जा रहा है। इतना ही नहीं, सनातन पर लगातार हो रहे आक्रमण और हिंदू धर्मस्थलों को लेकर पूर्व में बने नियम-कानून से करोड़ों हिंदुओं की आस्थाओं को आघात पहुंचाया जा रहा है। एक तरफ जहां सनातन बोर्ड को लेकर करोड़ों हिंदू उत्साहित हैं, वहीं सोये हुए हिंदुओं को एकजुट करने और जगाने का भी प्रयास चल रहा है। एक तरफ सनातन बोर्ड की मांग है कि अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर की तर्ज पर मथुरा में भी भगवान श्रीकृष्ण का भव्य मंदिर बनाया जाये। वहीं सनातन धर्म की परंपराओं की रक्षा के लिए मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त किया जाये। सनातन बोर्ड की मांग ने तब जोर पकड़ा जब बीते साल तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में मिलावट का मामला सामने आया था। उसके बाद से देश में सनातन बोर्ड के गठन की बात ने जोर पकड़ा। वक्फ बोर्ड की मनमानियों को लेकर भी सनातन बोर्ड को अस्तित्व में लाने की मांग उठ रही है। इसके अलावा हिंदू एकता की कल्पना को साकार करने और हिंदू धर्मस्थलों के संरक्षण, सुरक्षा और आवश्यकतानुसार नवनिर्माण का मार्ग प्रशस्त करना भी सनातन बोर्ड के गठन की मांग का एक उद्देश्य है। क्या है सनातन बोर्ड की मांग और कैसा होगा इसका पूरा स्वरूप, बता रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह।

    उत्तर प्रदेश के प्रयागराज महाकुंभ में 27 जनवरी को सनातन धर्म संसद की बैठक हुई। इस दौरान सनातन बोर्ड के गठन को लेकर लंबी चर्चा हुई। इस दौरान वक्फ बोर्ड को खत्म कर सनातन बोर्ड के गठन की मांग को तेज किया गया, साथ ही सनातन हिंदू बोर्ड अधिनियम प्रस्ताव को पारित किया गया। सनातन धर्म संसद में कई संतों, कथावाचकों और धार्मिक नेताओं ने भाग लिया। इस दौरान कथावाचक देवकी नंदन ठाकुर ने हिंदू धर्म और संस्कृति से जुड़े मुद्दों को उठाते हुए वक्फ बोर्ड को समाप्त करने की हुंकार भरी और सनातन बोर्ड के गठन की मांग की। धर्म संसद में कहा गया कि हम सभी को अपना मौन तोड़कर सनातन बोर्ड की स्थापना के आंदोलन में एकजुट होना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज ऐसा समय आ गया है कि वक्फ बोर्ड उठता है और किसी भी जगह को अपनी संपत्ति बता देता है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि वर्ष 1947 में जब देश आजाद हुआ था तो धर्म के आधार पर मुस्लिमों को अगल देश दिया गया। लेकिन हिंदुओं का क्या। आज हिंदू अपने ही देश में अपना अधिकार पाने के लिए तरस रहा है। बैठक के बाद सनातनी हिंदू बोर्ड की तस्वीर काफी हद तक साफ हो गयी है। आध्यात्मिक गुरु देवकीनंदन ठाकुर ने सनातन बोर्ड गठन के प्रारूप को सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए बताया कि इस पर सभी धर्माचार्यों ने अपनी स्वीकृति दे दी है। उन्होंने कहा कि हमने सनातनी हिंदू बोर्ड अधिनियम के लिए एक प्रस्ताव तैयार किया है और यहां मौजूद सभी धार्मिक नेताओं ने इस पर सहमति व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि हम इस संविधान को भारत सरकार को भेजेंगे और इस पर चर्चा के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनका समय मांगेंगे, इस उम्मीद के साथ कि अगर वक्फ बोर्ड होगा तो सरकार हिंदुओं और सनातनियों को एक सनातन बोर्ड का तोहफा देगी। देवकी नंदन ठाकुर ने भारत से अलग होकर बने देशों की स्थिति का जिक्र करते हुए गंभीर सवाल किये। मशहूर कथावाचक ने धर्म संसद में कहा कि बांग्लादेश और पाकिस्तान में हिंदू बोर्ड नहीं है, तो भारत में वक्फ बोर्ड क्यों है? यह सवाल उठाने का समय आ गया है। हिंदू अपने अधिकार लेकर रहेगा। उन्होंने कहा कि राम मंदिर केवल शुरूआत है, मथुरा और काशी जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे अभी बाकी हैं। मथुरा का तो पूरा फंक्शन ही बाकी है।

    प्रसाद में मिलावट सामने आने पर शुरू हुई थी बोर्ड की मांग
    16 नवंबर, 2024 को दिल्ली में धर्म संसद हुई थी। इसमें कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर ने पुरजोर तरीके से सनातन बोर्ड के गठन की मांग उठायी थी। वे कहते हैं कि देश के मठ-मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त किया जाये और इनके संचालन का जिम्मा सनातन बोर्ड को दिया जाये। दरअसल, बीते साल तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में मिलावट का मामला सामने आने के बाद सनातन बोर्ड की मांग ने जोर पकड़ा था। इसके बाद ही धीरे-धीरे देशभर के साधु-संत इस मांग के लिए एकजुट होना शुरू हुए।

    सनातन बोर्ड को हिंदू बोर्ड अधिनियम 20 के नाम से जाना जायेगा
    चतुर्थ सनातन धर्म संसद बैठक के बाद कहा गया कि सनातन बोर्ड को हिंदू बोर्ड अधिनियम 20 के नाम से जाना जायेगा। इसके प्रस्तावना में कहा गया है कि यह अधिनियम भारत में हिंदू मंदिरों, उनकी संपत्तियों, निधियों और सनातन धार्मिक परंपराओं के प्रबंधन, संरक्षण और निगरानी के लिए एक केंद्रीकृत सनातन हिंदू बोर्ड की स्थापना करेगा। आगे कहा गया है कि इसका प्रमुख उद्देश्य सनातन धर्म और इसकी सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करते हुए मंदिर संसाधनों के प्रबंधन में पारदर्शिता और जिम्मेदारी सुनिश्चित करना है। प्रारूप में कहा गया है कि सनातन हिंदू बोर्ड को एक स्वतंत्र निकाय के रूप में स्थापित किया जायेगा। जो हिंदू मंदिरों, उनकी संपत्तियों और निधियों की देखरेख के लिए उत्तरदायी होगा। इसमें वही व्यक्ति शामिल होंगे, जो हिंदुत्व में विश्वास रखते हुए सनातनी परंपराओं की सेवा की प्रबल इच्छा रखते हों।

    सनातन बोर्ड में कौन होंगे शामिल
    सनातन बोर्ड का प्रस्तावित ड्राफ्ट में कहा गया है कि चारों जगदगुरु शंकराचार्यों की देखरेख में राष्ट्रीय स्तर पर केंद्रीय सनातन बोर्ड का गठन किया जायेगा। सनातन बोर्ड स्वतंत्र इकाई के रूप में काम करेगा। इस बोर्ड के केंद्रीय अध्यक्ष मंडल में 11 सदस्यों को शामिल करने का प्रस्ताव रखा गया है। जिसमें चारों संप्रदाय के प्रमुख जगदगुरु, सनातनी अखाड़ों के तीन प्रमुख व्यक्तित्व, एक संरक्षक मंडल द्वारा नामित व्यक्ति और तीन अन्य सदस्यों में प्रमुख संत, कथाकार या धर्माचार्य को शामिल करने का प्रस्ताव पेश किया गया है। इसी तरह सनातन बोर्ड के संचालन के लिए सहयोगी मंडल और सलाहकार मंडल को भी शामिल करने की योजना है। सहयोगी मंडल की भूमिका में हिंदुओं के लिए कार्य करने वाले संगठन के प्रतिनिधि, प्रमुख मंदिर, गौशाला से जुड़े व्यक्ति, गुरुकुल शिक्षा पद्धति से जुड़े व्यक्ति समेत कई अन्य लोगों को बोर्ड में शामिल करने का सुझाव दिया गया है। इसी तरह सलाकार मंडल में रिटायर्ड सनातनी जज और वकील, उच्च पदों से रिटायर्ड प्रशासनिक अधिकारियों, मीडिया और सीनियर शिक्षाविद समेत सामाजिक और धार्मिक कार्यों से जुडे़ सनातनी व्यक्ति शामिल होंगे। सनातन बोर्ड के गठन के बाद मंदिर प्रशासन में सिर्फ हिंदू धर्मावलंबियों को ही कार्य करने की अनुमति होगी। बताया गया है कि ऐसा करने से हिंदू संस्कृति और सनातन परंपराओं की रक्षा हो सकेगी। तिरुपति बालाजी मंदिर जैसी घटना दोबारा ना हो इसके लिए मंदिर प्रवेश नियमों और प्रसाद प्रबंधन की देखरेख भी बोर्ड के जरिए की जायेगी। अभी तक जो मसौदा बना है, उसके अनुसार अखाड़ा परिषद के पदेन अध्यक्ष को ही सनातन बोर्ड प्रमुख की कमान दी जायेगी। इस बोर्ड में देश के 13 प्रमुख अखाड़े शामिल किये गये हैं। इसमें श्री पंच दशनाम जूना (भैरव) अखाड़ा, श्री पंच दशनाम आवाहन अखाड़ा, श्री शंभू पंच अग्नि अखाड़ा, श्री शंभू पंचायती अटल अखाड़ा, श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा, पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी, श्री पंच निर्मोही अनी अखाड़ा, श्री पंच दिगंबर अनी अखाड़ा, श्री पंच निर्वाणी अनी अखाड़ा, तपोनिधि श्री आनंद अखाड़ा, श्री पंचायती अखाड़ा नया उदासीन, श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल, श्री पंचायती अखाड़ा शामिल हैं।

    साधु-संत दो फाड़
    संगम की रेती पर सनातन बोर्ड के गठन के सवाल पर साधु-संत दो फाड़ हो गये हैं। महाकुंभ में धर्म संसद बुलाने का आह्वान करने वाले अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत रवींद्र पुरी ने सोमवार को ऐन वक्त पर इससे किनारा कर लिया। इस धर्म संसद में सभी 13 अखाड़ों के श्रीमहंत, महामंडलेश्वर और पीठाधीश्वर शामिल नहीं हुए। इससे सनातन बोर्ड के गठन को लेकर साधु-संतों की एकजुटता को तगड़ा झटका लगा है। अब अखाड़ा परिषद का कहना है कि सनातन बोर्ड से जरूरी वक्फ बोर्ड को भंग करना है।

    प्रमुख मांगें
    अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर की तर्ज पर मथुरा में भी भगवान श्रीकृष्ण का भव्य मंदिर बनाया जाये। यह मंदिर सनातन धर्म के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक गौरव का प्रतीक बने। सभी प्रमुख मंदिरों में पूजा और प्रसाद वितरण की व्यवस्था वैदिक मान्यताओं और परंपराओं के अनुसार की जाये। यह सुनिश्चित किया जाये कि इन प्रथाओं में किसी भी प्रकार का व्यावसायिक हस्तक्षेप न हो। धार्मिक स्वतंत्रता को प्रोत्साहित करने और सनातन धर्म की परंपराओं की रक्षा के लिए मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त किया जाये। मंदिरों का प्रबंधन धर्माचार्यों और सनातन धर्म के विद्वानों द्वारा संचालित हो। प्रत्येक बड़े मंदिर में एक गुरुकुल, गोशाला और औषधालय का संचालन सुनिश्चित हो। गुरुकुल में वैदिक शिक्षा, गोशाला में गोसंरक्षण और औषधालय में आयुर्वेदिक चिकित्सा का प्रबंध हो। यह व्यवस्था समाज के सभी वर्गों को लाभान्वित करेगी। आर्थिक रूप से कमजोर और असहाय परिवारों को धर्मांतरण से बचाने के लिए आर्थिक सहायता की व्यवस्था की जाये। उन्हें रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में प्राथमिकता दी जाये, ताकि वे अपने धर्म और परंपराओं के प्रति समर्पित रह सकें।

    सनातन बोर्ड का स्वरूप
    चारों शंकराचार्य के संरक्षण में राष्ट्रीय स्तर पर केंद्रीय सनातन बोर्ड का गठन किया जायेगा। बोर्ड एक स्वतंत्र निकाय होगा। यह बोर्ड मंदिरों की देखरेख, उनकी संपत्तियों और निधियों की देखरेख करेगा।
    यह बोर्ड मंदिरों में वैदिक पूजा सनातन पद्धति, सनातन परंपराओं, सनातन हिंदुओं के अधिकारों की सुरक्षा करेगा।
    11 सदस्यों के साथ सनातन बोर्ड के अध्यक्ष मंडल का गठन होगा। इसमें 4 सदस्य-चारों संप्रदाय के प्रमुख जगद्गुरु, 3 सदस्य सनातन अखाड़ों के प्रमुख व्यक्तित्व, 1 सदस्य मंडल द्वारा नामित व्यक्तित्व, 3 सदस्य प्रमुख संत, कथाकार होंगे। इसके अलावा सहयोगी मंडल, सलाहकार मंडल में भी सदस्य रखे जायेंगे।

    विशेष समिति करेगी निधि की देखभाल
    सनातन धर्म संसद की बैठक में केंद्र और राज्य स्तर पर इसके संचालन के लिए विशेष योजना तैयार की गयी है। इसके तहत संरक्षक मंडल की सहमति से अध्यक्ष मंडल देश के अलग-अलग राज्यों में सनातन बोर्ड की राज्य स्तरीय समिति का गठन करेगा। इसके अलावा एक विशेष समिति का गठन किया जायेगा, जो मंदिरों की निधियों के प्रबंधन, आवंटन और वितरण की देखरेख करेगा। इसके लिए निधियों का प्रबंध एक एस्क्रो खाते के जरिये किया जायेगा। इस निधि का इस्तेमाल गुरुकुलों, गौशालाओं, छोटे मंदिरों, बड़े मंदिरों में अस्पतालों के संचालन और आर्थिक रूप से कमजोर सनातनी परिवारों की आर्थिक सहायता में किया जायेगा। इसी तरह बोर्ड अधिनियम के तहत केंद्रीय सनातन बोर्ड के संरक्षक और सदस्यों को लोकसेवक के रूप में नामित करने की सलाह दी गयी, जिससे उनकी जिम्मेदारी सुनिश्चित हो सके। सनातन बोर्ड सभी बड़े मंदिरों में पुजारियों की नियुक्ति करेगा, जिसके लिए पारंपरिक योग्यता और धार्मिक ज्ञान की जानकारी मुख्य मानदंड होगा।

    अवैध वक्फ संपत्तियां होंगी मुक्त
    इसके अलावा सनातन अधिनियम के तहत मंदिरों की संपत्ति पर अवैध कब्जे को तत्काल हटाने का जिला मजिस्ट्रेट के पास पूर्ण अधिकार होगा। सनातन बोर्ड सभी मंदिर संपत्तियों का एक आॅफिसियल रजिस्टर्ड रजिस्टर रखेगा। बोर्ड की अनुमति के बगैर मंदिरों की संपत्तियों को बेचा नहीं जा सकेगा और ना ही पट्टा या अन्य तरीके से हस्तांतरित किया जा सकेगा। बोर्ड को अगर किसी संपत्ति के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य या ऐतिहासिक आधार मिलता है, तो वह उसे मंदिर संपत्ति के रूप में घोषित कर सकता है। इस प्रस्ताव में कहा गया है कि वक्फ बोर्ड के जरिये जबरन कब्जा की गयी जमीनों को मुक्त कराने और असंवैधानिक अधिकारों को समाप्त करने के लिए सनातन बोर्ड न्यायाधिकरण सभी स्तर पर प्रभावी प्रयास करेगा।

    इन मंदिरों पर नहीं लागू होंगे बोर्ड नियम
    इस अधिनियम की सबसे खास बात यह है कि इसके तहत उन्हीं मंदिरों को सनातन बोर्ड के कार्यक्षेत्र में शामिल किया जायेगा, जो मंदिर अभी सरकार के नियंत्रण में हैं। जबकि जो मंदिर या धार्मिक संस्थाएं निजी तौर पर संचालित की जाती हैं या सरकार के नियंत्रण में नहीं हैं, उन पर सनातन बोर्ड के नियम लागू नहीं होंगे। हालांकि निजी मंदिरों या गौशाला या अन्य संस्थाओं के पास ये विकल्प होगा कि वे स्वेच्छा से आवदेन देकर सनातन बोर्ड के अधीन हो सकती हैं।

    अखाड़ा परिषद का मिला समर्थन
    अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रवींद्र पुरी ने भी सनातन बोर्ड की मांग का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि सनातन बोर्ड का उद्देश्य वक्फ बोर्ड की तरह कब्जा करना नहीं है, बल्कि छोटे मंदिरों और मठों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। उन्होंने सनातन धर्म की संपत्ति को संरक्षित करने और इसे किसी भी प्रकार के बाहरी हस्तक्षेप से बचाने की बात कही। इस आयोजन के बाद सनातन धर्मावलंबियों और संतों ने स्पष्ट कर दिया कि जब तक सनातन बोर्ड का गठन नहीं होता, वे अपने आंदोलन को जारी रखेंगे। प्रयागराज महाकुंभ से निकली यह मांग आने वाले समय में धार्मिक और राजनीतिक चर्चाओं में प्रमुख भूमिका निभा सकती हैं।

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