विशेष
पूर्वांचलियों पर टिप्पणी से केजरीवाल ने खुद के पैरों पर कुल्हाड़ी मार ली
-जोश में होश खोना कोई केजरीवाल से सीखे, यूपी-बिहार के वोटरों को फर्जी बोलना महंगा पड़ेगा
-70 विधानसभा सीटों में दो दर्जन सीटों पर पूर्वांचली वोटरों का दबदबा
-दिल्ली की लड़ाई में यूपी-बिहार की एंट्री से भाजपा को मिल गयी संजीवनी
-चौतरफा घिरने के बाद अब रक्षात्मक मुद्रा में दिख रही आम आदमी पार्टी
नमस्कार। आजाद सिपाही विशेष में आपका स्वागत है। मैं हूं राकेश सिंह।
कड़ाके की सर्दी के बावजूद दिल्ली की राजनीतिक गर्मी बढ़ती जा रही है। दिल्ली के चुनाव प्रचार अभियान के केंद्र में अब पूर्वांचली, यानी बिहार-यूपी की एंट्री हो गयी है। दिल्ली में पूर्वांचली वोटरों की मौजूदगी के कारण भाजपा और आम आदमी पार्टी (आप) के बीच राजनीतिक टकराव में और वृद्धि हो गयी है। यह विवाद पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के एक बयान से शुरू हुआ, जिसमें उन्होंने यूपी-बिहार के फर्जी वोटरों और वोटर लिस्ट में हेरफेर का मुद्दा उठाया। उनकी इस टिप्पणी ने एक बड़े चुनावी मुद्दे का रूप अख्तियार कर लिया है। भाजपा ने इसे पूर्वांचली समुदाय का अपमान करार देते हुए इसे केंद्रीय चुनावी मुद्दा बना दिया है। भाजपा ने केजरीवाल पर पूर्वांचली वोटरों का अपमान करने का आरोप लगाते हुए उनके बयान को राजनीतिक स्वार्थ से प्रेरित बताया है। उसने कहा है कि पूर्वांचली दिल्ली के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और उनका अपमान बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। इस तरह मुद्दों की कमी से जूझ रही भाजपा को बैठे-बिठाये एक बड़ा मुद्दा मिल गया है, जिसका नुकसान अरविंद केजरीवाल और आप को उठाना पड़ सकता है। दिल्ली विधानसभा चुनाव के ठीक पहले दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पूर्वांचल के वोटरों पर इतने सारे आरोप लगा दिये कि भाजपा को मानो जीत की कुंजी मिल गयी हो। राजनीतिक प्रेक्षकों का मानना है कि अब आगामी चुनाव का सबसे बड़ा फैक्टर बिहार और उत्तर प्रदेश के वोटर बनने जा रहे हैं। केजरीवाल भूल गये कि क्षेत्रवाद की इस बीमारी से नुकसान उनका ही होगा, जैसे कि महाराष्ट्र में राज ठाकरे और मनसे का हुआ। केजरीवाल ने शायद राज ठाकरे से सीख नहीं ली। दिल्ली चुनाव में उठे इस नये मुद्दे का क्या होगा असर और अरविंद केजरीवाल की क्या होगी रणनीति, बता रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह।
दिल्ली में विधानसभा चुनाव की तारीखों का एलान होने के साथ ही सियासी दलों में जुबानी जंग भी तेज हो गयी है। आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने चुनाव आयोग के समक्ष बीजेपी उम्मीदवार प्रवेश वर्मा की शिकायत की। उन्होंने बीजेपी उम्मीदवार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए प्रवेश वर्मा के घर छापेमारी की मांग कर दी। इसी दौरान उन्होंने नयी दिल्ली सीट पर फर्जी वोटर का मुद्दा उठाया। इसी दौरान केजरीवाल ने अपनी बात रखते हुए यूपी-बिहार के लोगों, यानी पूर्वांचलियों से जुड़ी ऐसी टिप्पणी कर दी, जिसे लेकर बीजेपी को उन पर जवाबी हमले का मौका मिल गया है। बीजेपी ने अब पूर्वांचलियों के अपमान को मुद्दा बना लिया है।
क्या कहा अरविंद केजरीवाल ने
केजरीवाल ने बीजेपी पर नयी दिल्ली विधानसभा क्षेत्र में मतदाता सूची में हेराफेरी का आरोप लगाया और चुनाव आयोग में इसकी शिकायत दर्ज करायी। इसके बाद मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि पिछले 15 दिन में 13 हजार वोटर बनने के आवेदन आये हैं। जाहिर तौर यह यूपी और बिहार से ला-लाकर और यूपी, आसपास के राज्यों से ला-लाकर फर्जी वोट बनवा रहे हैं ये लोग। वहीं भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की ओर से एक पुराना वीडियो शेयर किया गया। इसमें केजरीवाल को कथित तौर पर यह कहते हुए सुना जा सकता है कि बिहार से एक आदमी 500 रुपये का टिकट लेता है, दिल्ली में आता है और अस्पताल में पांच लाख रुपये का आॅपरेशन फ्री में करवा कर चला जाता है। बीजेपी अध्यक्ष ने इस पोस्ट के साथ लिखा कि आप-दा नहीं सहेंगे, बदल के रहेंगे। भले यह वीडियो पुराना हो, लेकिन चुनाव में इसका भी असर देखने को मिलेगा। क्योंकि पूर्वांचल का मुद्दा अब गरमा गया है।
बीजेपी का केजरीवाल पर सीधा हमला
बीजेपी ने आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल पर पूर्वांचल के लोगों का अपमान करने का आरोप लगाया है। उसने कहा कि विधानसभा चुनाव में हार के डर से वह उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों के खिलाफ अनर्गल बयानबाजी करने पर उतारू हो गये हैं। भाजपा ने कहा कि पिछले 10 वर्षों से दिल्ली पर आपदा बन कर भ्रष्टाचार का पहाड़ खड़ा कर केजरीवाल ने लूट मचायी है। अब उन्हें अपनी हार का डर सताने लगा है, जिससे वह बौखला कर उत्तर प्रदेश और बिहार के हमारे भाई-बहनों के खिलाफ अनर्गल बयानबाजी करने पर उतारू हो गये हैं। केजरीवाल ने यूपी और बिहार के लोगों को फर्जी वोटर कह कर उनका अपमान किया है। दिल्ली की जनता उन्हें सत्ता से उखाड़ कर इसका जवाब जरूर देगी।
पूर्वांचलियों के अपमान का जवाब मिलेगा
बीजेपी सांसद मनोज तिवारी ने भी केजरीवाल पर जोरदार अटैक किया। मनोज तिवारी ने दो टूक कहा कि अरविंद केजरीवाल, यूपी-बिहार, झारखंड के लोगों को बार-बार अपमानित करना बंद कीजिए। आपने इन्हें फर्जी वोटर्स कह कर उनकी मेहनत और सम्मान पर सवाल उठाया है। याद रखिए, पूर्वांचल के ये वही लोग ह, जो 5 फरवरी को आपके इस अपमान का जवाब देंगे।
यह चुनाव केजरीवाल का आखिरी चुनाव होगा: गिरिराज सिंह
बिहार और यूपी वाले लोगों के बारे में पूर्व मुख्यमंत्री केजरीवाल के विवादित बयान से नाराज केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि, जो खुद भ्रष्ट मुख्यमंत्री रहा हो, वह बिहार और यूपी के लोगों के संबंध में अपशब्द बोल रहा है। केजरीवाल ने अन्ना हजारे को धोखा दिया है, अब वो बिहार और यूपी वाले लोगों के ऊपर कटाक्ष कर रहे हैं। गिरिराज सिंह ने कहा कि बिहार और यूपी वाले लोगों की बदौलत वो दिल्ली के मुख्यमंत्री बने थे। लेकिन आज केजरीवाल बिहार और यूपी वाले लोगों को गाली दे रहे हैं। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बिहार और यूपी के लोग स्वाभिमानी होते हैं। अपने परिश्रम की खाते है। वे उन्हीं के वोट से मुख्यमंत्री बने हैं तो यही लोग उनको गद्दी से उतार भी देंगे। यह चुनाव केजरीवाल का आखिरी चुनाव होगा।
अरविंद केजरीवाल को बिहारियों से इतनी नफरत क्यों: चिराग पासवान
लोक जनशक्ति पार्टी (आर) के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने अपने एक्स अकाउंट पर पोस्ट कर कहा कि अरविंद केजरीवाल का ये बयान बेहद निंदनीय है, जो कतई बर्दाश्त करने लायक नहीं है। मैं पूछना चाहता हूं कि केजरीवाल को बिहारियों से इतनी नफरत क्यों? राष्ट्रीय राजधानी के समग्र विकास में यूपी और बिहार के लोगों की एक बड़ी भूमिका रही है। देश और दुनिया भर से लोग नयी दिल्ली आते हैं। ऐसे में बिहारियों का अपमान करना एक सत्ताधारी पार्टी के पूर्व मुख्यमंत्री को शोभा नहीं देता। पूर्वांचल के लोगों का अपमान का परिणाम आने वाले चुनाव में आम आदमी पार्टी को पता चलेगा। नयी दिल्ली में एनडीए की प्रचंड जीत देख कर अरविंद केजरीवाल बौखला गये हैं।
राजद ने भी जताया विरोध
केजरीवाल की टिप्पणी की गूंज बिहार में भी सुनाई दे रही है। बिहार भाजपा के नेताओं ने कहा है कि यूपी-बिहार-झारखंड के लोगों को बार-बार अपमानित करना बंद होना चाहिए। इन्हें फर्जी वोटर कह कर उनकी मेहनत और सम्मान पर सवाल उठाया गया है। दिल्ली के विकास में पूर्वांचल के लोगों की बड़ी भूमिका है। राजद ने कहा है कि अरविंद केजरीवाल को यह पता नहीं है कि 2019-20 में कैसे उन्होंने दिल्ली से बिहारियों को भगाने का काम किया था। अरविंद केजरीवाल पूर्वांचल के लोगों से माफी कब मांगेगे? दिल्ली के चुनाव में पूरे पूर्वांचल के लोग अरविंद केजरीवाल को सत्ता से बाहर हटाने का काम करेंगे।
टिप्पणी पर केजरीवाल ने दी सफाई
अपनी टिप्पणी पर चौतरफा घिरे केजरीवाल को पता चल गया है कि इससे आप की चुनावी संभावनाओं पर असर पड़ सकता है। इसे देखते हुए उन्होंने सफाई भी दे दी है। उन्होंने कहा कि केवल आप ने ही पूर्वांचली मतदाताओं को सम्मान का जीवन दिया है। वह चुनाव आयोग के पास यह बताने गये थे कि रोहिंग्या और बांग्लादेशियों की आड़ में भाजपा के लोग पूर्वांचली मतदाताओं के नाम हटा रहे हैं। लेकिन बदले में भाजपा उनके खिलाफ निराधार आरोप लगा रही है। अगर कोई पार्टी है, जिसने दिल्ली में पूर्वांचल के लोगों का सम्मान किया है और उन्हें सम्मान का जीवन दिया है, तो वह आप है।
दिल्ली में पूर्वांचलियों का प्रभाव
जहां तक दिल्ली में पूर्वांचलियों के प्रभाव का सवाल है, तो दिल्ली में पूर्वांचली वोटरों की राजनीतिक अहमियत किसी से छिपी नहीं है। दिल्ली में 25-30 प्रतिशत वोटर पूर्वांचली हैं, जिनकी जड़ें पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के साथ झारखंड से जुड़ी हुई हैं। पूर्वी और उत्तरी दिल्ली के क्षेत्रों में इनका प्रमुख दबदबा है। दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों में से लगभग 25 से 30 सीटों पर पूर्वांचली वोटरों का खास प्रभाव है। इनमें बुराड़ी, पटपड़गंज, उत्तम नगर, बदरपुर, लक्ष्मी नगर, मॉडल टाउन, देवली, अंबेडकर नगर, पालम और विकासपुरी जैसे क्षेत्र शामिल हैं। पिछले चुनावों में पूर्वांचली वोटरों ने आम आदमी पार्टी को समर्थन दिया है। यहां तक कि केजरीवाल की पार्टी में कई प्रमुख नेता, सांसद और विधायक पूर्वांचल के ही हैं। 2015 और 2020 के विधानसभा चुनावों में आप ने पूर्वांचली बहुल सीटों पर जीत हासिल की थी, जबकि भाजपा और कांग्रेस पिछड़ गयी थीं।
जाहिर है, केजरीवाल की टिप्पणी से नुकसान आप को ही होगा। केजरीवाल शायद भूल गये हैं कि पूर्वांचलियों के खिलाफ माहौल बनाना महाराष्ट्र में राज ठाकरे को कितना भारी पड़ा था। राज ठाकरे ने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) बना कर पूर्वांचलियों के खिलाफ संगठित अभियान चलाया था, जिसका बड़ा राजनीतिक नुकसान उन्हें झेलना पड़ा था। यह नुकसान इतना बड़ा था कि आज तक राज ठाकरे उससे उबर नहीं सके हैं। केजरीवाल को याद रखना चाहिए कि दिल्ली देश की राजधानी है और इसे बनाने में देश के हर हिस्से ने बराबर का योगदान दिया है। ऐसे में यदि वह क्षेत्रवाद का बीज बोयेंगे, तो इसका नुकसान तो उन्हें ही उठाना होगा।