राजीव
रांची। झाविमो के केंद्रीय अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी 14 वर्षों के बाद सोमवार को फिर भाजपा के हो गये। इसके साथ ही उनकी पार्टी झाविमो का भी भाजपा में औपचारिक रूप से विलय हो गया और पूरी पार्टी भगवा रंग में रंग गयी। भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सह गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में बाबूलाल मरांडी ने भाजपा का भगवा धारण किया। इस दौरान भाजपा नेताओं के स्वागत से वह अभिभूत दिखे। मंच पर अमित शाह के ठीक बगल में बाबूलाल मरांडी के बैठने की व्यवस्था की गयी थी। अमित शाह ने माला पहना कर उनका स्वागत किया और गले लगाया। प्रभात तारा मैदान में महामिलन समारोह में भाजपा और झाविमो के हजारों नेता, कार्यकर्ता पहुंचे थे। मैदान में दोनों दलों के झंडे लहराते रहे। समारोह में भाजपा के वरिष्ठ नेता कड़िया मुंडा, सांसद सुदर्शन भगत, प्रदेश प्रभारी ओम प्रकाश माथुर, केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, पूर्व मुख्यमंत्री रघवुर दास, प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुआ, सांसद अन्नपूर्णा देवी और संजठ सेठ के अलावा संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह, प्रदेश महासचिव दीपक प्रकाश, रामविचार नेताम, प्रदेश के सांसद और विधायक सहित हजारों समर्थक मौजूद थे।
2006 में बाबूलाल मरांडी ने छोड़ दी थी भाजपा
भाजपा से नाराज बाबूलाल मरांडी ने 2006 में पार्टी छोड़ दी थी। 14 साल तक तमाम झंझावतों को झेलने के बाद भी बाबूलाल के कदम नहीं ठिठके। विधानसभा चुनाव 2019 के नतीजे आने के बाद बाबूलाल और भाजपा ने नये सिरे से एक-दूसरे की तरफ हाथ बढ़ाया और सोमवार को बाबूलाल दिल से भाजपा के हो गये।
11 को विलय पर लग गयी थी मुहर
इससे पहले 11 फरवरी को बाबूलाल मरांडी ने अपनी पार्टी के भाजपा में विलय की घोषणा की थी। झारखंड विकास मोर्चा की केंद्रीय कार्यकारिणी की बैठक में भाजपा में विलय को लेकर प्रस्ताव रखा गया था, जिसे सर्वसम्मति से पारित किया गया था। उसी दिन उनके भाजपा में जाने की तमाम अटकलों का दौर भी खत्म हुआ।
पार्टी झाड़ू लगाने का काम देगी, तो वह भी करूंगा : बाबूलाल
रांची। समारोह में बाबूलाल मरांडी ने कहा कि डेढ़ महीने से झारखंड सरकार ट्विटर पर चल रही है। सीएम कह रहे हैं कि खजाना खाली है। हेमंत सरकार को चाहिए कि झारखंड में बेरोजगारी, गरीबी और भुखमरी को हटाने के लिए काम करें। उन्होंने कहा कि भाजपा ने योजनाओं के जरिये किसानों को आर्थिक मदद देने का काम किया है, लेकिन इन योजनाओं को हेमंत सरकार खत्म करने की बात कह रही है। प्रदेश में रोज हत्या हो रही है। उग्रवाद सिर उठा रहा है। सरकार से आम लोगों की इच्छा अमन-चैन की होती है। ऐसा नहीं होगा, तो राज्य कभी प्रगति नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि जब देश की अधिकतर राजनीतिक पार्टियां परिवारवाद में सिमटी हैं, तो ऐसे में स्वाभाविक रूप से मेरी पसंद विचारधारावाली पार्टी भाजपा रही। इसलिए मैं भाजपा में आया। उन्होंने कहा कि हम कहीं गये नहीं थे। भाजपा से अलग होने के बाद राज्य का हर कोना घूमा। इन 14 सालों में लगभग छह से सात लाख किमी झारखंड की यात्रा कर जनता की तकलीफ को देखा। भाजपा में लाने का प्रयास पार्टी की ओर से कई बार किया गया। 2014 में जब लोकसभा और विधानसभा के चुनाव में हमें हार मिली, उस समय भी भाजपा में लाने का प्रयास हुआ। इस बार विलय के सूत्रधार ओम प्रकाश माथुर बने। मैंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1990 में की। इस दौरान पार्टी से कभी कोई पद की मांग नहीं की। पार्टी जो भी काम देगी, उसे ईमानदारी से पूरा करूंगा, चाहे वह झाड़ू लगाने का काम ही क्यों न हो।

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