काठमांडू। नेपाल में जैसे-जैसे राष्ट्रपति चुनाव नजदीक आ रहा है, प्रभावशाली नेता और निर्दलीय लोग भी सक्रिय उम्मीदवार बन गए हैं। वे आंतरिक बैठकों में सक्रिय हैं।
नेपाली कांग्रेस से वरिष्ठ नेता रामचंद्र पौडेल और पूर्व मुख्यमंत्री कृष्ण प्रसाद सिटौला राष्ट्रपति पद के दावेदार हैं। एक पक्ष पार्टी के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा को भी बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। हालांकि, पौडेल को सबसे मजबूत उम्मीदवार के तौर पर देखा जा रहा है। सिटौला के करीबी एक नेता ने हिन्दुस्थान समाचार को बताया कि देउबा उन्हें आगे बढ़ाना चाहते हैं।
वरिष्ठ उपाध्यक्ष ईश्वर पोखरेल और उपाध्यक्ष सुभाष चंद्र नेमवांग सीपीएन-यूएमएल के उम्मीदवार हैं। समझा जाता है कि जीत पक्की होने पर ही वे उम्मीदवार बनेंगे। यूएमएल अध्यक्ष केपी शर्मा ओली ने कांग्रेस उम्मीदवार को रोकने के लिए सीपीएन (एस) के अध्यक्ष माधव कुमार नेपाल को बढ़ावा देने की कोशिश की है। वह सोमवार शाम नेपाल के नेता से पहले ही मुलाकात कर चुके हैं। सीपीएन (एस) के नेता सोम प्रसाद पांडेय ने कहा कि आम सहमति तक पहुंचने के प्रयास के तहत चर्चा आगे बढ़ रही है।
डेमोक्रेटिक सोशलिस्ट पार्टी (एलएसपी) के अध्यक्ष महंत ठाकुर को भी एक आकांक्षी के रूप में देखा जा रहा है। उन्होंने प्रधानमंत्री प्रचंड से राष्ट्रपति के तौर पर उनके नाम पर राष्ट्रीय सहमति बनाने को कहा है। एलएसपी नेता राजीव झा ने कहा कि ठाकुर के नाम पर सहमति बनने की प्रबल संभावना है। उन्होंने कहा कि चूंकि ठाकुरजी ने लंबे समय तक कांग्रेस में राजनीति की और उसका त्याग भी किया, इसलिए उनके नाम पर राष्ट्रीय सहमति बन सकती है।
राष्ट्रपति पद की दौड़ में पूर्व प्रधानमंत्री बाबूराम भट्टराई भी हैं। हालांकि उनके नाम पर कोई सहमति नहीं बन पाई है। पूर्व मुख्य न्यायाधीश खिलराज रेग्मी, प्रोफेसर लोकराज बराल, वकील शंभू थापा और अन्य जो राजनीतिक दल से बाहर हैं, वे भी आकांक्षी हैं। रेग्मी ने अतीत में चुनावी सरकार का नेतृत्व भी किया है।
राष्ट्रपति चुनाव नौ मार्च को होगा लेकिन नामांकन 25 फरवरी को दर्ज किए जाने हैं। नामांकन की तारीख नजदीक आते ही उम्मीदवारों की भीड़ तेज हो गई है।