प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल का अंतिम पूर्ण बजट संसद में पेश कर दिया है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किये गये इस बजट को यदि ‘लोकलुभावन’ के साथ भारत को विश्व गुरु बनाने की दिशा में उठाया गया एक मजबूत कदम कहा जाये, तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। इस बजट में दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था को सात फीसदी की गति से आगे ले जाने की प्रतिबद्धता तो नजर आती ही है, साथ ही वैश्विक चुनौतियों का सामना करने का संकल्प भी प्रत्यक्ष दिखता है। इसके साथ ही दुनिया के सबसे बड़े मध्य वर्ग को राहत देने के साथ दूसरे वर्गों को भी कुछ न कुछ देने की परिपाटी का निर्वहन भी वित्त मंत्री ने सफलतापूर्वक किया है। बजट से पहले उम्मीद की जा रही थी कि इसमें महंगाई से राहत, टैक्स में छूट और कृषि क्षेत्र के लिए बड़ी राहत की घोषणा की जायेगी, जबकि ढांचागत क्षेत्र को मजबूत बनाने के साथ भविष्य पर भी समुचित ध्यान दिया जायेगा। आश्चर्यजनक रूप से मोदी सरकार ने इस बजट में इन तमाम आकांक्षाओं को पूरा करने की कोशिश की है। इससे साफ पता चलता है कि इस बजट से एक आम भारतीय की आकांक्षाएं यदि पूरी नहीं हुई हैं, तो उस दिशा में पहली बार गंभीर प्रयास नजर आ रहा है। इस बजट की यही विशेषता है कि इसमें भारतीय अध्यात्म की प्राचीन अवधारणा, संकल्प से सिद्धि तक का बेहतरीन समावेश दिखता है। इसमें अतीत की सीख भी है, वर्तमान की चुनौतियां भी हैं और भविष्य में आगे बढ़ने का संकल्प भी समाहित है। इस लिहाज से इस बजट को मोदी सरकार का अब तक का सर्वश्रेष्ठ बजट कहा जा सकता है। संसद में पेश किये गये आम बजट के तमाम पहलुओं का बारीकी से विश्लेषण कर रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह।
बुधवार एक फरवरी को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपना पांचवां और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का अंतिम बजट संसद में पेश करने के बाद बाहर निकलीं, तब उनके चेहरे पर संतोष का एक भाव था। केवल उनके चेहरे पर ही नहीं, उनके 87 मिनट लंबे बजट भाषण के दौरान आत्म संतुष्टि का यह भाव देश की सबसे बड़ी पंचायत में मौजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर भी साफ झलक रहा था। वित्त मंत्री जैसे-जैसे बजट भाषण आगे बढ़ा रही थीं, प्रधानमंत्री मोदी किसी आध्यात्मिक चिंतन की मुद्रा में नजर आने लगे थे और उनका भाव यही था, ‘तेरा तुझको अर्पण, क्या लागे मोरा’। पीएम मोदी के चेहरे का यह भाव इस बजट में साफ नजर आता है। यह पहली बार है कि बजट में हर वर्ग के लिए कुछ न कुछ है और साथ ही दुनिया को रास्ता दिखाने का संकल्प भी।
यह बजट कितना युगांतरकारी है, यह इसी बात से साफ हो जाता है कि इसमें वेतनभोगी मध्यवर्ग से लेकर समाज के हर तबके का ध्यान रखा गया है। हर वर्ग की आकांंक्षाओं को यदि इस बजट में पूरा नहीं किया गया है, तो भी उस दिशा में गंभीर प्रयास धरातल पर दिखता है। आजाद भारत के इतिहास में इससे पहले दो या तीन बार ऐसा हुआ है कि एक आम भारतीय को घर में समृद्ध बनाने की कोशिश करती सरकार नजर आ रही है। इस बजट की सबसे खास बात यह है कि इसका विजन एक समृद्ध भारतीय का विश्व फलक में बढ़ता कद है।
बजट में राहतों की बारिश
बजट में वित्त मंत्री ने बड़ा एलान करते हुए सात लाख रुपये तक की कुल कमाई करने वालों को बड़ी राहत दी है। इन लोगों को अब कोई टैक्स नहीं देना होगा। इसके अलावा इनकम टैक्स स्लैब की संख्या भी सात से घटा कर पांच कर दी गयी है। बजट में वित्त मंत्री ने महिला बचत सम्मान योजना लांच करने का भी एलान किया है। उनका कहना है कि इससे महिलाएं बचत के लिए प्रोत्साहित होंगी। इसके तहत साढ़े सात फीसदी का सालाना ब्याज मिलेगा। किसानों के लिए भी वित्त मंत्री ने श्री अन्न योजना लांच करने का एलान किया है। इसके तहत मोटे अनाज के उत्पादन को बढ़ावा दिया जायेगा। बजट में किसानों के लिए श्री अन्न योजना शुरू करने का एलान किया गया है। इसके तहत बाजरा, ज्वार, रागी जैसे मिलेट्स के उत्पादन के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जायेगा। इसके अलावा मिलेट्स संस्थान की भी हैदराबाद में स्थापना की जायेगी। बजट में रेलवे के लिए 2.4 लाख करोड़ रुपये आवंटित किये गये हैं जबकि शहरी ढांचागत सुविधाओं के लिए हर वर्ष 10 हजार करोड़ रुपये की रकम जारी की जायेगी।
सबसे जरूरी बात दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के विकास की दर की है, जिस पर पूरी दुनिया की निगाहें थीं। बजट में अनुमान ही नहीं, संकल्प व्यक्त किया गया है कि भारत की अर्थव््यवस्था की विकास दर सात फीसदी रहेगी। यह संकल्प भारत को विश्व गुरु की राह पर ले जानेवाला एक ठोस कदम है। देश के अमृत काल का यह पहला बजट है। इसलिए साफ तौर पर इसमें दिख रहा है कि बीते कुछ सालों में सरकार ने अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए जो नींव रखी थी, अब उस पर मजबूत इमारत खड़ा करने का मौका है।
बजट में सरकार ने स्वास्थ्य से लेकर आवास तक कई योजनाओं में बड़े स्तर पर खर्च की तैयारी की है। आंकड़े बताते हैं कि फार्मास्यूटिकल उद्योग के विकास में सरकार 1250 करोड़ रुपये खर्च करेगी। जल जीवन मिशन के मामले में यह आंकड़ा 70 हजार करोड़ रुपये है। इसके अलावा इलेक्ट्रिक व्हीकल के निर्माण में 5172 करोड़ रुपये, प्रधानमंत्री आवास योजना में 79 हजार 590 करोड़ रुपये, एकलव्य मॉडल रेसिडेंशियल स्कूल में 5943 करोड़ रुपये, पूर्वोत्तर में इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए 2491 करोड़ रुपये खर्च किये जायेंगे।
इस बजट की खास बात यह है कि यह महज आंकड़ों की बाजीगरी पर आधारित नहीं है, बल्कि इसमें देश की अर्थव्यवस्था की हकीकत नजर आती है। वित्त मंत्री ने बजट में ऐसा कोई भी नजरिया शामिल नहीं किया है, जिसके सफल कार्यान्वयन पर सवाल उठाये जा सकें। हर योजना और संकल्प ऐसा है, जिसे अगले कुछ महीने में पूरी तरह जमीन पर उतारा जा सकता है।
इतना ही नहीं, इस बजट में भारत को दुनिया के नक्शे पर सबसे आगे की पंक्ति में रखने के लिए भी पर्याप्त उपाय किये गये हैं। अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए आर्थिक नीतियों को समग्र रूप से परिभाषित किया गया है। राष्ट्र की भौगोलिक अखंडता के सामने व्याप्त चुनौतियों का सामना करने के लिए रक्षा बजट में इजाफा किया गया है। सरकार ने रक्षा मंत्रालय को 5.94 लाख करोड़ रुपये आवंटित किये हैं। इससे पहले यह आंकड़ा 5.25 लाख करोड़ रुपये था। कहा जा रहा था कि तीनों सेनाओं की तरफ से भी फंड में इजाफे की मांग की जा रही थी। इसके अलावा सरकार बड़े स्तर पर सैन्य उपकरण खरीदने की तैयारी कर रही है। बजट में बागवानी परियोजनाओं के लिए 22 सौ करोड़ की रकम जारी की जायेगी। इससे पर्यावरण की रक्षा के साथ ही विकास भी होगा। इसे ‘ग्रीन ग्रोथ’ का नाम दिया गया है।
मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का यह अंतिम बजट वास्तव में ऐसा पूर्ण बजट है, जिसमें कुछ भी नकारात्मक नहीं है। इससे लगता है कि मोदी सरकार ने इस बजट के जरिये मिशन 2024 को बूस्टर डोज पिला दिया है।