Close Menu
Azad SipahiAzad Sipahi
    Facebook X (Twitter) YouTube WhatsApp
    Thursday, May 22
    • Jharkhand Top News
    • Azad Sipahi Digital
    • रांची
    • हाई-टेक्नो
      • विज्ञान
      • गैजेट्स
      • मोबाइल
      • ऑटोमुविट
    • राज्य
      • झारखंड
      • बिहार
      • उत्तर प्रदेश
    • रोचक पोस्ट
    • स्पेशल रिपोर्ट
    • e-Paper
    • Top Story
    • DMCA
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Azad SipahiAzad Sipahi
    • होम
    • झारखंड
      • कोडरमा
      • खलारी
      • खूंटी
      • गढ़वा
      • गिरिडीह
      • गुमला
      • गोड्डा
      • चतरा
      • चाईबासा
      • जमशेदपुर
      • जामताड़ा
      • दुमका
      • देवघर
      • धनबाद
      • पलामू
      • पाकुर
      • बोकारो
      • रांची
      • रामगढ़
      • लातेहार
      • लोहरदगा
      • सरायकेला-खरसावाँ
      • साहिबगंज
      • सिमडेगा
      • हजारीबाग
    • विशेष
    • बिहार
    • उत्तर प्रदेश
    • देश
    • दुनिया
    • राजनीति
    • राज्य
      • मध्य प्रदेश
    • स्पोर्ट्स
      • हॉकी
      • क्रिकेट
      • टेनिस
      • फुटबॉल
      • अन्य खेल
    • YouTube
    • ई-पेपर
    Azad SipahiAzad Sipahi
    Home»लाइफस्टाइल»ब्लॉग»विकास के साथ बढ़े खुशहाली भी
    ब्लॉग

    विकास के साथ बढ़े खुशहाली भी

    आजाद सिपाहीBy आजाद सिपाहीApril 11, 2017No Comments6 Mins Read
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram LinkedIn Pinterest Email

    डॉ जयंतीलाल भंडारी: हालिया वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट में यह बात वाकई हैरान करने वाली है कि हमारा देश खुशहाली के मामले में चीन, पाकिस्तान और नेपाल से भी पीछे पाया गया। संयुक्त राष्ट्रसंघ ने खुशहाल देशों की रैंकिंग तय करते समय जिन पैमानों को ध्यान में रखा है, उनमें प्रतिव्यक्ति आय, सकल घरेलू उत्पाद, स्वास्थ्य, जीवन प्रत्याशा, उदारता, आशावादिता, सामाजिक समर्थन, सरकार और व्यापार में भ्रष्टाचार की स्थिति शामिल है। विभिन्न देशों की खुशहाली से संबंधित इस रिपोर्ट के आधार पर कह सकते हैं कि देश की जिस तेजी से विकास दर बढ़ रही है, उसी रफ्तार से लोगों की खुशियां नहीं बढ़ रही हैं। यह कोई छोटी बात नहीं है कि नोटबंदी के बाद भी वर्ष 2016-17 की तीसरी तिमाही यानी अक्टूबर-दिसंबर में विकास दर 7 फीसदी रही और विश्व बैंक का कहना है कि वर्ष 2017 में सर्वाधिक विकास दर भारत की ही होगी, लेकिन दूसरी ओर देश के लोगों की सामाजिक सुरक्षा, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधा की स्थिति चिंताजनक है। देश के 80 फीसदी से अधिक लोगों को सामाजिक सुरक्षा की छतरी उपलब्ध नहीं। आम आदमी के धन का एक बड़ा भाग जरूरी सार्वजनिक सेवाओं, स्वास्थ्य सुविधा और शिक्षा में व्यय हो रहा है। इस कारण बेहतर जीवन-स्तर की अन्य जरूरतों की पूर्ति में वे बहुत पीछे हैं। भारत में बेहद गरीबी में जीवन बसर करने वाले लोगों की संख्या बहुत बड़ी है।

    कुपोषण के मामले में भारत दुनिया के सबसे निचले पायदान पर खड़े देशों में है। पिछले दशक में चाहे धनकुबेरों की संख्या बढ़ने के मान से भारत दुनिया के पहले दस देशों में शामिल है, लेकिन भारत में बहुत ज्यादा गैर-बराबरी भी स्पष्ट दिख रही है। चूंकि तेज आर्थिक विकास ने करोड़ों भारतीयों में बेहतर जिंदगी की महत्वाकांक्षा जगा दी है, ऐसे में जब उन्हें उपयुक्त सामाजिक सुरक्षा, गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य एवं शिक्षा सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं, तो उनकी निराशाएं बढ़ती जा रही हैं। देश में भ्रष्टाचार रोकने के कई कदमों के बाद भी स्थिति सुधरने का नाम नहीं ले रही है। वैश्विक संगठन ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने एशिया-प्रशांत क्षेत्र में भ्रष्टाचार व घूसखोरी का जो ताजा अध्ययन इसी माह प्रकाशित किया, उसमें भारत को सर्वाधिक घूसखोरी वाला देश बताया गया है। कहा गया है कि साल 2016 में इस देश के 69 फीसदी लोगों को सरकारी सेवाओं के उपयोग के लिए घूस देना पड़ी। ऐसे में हमें यह स्वीकार करना ही होगा कि देश में विकास का मौजूदा रोडमैप लोगों को खुशियों देने में बहुत पीछे है। यह रोडमैप सामाजिक असुरक्षा और लोगों के जीवन की पीड़ा नहीं मिटा पा रहा है। देश को विकास दर से ज्यादा आम आदमी की खुशहाली की जरूरत दिखाई दे रही है।
    वस्तुत: संयुक्त राष्ट्रसंघ के मानव विकास सूचकांक में इस बात का संकेत है कि भारत को अपनी जनता के स्वास्थ्य, शिक्षा व अन्य नागरिक सुविधाओं में सुधार के साथ उनका जीवन-स्तर ऊपर उठाने की दिशा में अभी लंबा सफर तय करना है। यदि देश को नॉलेज इकोनॉमी की दिशा में आगे बढ़ना है तो युवाओं के कौशल विकास कार्यक्रम को धरातल पर प्रभावी ढंग से लागू करना होगा। छात्रों को अच्छे रोजगार के लिए तैयार करने हेतु ठोस प्रयास करने होंगे। उद्योग-व्यापार से जुड़े लोगों की खुशहाली बढ़ाने के लिए औद्योगिक-व्यावसायिक सुगमता बढ़ाना होगी। कारोबारी-व्यावसायिक माहौल की जटिलताओं और ढांचागत कमजोरियों को दूर करना होगा। किसानों की खुशहाली, कृषि विकास के अधिक प्रयासों के साथ आम किसान तक फसल बीमा सुविधा पहुंचाने के कारगर प्रयास करने होंगे।

    चूंकि लोगों की खुशहाली का संबंध पर्यटन से भी है, अतएव देश के आम आदमी को भी सरल, सस्ते और सुगम पर्यटन की सुविधा उपलब्ध कराने के प्रयास जरूरी हैं। वस्तुत: देश के लोगों में खुशहाली बढ़ाने के लिए हमारी सरकारों व समाज को खुशहाली से संबद्ध मनोवैज्ञानिक खोजों के निष्कर्षों को भी ध्यान में रखना होगा। यूनिवर्सिटी आॅफ कैलिफोर्निया की मनोवैज्ञानिक सोंजा ल्यूबोमिरुकी का शोध अध्ययन कहता है कि जहां कुछ हद तक जीवन की परिस्थितियां हमारी खुशहाली तय करती हैं, वहीं खुशी का बहुत बड़ा हिस्सा हम खुद अपने प्रयासों से हासिल कर सकते हैं। ल्यूबोमिरुकी के निष्कर्षों के मुताबिक परोपकार व आशावादी विचारों से खुशी बढ़ती है।

    देश के अधिकांश लोग जीवन की आपाधापी व पश्चिमी संस्कृति की होड़ में अपने पारिवारिक, सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन के सुख-संतोष से वंचित हो रहे हैं। परिवारों में तनाव बढ़ रहे हैं। संस्कारों में कमी आ रही है। लोगों में निराशा की प्रवृत्ति बढ़ रही है। हमें लोगों को यह समझाना होगा कि सिर्फ धन के ढेर लगाने से ही खुशहाली नहीं आती, बल्कि अधिकाधिक धन कमाने की लिप्सा में अपने पारिवारिक, सामाजिक व सांस्कृतिक जीवन को भूलने से वास्तविक खुशहाली दूर हो जाती है। परिवार में दबाव से नहीं, अपितु प्रेम और संस्कार की बदौलत ही खुशियों को संजोकर रखा जा सकता है। देश में खुशहाली बढ़ाने के लिए वर्ष 2017 में संयुक्त राष्ट्रसंघ द्वारा तैयार खुशहाल देशों की पहली पंक्ति में स्थान पाने वाले देशों की तरह हमें भी एक ओर आम आदमी की बुनियादी जरूरतों की पूर्ति करनी होगा।
    तथा दूसरी ओर सांस्कृतिक और नैतिक मूल्यों को बढ़ावा देना होगा।
    बहरहाल, हमारा देश 2017 की वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट में भले ही निचले पायदान पर है, लेकिन अब जो आर्थिक-सामाजिक परिदृश्य उभरता दिखाई दे रहा है, उसके आधार पर खुशहाली बढ़ने की संभावनाएं बढ़ गई हैं। निश्चित रूप से नोटबंदी के बाद वर्ष 2017 की शुरूआत में देश में कालाधन नियंत्रण के नए परिदृश्य में आम आदमी आर्थिक-सामाजिक लाभ मिलने के प्रति कहीं ज्यादा आशान्वित है। 17 मार्च को घोषित नई स्वास्थ्य नीति के तहत अब स्वास्थ्य पर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 2.5 फीसदी धन खर्च करने का लक्ष्य रखा गया है, जो कि अभी जीडीपी का 1.04 फीसदी है। साथ ही देश के 80 फीसदी लोगों का इलाज सरकारी अस्पतालों में मुफ्त होगा।

    ऐसे में देश में स्वास्थ्य का स्तर बढ़ेगा और लोगों की जीवन प्रत्याशा भी बढ़ेगी। इसी तरह मौजूदा सरकार ने अपनी नीतियों को जिस तरह ग्रामीण भारत और गरीबों पर केंद्रित किया है, उसका लाभ भी आम आदमी को मिलेगा। सरकार स्वच्छ भारत अभियान के तहत सरकार गरीबों के लिए शौचालय बनवाने और उज्ज्वला योजना के अंतर्गत गरीब महिलाओं को मुफ्त गैस कनेक्शन देने की डगर पर जिस तेजी से आगे बढ़ी है, उसका प्रभावी लाभ भी बड़ी संख्या में लोगों को मिलेगा। ऐसे में हम उम्मीद करें कि आर्थिक-सामाजिक कल्याण के विभिन्न् कदमों के चलते अगले वर्ष संयुक्त राष्ट्रसंघ के द्वारा तैयार की जाने वाली वैश्विक हैप्पीनेस सूची में हमारा भारत अग्रणी देशों में शुमार नजर आएगा।

    Share. Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Articleभारतीय फुटबॉल टीम ने किया ये बड़ा करिश्मा, फीफा रैंकिंग में मिली बड़ी कामयाबी
    Next Article विचारधारा से भटकने का खामियाजा
    आजाद सिपाही
    • Website
    • Facebook

    Related Posts

    मंगलवार शाम आसमान में दिखेगा अद्भुत नजारा, दो ग्रहों-दो तारों के साथ होगा चांद का मिलन

    May 22, 2023

    कभी हिल स्टेशन के नाम से मशहूर रांची आज हीट आइलैंड इफेक्ट के प्रभाव में

    May 19, 2023

    अखंड सौभाग्य के लिए महिलाओं ने की वट सावित्री की पूजा

    May 19, 2023
    Add A Comment

    Comments are closed.

    Recent Posts
    • आतंक की कीमत चुकानी होगी, पाकिस्तान का ‘स्टेट और नॉन-स्टेट’ एक्टर का नाटक नहीं चलेगाः प्रधानमंत्री
    • फरीदाबाद में मिला कोरोना संक्रमित, स्वास्थ्य विभाग सतर्क
    • कृषि, स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में विकास करना प्राथमिकता: विधायक
    • जेपीएससी नियुक्ति घोटाला मामला : डीएसपी शिवेंद्र की अग्रिम जमानत पर अब 23 मई को सुनवाई
    • प्रधानमंत्री ने झारखंड के तीन अमृत भारत रेलवे स्टेशनों का भी किया उद्घाटन
    Read ePaper

    City Edition

    Follow up on twitter
    Tweets by azad_sipahi
    Facebook X (Twitter) Instagram Pinterest
    © 2025 AzadSipahi. Designed by Microvalley Infotech Pvt Ltd.

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.

    Go to mobile version