- हेमंत ने शुरू की गांव के अंतिम व्यक्ति को भूख से राहत देने की पहल
- दो करोड़ लोगों तक भोजन पहुंचाने की कवायद
आजाद सिपाही संवाददाता
रांची। कोरोना से जंग लड़ रहे झारखंड में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने एक और ऐतिहासिक फैसला किया है। देश में पहली बार किसी राज्य सरकार ने लॉकडाउन के दौरान ग्रामीण आबादी को हो रही दिक्कतों की ओर ध्यान दिया है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्य की हर पंचायत में मुख्यमंत्री दीदी किचेन शुरू करने का फैसला किया है। राज्य की 4562 ग्राम पंचायतों में मुख्यमंत्री दीदी किचेन की शुरूआत विधिवत रूप से रविवार पांच अप्रैल से होगी। कुछ पंचायतों में शनिवार से यह शुरू हो गयी और अधिकांश में आज से होगी। यहां से गांवों में जरूरतमंद लोगों को तैयार भोजन के पैकेट दिये जायेंगे। इस योजना से दो करोड़ लोग कवर हो सकेंगे, जिन्हें लॉकडाउन के दौरान भोजन मिलने में बहुत कठिनाई हो रही है।
मुख्यमंत्री दीदी किचेन योजना की शुरूआत की जानकारी श्रम, नियोजन और प्रशिक्षण मंत्री सत्यानंद भोगता ने शनिवार को मीडिया को दी। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने प्रत्येक पंचायत में दीदी किचेन शुरू करने का निर्देश दिया है। यहां गरीबों के लिए नि:शुल्क भरपेट खाना उपलब्ध कराया जायेगा। यह भोजन दोपहर को दिया जायेगा और इसे स्थानीय स्तर पर ही तैयार किया जायेगा। भोजन पकाने और वितरण के काम में सेविका-सहायिकाओं के अलावा रसोइयों को लगाया जायेगा। इसके अलावा सखी मंडलों को भी इस काम में लगाया जायेगा। मंत्री ने बताया कि इस महामारी से गरीबों के बीच भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गयी है, जिसको राज्य सरकार ने गंभीरता से लिया है। योजना के लिए आवश्यक सामग्री खाद्य आपूर्ति विभाग की ओर से उपलब्ध कराया जायेगा। यह भोजन पंचायत सचिवालय पर बनाया जायेगा। इस योजना में खर्च की गयी राशि का भुगतान श्रम, नियोजन विभाग के द्वारा किया जायेगा।
मंत्री ने बताया कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने गांव में रहनेवाले लोगों की समस्याओं के प्रति संवेदनशीलता दिखायी है। लॉकडाउन शुरू होने के बाद से ही उन्हें ग्रामीण इलाकों से शिकायतें मिल रही थीं। इसलिए वह इस समस्या को लेकर लगातार विचार-विमर्श कर रहे थे। उन्होंने कहा कि संकट की इस घड़ी में हमारी सरकार जनता के साथ खड़ी है। किसी गरीब को सरकार भूखे-प्यासे नहीं रहने देगी। सबको अन्न और पानी उपलब्ध कराया जायेगा। श्रम मंत्री सत्यानंद भोगता ने कहा कि आपदा की इस घड़ी में राज्य सरकार लोगों की सहायता के लिए कटिबद्ध है। मंत्री ने दीदी किचेन योजना शुरू करने के लिए मुख्यमंत्री के प्रति आभार जताया। उन्होंने कहा कि यह एक ऐसी पहल है, जिसका अनुशरण दूसरे राज्यों में भी किया जाना चाहिए।
माइग्रेंट लेबर कंट्रोल रूम बनाया गया
भोगता ने कहा कि लॉकडाउन के कारण राज्य से बाहर गये श्रमिक फंस गये हैं। उनकी मदद के लिए श्रम, नियोजन एवं प्रशिक्षण विभाग ने माइग्रेंट लेबर कंट्रोल रूम का गठन किया है। इसमें उनकी समस्याओं को सुनने एवं समस्याओं के त्वरित निष्पादन हेतु कार्रवाई की जा रही है। यह कंट्रोल रूम 24 घंटे काम कर रहा है। इस कंट्रोल रूम के लिए कार्मिक प्रशासनिक सुधार तथा राजभाषा विभाग द्वारा पदाधिकारियों की प्रतिनियुक्ति की गयी है। मंत्री ने बताया कि तीन अप्रैल को इस कंट्रोल रूम में कुल 18 हजार 441 कॉल आये, जिसमें छह लाख 72 हजार 544 श्रमिकों की समस्याओं को समाधान के लिए नोडल पदाधिकारी को दिया गया। ये अधिकारी राज्यों के प्रशासन से समन्वय कर समस्याओं का समाधान कर रहे हैं। मौके पर आप्त सचिव लियाकत अली, अभय कुमार सिंह, राजू रंजन समेत कई पदाधिकारी और कर्मचारी
उपस्थित थे।