मेघनाद, रावण का पुत्र था। उसने इंद्र पर विजय हासिल कर बंदी बना लिया था। लेकिन ब्रह्माजी की आज्ञा के कारण उसने इंद्र को छोड़ दिया। इसलिए मेघनाद को इंद्रजीत की उपाधि ब्रह्माजी ने दी। ब्रह्मा जी ने उसे वरदान भी दिया कि, जो व्यक्ति 14 साल तक न सोया हो, उसने किसी स्त्री का चेहरा देखा और चौदह वर्ष खाना नहीं खाया हो वही व्यक्ति मेघनाद का संहार कर सकता है। त्रिदेव भी मेघनाद को नहीं मार सकते थे। राम, श्रीहरि के अवतार थे और श्रीहरि त्रिदेव में से एक हैं। इसलिए वह मेघनाद का वध नहीं कर सके। मेघनाद का वध लक्ष्मण ने ही किया। कहते हैं मेघनाद का जन्म हुआ तब वह रोया नहीं बल्कि उसके रोने की वजह बिजली की आवाज सुनाई दी। रावण ने इसलिए अपने शिशु का नाम मेघनाद रखा।

त्रेतायुग में लक्ष्मण ही एकमात्र ऐसे व्यक्ति थे। जिन्होंने 14 वर्ष तक न अन्न खाया, न ही किसी का चेहरा देखा और और ना ही 14 तक सोए थे। जब ये बात श्रीराम को पता चली तो उन्होंने लक्ष्मण से पूछा, अनुज तुमने यह सब कैसे किया? तब लक्ष्मण जी ने कहा, जब आप सुग्रीव के साथ माता सीता के आभूषण देख रहे थे तब सिर्फ मैं उनके पैरों के आभूषण ही पहचान सका। क्योंकि मैंने कभी उनका चेहरा नहीं देखा था। वहीं, जब आप सो जाते थे तो रातभर जागकर मैं आपकी रक्षा के लिए पहरेदारी करता था।

एक बार निद्रा मेरे पास आई तो मैंने उसे अपने बाणों से पराजित कर दिया और फिर उसने यह वचन दिया कि वह 14 साल तक मेरे पास नहीं आएगी। जब आपका राज्याभिषेक हो रहा था। तब मैं छत्र लिए आपके पीछे खड़ा था। उसी समय मेरे हाथ से छत्र नींद के कारण गिर गया था।ठीक इस तरह जब आप मुझे खाने के लिए भोजन देते तो आप कहते आप यह फल रख लीजिए। आपने नहीं कहा इसे खा लीजिए। तब मैं आपकी आज्ञा की अवहेलना कैसे कर सकता था। यह सब कुछ बातें सुन श्रीराम की आंखें नम हो गईं और उन्होंने अनुज लक्ष्मण को गले लगा लिया।

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