पूर्वी चंपारण। जिले में आगामी 25 मई को छठे चरण में लोकसभा चुनाव होना निश्चित है,जिसको लेकर चुनाव आयोग के निर्देश पर प्रशासनिक तैयारियां तेज है।

इसके साथ ही मतदान का प्रतिशत बढाने को लेकर गांव गांव में जागरूकता कार्यक्रम भी चलाया जा रहा है।वही दुसरी ओर औधौगिक पतन व बेरोजगारी से बेहाल कृषि अर्थव्यवस्था आधारित इस जिले से मजदूरों का पलायन जारी है। गेहूं की कटाई समाप्त होते ही रोजी रोटी की तलाश में दिल्ली,मुंबई,पंजाब व कोलकाता जाने वाली सहित लंबी दूरी की हर ट्रेनों में रोज भर भर कर मजदूरों का जत्था अन्य प्रदेशो में जाने को मजबूर हैं।

हिन्दुस्थान समाचार से बात करने पर इन प्रवासियों मजदूरो ने बताया कि मन तो बहुत है,कि वोट दे,लेकिन क्या करे जिस कंपनी में काम करते है,अगर वहां समय पर नही गये तो वह मेरे जगह दूसरे मजदूर को काम पर रख लेगा और हमारा रोजी रोटी छिन जायेगा।

बापूधाम मोतिहारी रेलवे स्टेशन पर जननायक एक्सप्रेस पकड़ने के लिए बैठे बंजरिया प्रखंड निवासी मजदूरो का एक समूह में शामिल कृष्णा मुखिया,शत्रुध्न साह व रोहित बताते है,कि भाई अपना घर गांव छोड़कर दुसरे प्रदेश कौन जाना चाहता है। लेकिन क्या करे यहां रोजगार है नही? सप्तक्रांति एक्सप्रेस के इंतजार में बैठे छौड़ादानो प्रखंड के यमुना राय,हरिन्द्र और रंजीत बताते है,कि वोट देना जरूरी है,लेकिन पेट भी भरना जरूरी है। वोट देते है लेकिन सरकार बिहार में रोजगार के लिए कुछ करता तो है नही। वही मिथिला एक्ससप्रेस पकड़ने के लिए बैठे मधुबन व पकड़ीदयाल के मजदूरो के समूह में शामिल पंचमलाल,हरि पासवान,रामभरोस बताते है,कि हमे पता है,कि हमारे वोट की कितनी कीमत है,चुनाव में घर पर रहने की इच्छा तो बहुत थी, लेकिन कन्याकुमारी से कंपनी का ठीकेदार बारबार काम पर लौटने के लिए फोन कर रहा है, जिसके चलते उनको जाना पड़ रहा है।वही अवध एक्सप्रेस पकड़ने के लिए बैठे केसरिया के करीब बीस मजदूरो के समूह में शामिल चोकट सहनी हरेराम महतो व रंजीत बताते है,कि बड़ी मुश्किल से होली में छुट्टी लेकर घर आये थे। जिसके बाद गेहूँ की कटाई में ऐसे ही लेट हो गया है। कंपनी वाला बारबार फोन कर रहा है,नही आने पर दुसरे मजदूर को रखने की बात कह रहा है।वोट देने का मन तो था,लेकिन करे तो क्या करे।

अपने यहां रोजी-रोजगार का अभाव है। अगर अपने यहां भी रोजगार रहता तो देश को मजबूत बनाने के लिए जरूर वोट करते। इस तरह देखा जाय तो वोटिंग की इच्छा मन में दबाये जिले के कई प्रखंडो से मजदूर रोजी-रोटी की तलाश में पलायन को मजबूर है।

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