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    Home»Top Story»सखुआ का पेड़ सिर्फ प्रतीक ही नहीं, बल्कि अमूल्य स्त्रोत भी: कल्पना
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    सखुआ का पेड़ सिर्फ प्रतीक ही नहीं, बल्कि अमूल्य स्त्रोत भी: कल्पना

    adminBy adminApril 11, 2024Updated:April 11, 2024No Comments2 Mins Read
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    रांची। कल्पना सोरेन ने ट्वीट कर राज्यवासियों को सरहुल की शुभकामनाएं दी हैं। ट्वीट कर लिखा है कि जलवायु परिवर्तन के इस दौर में हमें अपने प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण पर ध्यान देना चाहिए। सखुआ का पेड़ केवल एक प्राचीन प्रतीक ही नहीं है। इसके पत्ते, फूल और लकड़ी हमारे खाद्य, औषधीय और जीवन-उपयोगी सामग्री के अमूल्य स्रोत भी हैं। सरहुल का पर्व मनाकर, हम प्रकृति की रक्षा के प्रति एक बार फिर अपनी जिम्मेदारी को दोहराते हैं। मैं पूरे देश को सरहुल के पावन पर्व में शामिल होने के लिए आमंत्रित करती हूं। आइए, हम कृतज्ञता, एकजुटता और समृद्ध पारंपरिक संस्कृति के साथ प्रकृति का यह पावन पर्व मनाएं।सभी की खुशहाली की करते हैं कामना
    कल्पना ने लिखा है कि जैसे ही सखुआ के पेड़ों पर फूल खिलने लगते हैं, हमें एक बार फिर प्रकृति के अमूल्य उपहारों का आभार व्यक्त करने का अवसर मिलता है। उन्होंने लिखा है कि पीढ़ियों से, सरहुल हमारे लिए, जल, जंगल, जमीन की रक्षा करने वाले हमारे पूर्वजों को याद करने का पावन पर्व भी रहा है। इस दिन हम पूजा करने के साथ-साथ सुंदर फूलों से आच्छादित सखुआ के पेड़ के नीचे एकत्रित होकर भोज करते हैं। हर्षोल्लास से नाचते-झूमते हैं और सभी की खुशहाली की कामना करते हैं।

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