Close Menu
Azad SipahiAzad Sipahi
    Facebook X (Twitter) YouTube WhatsApp
    Wednesday, June 11
    • Jharkhand Top News
    • Azad Sipahi Digital
    • रांची
    • हाई-टेक्नो
      • विज्ञान
      • गैजेट्स
      • मोबाइल
      • ऑटोमुविट
    • राज्य
      • झारखंड
      • बिहार
      • उत्तर प्रदेश
    • रोचक पोस्ट
    • स्पेशल रिपोर्ट
    • e-Paper
    • Top Story
    • DMCA
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Azad SipahiAzad Sipahi
    • होम
    • झारखंड
      • कोडरमा
      • खलारी
      • खूंटी
      • गढ़वा
      • गिरिडीह
      • गुमला
      • गोड्डा
      • चतरा
      • चाईबासा
      • जमशेदपुर
      • जामताड़ा
      • दुमका
      • देवघर
      • धनबाद
      • पलामू
      • पाकुर
      • बोकारो
      • रांची
      • रामगढ़
      • लातेहार
      • लोहरदगा
      • सरायकेला-खरसावाँ
      • साहिबगंज
      • सिमडेगा
      • हजारीबाग
    • विशेष
    • बिहार
    • उत्तर प्रदेश
    • देश
    • दुनिया
    • राजनीति
    • राज्य
      • मध्य प्रदेश
    • स्पोर्ट्स
      • हॉकी
      • क्रिकेट
      • टेनिस
      • फुटबॉल
      • अन्य खेल
    • YouTube
    • ई-पेपर
    Azad SipahiAzad Sipahi
    Home»Top Story»सखुआ का पेड़ सिर्फ प्रतीक ही नहीं, बल्कि अमूल्य स्त्रोत भी: कल्पना
    Top Story

    सखुआ का पेड़ सिर्फ प्रतीक ही नहीं, बल्कि अमूल्य स्त्रोत भी: कल्पना

    adminBy adminApril 11, 2024Updated:April 11, 2024No Comments2 Mins Read
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram LinkedIn Pinterest Email

    रांची। कल्पना सोरेन ने ट्वीट कर राज्यवासियों को सरहुल की शुभकामनाएं दी हैं। ट्वीट कर लिखा है कि जलवायु परिवर्तन के इस दौर में हमें अपने प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण पर ध्यान देना चाहिए। सखुआ का पेड़ केवल एक प्राचीन प्रतीक ही नहीं है। इसके पत्ते, फूल और लकड़ी हमारे खाद्य, औषधीय और जीवन-उपयोगी सामग्री के अमूल्य स्रोत भी हैं। सरहुल का पर्व मनाकर, हम प्रकृति की रक्षा के प्रति एक बार फिर अपनी जिम्मेदारी को दोहराते हैं। मैं पूरे देश को सरहुल के पावन पर्व में शामिल होने के लिए आमंत्रित करती हूं। आइए, हम कृतज्ञता, एकजुटता और समृद्ध पारंपरिक संस्कृति के साथ प्रकृति का यह पावन पर्व मनाएं।सभी की खुशहाली की करते हैं कामना
    कल्पना ने लिखा है कि जैसे ही सखुआ के पेड़ों पर फूल खिलने लगते हैं, हमें एक बार फिर प्रकृति के अमूल्य उपहारों का आभार व्यक्त करने का अवसर मिलता है। उन्होंने लिखा है कि पीढ़ियों से, सरहुल हमारे लिए, जल, जंगल, जमीन की रक्षा करने वाले हमारे पूर्वजों को याद करने का पावन पर्व भी रहा है। इस दिन हम पूजा करने के साथ-साथ सुंदर फूलों से आच्छादित सखुआ के पेड़ के नीचे एकत्रित होकर भोज करते हैं। हर्षोल्लास से नाचते-झूमते हैं और सभी की खुशहाली की कामना करते हैं।

    Share. Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Articleकांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय प्रवक्ता रोहन गुप्ता भाजपा में शामिल
    Next Article सीएम चंपाई सोरेन रामनवमी सेवा शिविर में शिरकत करेंगे
    admin

      Related Posts

      डिटेंशन सेंटर से फरार तीन बांग्लादेशी नागरिक गिरफ्तार, हजारीबाग पुलिस को बड़ी कामयाबी

      June 10, 2025

      मां की हत्या का आरोपित गिरफ्तार

      June 10, 2025

      कांग्रेस नेता राजकुमार रजक का आकस्मिक निधन

      June 10, 2025
      Add A Comment

      Comments are closed.

      Recent Posts
      • डिटेंशन सेंटर से फरार तीन बांग्लादेशी नागरिक गिरफ्तार, हजारीबाग पुलिस को बड़ी कामयाबी
      • बॉक्स ऑफिस पर ‘हाउसफुल-5’ का जलवा, 100 करोड़ के क्लब में शामिल
      • बॉक्स ऑफिस पर ‘ठग लाइफ’ की रफ्तार थमी, फिल्म को नहीं मिला दर्शकों का प्यार
      • भारत ए बनाम इंग्लैंड लायंस: कोटियन-कंबोज की शानदार साझेदारी, दूसरा अनौपचारिक टेस्ट ड्रॉ
      • एफआईएच प्रो लीग: रोमांचक मुकाबले में नीदरलैंड ने भारत को 3-2 से हराया
      Read ePaper

      City Edition

      Follow up on twitter
      Tweets by azad_sipahi
      Facebook X (Twitter) Instagram Pinterest
      © 2025 AzadSipahi. Designed by Microvalley Infotech Pvt Ltd.

      Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.

      Go to mobile version