प्रो सरस्वती भारतीय संस्कृति, धर्म और आदिवासी अध्ययन के प्रणेता: शांडिल्य
रांची। बीएन सरस्वती मेमोरियल लेक्चर के तहत संथाल समाज में आध्यत्मवाद विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता के तौर पर आमंत्रित थे, प्रसिद्ध मानवशास्त्री और विद्या भवन विश्वविद्यालय शांतिनिकेतन, पश्चिम बंगाल के पूर्व प्राचार्य कत ओंकार प्रसाद। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति डॉण् तपन कुमार शांडिल्य ने की।

बताया कि बीएन सरस्वती एक दशक तक भारतीय मानव विज्ञान सर्वेक्षण, कोलकाता से जुड़े रहे। इस लंबी अवधि में उन्होंने ग्रामीण भारत में स्थानीय स्तर पर व्यापक कार्य किया। उन्होंने विद्यार्थियों को उनके द्वारा लिखित पुस्तकें पढ़ने की सलाह दी, जिनमें एस्थेटिक्स आॅफ काशी महत्वपूर्ण है। उन्होने कहा कि प्रो बीएन सरस्वती ने 1995 से 2002 तक इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में सांस्कृतिक दिशा में यूनेस्को अध्यक्ष का पद संभाला।

ओंकार प्रसाद ने प्रो बीएन सरस्वती के जीवन वृत्त पर विस्तार से चर्चा की। इस मौके पर वक्ताओं में झारखंड ओपेन विश्वविद्यालय के कुलपति टीएन साहू ने कहा कि झारखंड की सभी जनजातियां प्रकृति की उपासक है। उन्होंने संथालों के धार्मिक रीति रिवाजों की चर्चा की। विश्वविद्यालय के टीआरएल विभाग के समन्वयक प्रो डॉ बिनोद कुमार ने संथाली संस्कृति को विस्तार से बताते हुए उनके धर्म और संस्कृति पर जोर दिया।

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