पुणे से साथियों संग यूपी के लिए पैदल निकले संदीप के होंठ अपनी पीड़ा बताते हुए कांपने लगते हैं।
वो कहता है ‘हमारे पास खाने को एक रुपया भी नहीं है, किसी ने बताया नहीं कि प्रयागराज को ट्रेनें चल रही हैं। इसलिए पैदल ही जाने का फैसला कर लिया है, उम्मीद है कि दस दिन में पहुंच जाएंगे। राजेश बताते हैं, थाने गए थे, वहां बताया गया कि यातायात का साधन नहीं है। इसलिए पैदल निकल पड़े।
लॉकडाउन ने मूक-बधिर युवक को परिवार से दस साल बाद मिला दिया। महाराष्ट्र से निकले 500 मजदूर जब मप्र के सेंधवा पहुंचे तो इंस्पेक्टर विनोद यादव ने पूछताछ की।