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    Home»Breaking News»सरयू राय ने भेजा सीएम को लेटर बम, रघुवर पर निशाना
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    सरयू राय ने भेजा सीएम को लेटर बम, रघुवर पर निशाना

    azad sipahiBy azad sipahiMay 14, 2020No Comments5 Mins Read
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    किसके आदेश पर कांके रोड में खुल गया था स्पेशल ब्रांच का अवैध कार्यालय
    किसके आदेश पर बैद्यनाथ प्रसाद को मिले थे दो ड्राइवर और बॉडीगार्ड
    आजाद सिपाही संवाददाता
    रांची। पूर्व मंत्री सह विधायक सरयू राय ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को लेटर बम भेजा है। इसके जरिए उन्होंने रघुवर सरकार में कुछ टॉप के लोगों के निर्देश पर हुई फोन टेपिंग और जासूसी की एसआइटी जांच कराने की मांग की है। राय ने मुख्यमंत्री को पूर्व डीजीपी को लिखे पत्र की भी याद दिलायी है। कहा है कि रघुवर सरकार में कुछ मनबढ़ू अधिकारियों ने जो कुकृत्य किये इससे पुलिस का चेहरा मलिन हुआ। उन्होंने पूरे मामले की जांच के लिए एसआइटी का गठन करने का आग्रह मुख्यमंत्री से किया है। कहा है कि पिछली सरकार में कुछ ऐसे कुकृत्य हुए, जो लोकतंत्र की मर्यादाओं का हनन करते हैं। उन्होंने यह भी कहा है कि एक मई को ही उन्होंने डीजीपी को पत्र लिखकर जांच की मांग की थी, लेकिन अब तक उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।

    नेताओं की होती थी जासूसी
    राय ने पत्र में लिखा है कि पिछली सरकार में स्पेशल ब्रांच के अफसर नेताओं पर नजर रखते थे। ऐसा करने के लिए गोंदा थाना के बगल में स्पेशल ब्रांच का एक अवैध कार्यालय खोला गया था। सीडब्लूसी, सदस्य बैजनाथ प्रसाद इस कार्यालय के संपर्क सूत्र के रूप में काम करते थे। इस मामले की जांच जरूरी है कि आखिर किसके आदेश पर और किन परिस्थितियों में यह कार्यालय खोला गया।

    राय ने डीजीपी को भी लिखा था पत्र
    सरयू राय ने इस मामले पर पहले डीजीपी को चिट्ठी लिखी थी। एक मई को राज्य के डीजीपी को चिट्ठी लिखने के बाद उन्होंने एक ट्वीट कर पिछली सरकार के दौरान पुलिसिया कार्यप्रणाली पर अंगुली उठायी थी। कहा था कि कुछ बड़े पुलिस अधिकारियों की शह पर ऐसा हो रहा था।

    विरोधी नेताओं की होती थी जासूसी और फोन टेपिंग
    सरयू राय ने सीएम को लिखे पत्र में कहा है कि पिछली सरकार में विरोधी नेताओं पर स्पेशल ब्रांच के जरिए अवैध तरीके से निगरानी रखी जाती थी। उनके फोन भी टेप किये जाते थे। किसी जनप्रतिनिधि की निजी स्वतंत्रता के हनन के मामले में शीर्ष पद पर बैठे व्यक्ति की सहमति के बिना ऐसे कुकृत्य को अंजाम देने की हिम्मत किसी वरीय पुलिस पदाधिकारी की नहीं होगी। तत्कालीन भवन निर्माण विभाग के मंत्री तथा सचिव, डीजीपी, गृह सचिव के सचिव को भी इसकी जानकारी जरूर होगी। यह बड़ा सवाल है। ऐसी कार्य संस्कृति को बदलना और इसके लिए जिम्मेदार व्यक्तियों को दंडित करना जरूरी है। ऐसे में एक एसआइटी का गठन हो और जांच कर दोषियों पर कार्रवाई की जाये।

    हर घंटे ली जाती थी सरयू राय की गतिविधियों की सूचना
    सरयू राय ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में झारखंड पुलिस की विशेष शाखा द्वारा उनकी गतिविधियों पर नजर रखे जाने का आरोप लगाया है। इसमें उन्होंने खुद के साथ घटी दो घटनाओं का जिक्र किया है। उन्होंने लिखा है कि 2017 में संथाल परगना में मेरे ऊपर नजर रखी जा रही थी। वहां ओम भरतिया के निवास पर वह बैठे थे, तभी उन्हें इसका संदेह हुआ था। दूसरी घटना 2018 में मई महीने में हुई थी। राजभवन के बाहर भी इस काम में स्पेशल ब्रांच के एक सिपाही की भूमिका दिखी थी। दोनों ही घटनाओं में मेरे ऊपर नजर रखने वाले विशेष शाखा के पुलिस कर्मी थे। साहेबगंज में उक्त व्यक्ति के पकड़े जाने पर उसने स्वीकारा था कि वो विशेष शाखा में इंस्पेक्टर है। मेरी सुरक्षा में तैनात स्पेशल ब्रांच के इंस्पेक्टर मुंडा जी का बैचमेट है। उसने यह भी बताया था कि साहेबगंज में आपकी गतिविधि की सूचना हर घंटे मांगी जा रही है। राजभवन के सामने उनकी वीडियोग्राफी करते हुए पकड़ाये सिपाही ने कबूला था कि वह विशेष शाखा का सिपाही है और अपने विभाग के डीआइजी के आदेश पर वीडियो रिकॉर्ड कर रहा है। इन दोनों घटनाओं के बारे में उसी वक्त तत्कालीन डीजीपी को सूचित कर दिया गया था।

    अवैध कार्यालय बना था जासूसी का अड्डा
    सरयू राय ने लिखा है कि हाल के दिनों में मुझे कुछ चौंकाने वाली सूचनाएं मिली हैं। जो अगर सही हंैं, तो पुलिस की कार्यप्रणाली पर चिंताजनक सवाल खड़े करती है। मुझे बताया गया है कि पिछली सरकार के निर्देश पर रांची के कांके रोड स्थित गोंदा थाना के पीछे एक भवन में स्पेशल ब्रांच का एक अनाधिकृत कार्यालय था, जिसमें आठ कंप्यूटर और आठ लोग नियुक्त थे जो स्पेशल ब्रांच के थे। यहां पर रिकॉर्डिंग करने वाली संवेदनशील मशीनें भी लगी थीं। उस मकान से सटे हुए बैद्यनाथ प्रसाद का आवास था, जो उस समय चाइल्ड वेल्फेयर कमेटी में कार्यरत थे और अभी भी हैं। वह इस कार्यालय के संपर्क सूत्र के रूप में सक्रिय थे। उन्हें विशेष शाखा की ओर से दो अंगरक्षक मिले हुए थे। साथ ही दो चालक भी दिये गये थे। कार्यालय में डीएसपी स्तर के तीन अधिकारी नियुक्त थे। इस कार्यालय से विभिन्न नेताओं की गतिविधि पर नजर रखी जाती थी और उनके फोन टेप होते थे। इसी प्रकार की एक व्यवस्था सीआइडी मुख्यालय में भी की गयी थी। इसके लिए स्पेशल ब्रांच के 15 कर्मी नियुक्त थे। सीआइडी कार्यालय में चल रहा यह सिस्टम हाल ही में बंद किया गया है। विशेष शाखा का अनाधिकृत कार्यालय शायद निष्क्रिय है। अगर यह सारी सूचनाएं सही हैं, तो यह नागरिकों की निजी स्वतंत्रता और पुलिस-प्रशासन के वैधानिक आचरण के प्रतिकूल है।

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