-सोनिया गांधी से बातचीत के बाद माने डीके, अभी रहेंगे डिप्टी सीएम
-उनकी सहमति के बगैर सिद्धारमैया नहीं ले सकेंगे कोई फैसला
आजाद सिपाही संवाददाता
नयी दिल्ली। कर्नाटक में कांग्रेस को बहुमत मिलने के पांच दिन बाद आखिरकार गुरुवार को मुख्यमंत्री के नाम पर मुहर लग ही गयी। सिद्धारमैया कर्नाटक के नये मुख्यमंत्री होंगे। वह 20 मई को शपथ लेंगे। वहीं, डीके शिवकुमार उपमुख्यमंत्री होंगे। सोनिया गांधी से फोन पर बातचीत के बाद डीके ने डिप्टी सीएम पद को स्वीकार किया। उन्हें लोकसभा चुनाव के बाद सीएम का पद मिलेगा। यानी कर्नाटक में सिद्धारमैया और डीके के नेतृत्व में ढाई-ढाई साल की सरकार होगी।
डीके मान-मन्नवल और शर्तों पर हुए तैयार:
दरअसल, डीके सीएम बनना चाहते थे, लेकिन आलाकमान पहले ही सिद्धारमैया का नाम तय कर चुका था। डीके इस फैसले को मानने के लिए तैयार नहीं थे। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी और पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं के साथ सिद्धारमैया और डीके की बैठकों का कई दौर चला। इन बैठकों का कोई नतीजा नहीं निकला। डीके किसी भी तरह से मानने के लिए तैयार नहीं थे। उन्होंने सारे प्रस्ताव और फार्मूले को नकार दिया था। अंत में देर रात डीके की सोनिया गांधी से वीडियो कांफ्रेंसिग पर बातचीत हुई। इसके बाद डीके डिप्टी सीएम बनने के लिए तैयार हुए। कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने गुरुवार दोपहर 12 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सिद्धारमैया को सीएम और डीके को डिप्टी सीएम बनाये जाने का औपचारिक एलान किया।
डीके को दिया गया आश्वासन:
जानकारी के मुताबिक डीके 50-50 फॉर्मूर्ल पर राजी हुए हैं। पहले ढाई साल सिद्धारमैया सीएम रहेंगे और बाद के ढाई साल डीके। यानी डीके लोकसभा चुनाव के बाद 2025 में मुख्यमंत्री बनेंगे। डीके को यह भी आश्वासन दिया गया कि कर्नाटक में कोई भी फैसला उनकी सहमति के बिना नहीं लिया जायेगा। सिद्धारमैया को भले ही सीएम बनाया जा रहा है, लेकिन उन्हें हर निर्णय में डिप्टी सीएम की सहमति लेनी ही होगी। साथ ही डीके को यह भी कहा गया कि आपकी पसंद के विधायकों को वही पोर्टफोलियो दिये जायेंगे, जो वे चाहते हैं। लोकसभा चुनाव को मैनेज करने की पूरी जिम्मेदारी उन पर होगी। यानी टिकट बंटवारे से लेकर इलेक्शन स्ट्रैटजी बनाने तक में उनका रोल सबसे बड़ा रहेगा।
20 मई को 12:30 बजे शपथ ग्रहण
केसी वेणुगोपाल ने कहा कि पिछले तीन-चार दिन से हम कोशिश कर रहे थे कि सबमें सहमति हो जाये। डीके शिवकुमार ने राज्य के कार्यकर्ताओं में ऊर्जा भर दी है। इसमें कोई शक नहीं है। शिवकुमार अध्यक्ष थे और सिद्धारमैया साथ थे। दोनों कर्नाटक में पार्टी के लिए बहुत बड़ा कद रखते हैं। हां, सबकी अपनी इच्छाएं होती हैं। दोनों बहुत काबिल हैं। सभी ने मिल कर फैसला लिया है। सिद्धारमैया मुख्यमंत्री होंगे। डीके शिवकुमार अकेले डिप्टी सीएम होंगे। वह लोकसभा चुनाव तक पीसीसी अध्यक्ष भी बने रहेंगे। वेणुगोपाल ने कहा कि 20 मई को 12:30 बजे शपथ ग्रहण होगा। मुख्यमंत्री और डिप्टी सीएम के अलावा कुछ मंत्री भी शपथ लेंगे।
सीबीआइ और इडी जांच की वजह से पिछड़े डीके
सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार दोनों मुख्यमंत्री पद के दावेदार थे। कांग्रेस ने आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए सिद्धारमैया का चयन किया है। दरअसल कांग्रेस को डर था कि अगर डीके को मुख्यमंत्री बना दिया, तो कहीं एक बार फिर उनके पीछे सीबीआइ और इडी न लग जाये। साथ ही भाजपा भी हमलावार हो जायेगी। हाल में कर्नाटक के डीजीपी प्रवीण सूद को सीबीआइ का डायरेक्टर बनाया गया है। सूद को डीके ने नालायक कहा था। डीके के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति मामले की जांच सीबीआइ कर रही है।
डीके राजी, उनके सांसद भाई नाखुश:
पार्टी नेतृत्व के फैसले पर डीके भले ही राजी हो गये हों, लेकिन उनके भाई सांसद डीके सुरेश नाखुश हैं। डीके ने कहा कि मैं पार्टी के फॉर्मूले पर राजी हूं। आगे लोकसभा चुनाव है और मैं जिम्मेदारियों के लिए तैयार हूं। पार्टी के हित को ध्यान में रखते हुए मैंने सहमति दी है। वहीं, उनके भाई सांसद डीके सुरेश ने कहा कि मैं पूरी तरह से खुश नहीं हूं, लेकिन कर्नाटक के हित में हम अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करना चाहते हैं। यही वजह है कि डीके ने यह फार्मूला स्वीकार कर लिया है। भविष्य में हम देखेंगे, अभी एक लंबा रास्ता तय करना है। मैं शिवकुमार के लिए सीएम पद चाहता हूं, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। हम इंतजार करेंगे और देखेंगे।