विशेष
कहीं न्यूक्लियर रेडिएशन वाली थ्योरी सही तो नहीं, क्यों घूम रहा था अमेरिका का प्लेन
हमारी सेना ने पाकिस्तान के न्यूक्लियर ब्लफ की हवा निकाल दी : मोदी
पाकिस्तान तो दूसरे ही दिन युद्ध हार चुका था, वो तो ट्रंप के पैर पकड़ने में साढ़े तीन दिन लग गये
विश्व के सबसे प्रख्यात मिलिट्री एक्सपर्ट का दावा: ये तो क्लीयर कट भारत की जीत है

नमस्कार। आजाद सिपाही विशेष में आपका स्वागत है। मैं हूं राकेश सिंह।
आज विश्व में चाहे मेन स्ट्रीम मीडिया हो या सोशल मीडिया पाकिस्तान को लेकर एक चर्चा सुर्खियों में बनी हुई है। क्या पाकिस्तान परमाणु रेडिएशन की चपेट में है। जी हां, चर्चा जोरों पर है कि पाकिस्तान के सरगोधा एयर बेस के काफी करीब किराना हिल्स है, जहां पहाड़ियों के अंदर सुरंगों में उसके परमाणु हथियारों को रखा गया है, वहां से न्यूक्लियर रेडिएशन निकल रहा है। पाकिस्तान के लिए किराना हिल्स का लोकेशन बड़ा रणनीतिक माना जाता है। किराना हिल्स पाकिस्तान के सरगोधा एयरपोर्ट से सड़क के रास्ते केवल 20 किमी और कुशाब न्यूक्लियर प्लांट से 75 किमी दूर है। वर्ल्ड न्यूक्लियर एसोसिएशन ने अपनी एक रिपोर्ट (जिसे फरवरी 2025 में अपडेट किया गया) में लिखा कि इस्लामाबाद से 200 किमी दक्षिण में खुशाब में, हथियार-ग्रेड प्लूटोनियम के उत्पादन के लिए समर्पित चार भारी जल (हेवी वाटर) रिएक्टर हैं। किराना हिल्स में पाकिस्तान आर्मी ने जो फैसिलिटी बना रखी है, उसको कई लेयर वाली रक्षा प्रणाली के साथ डिजाइन किया गया है। माना जाता है कि यहीं पर पाकिस्तान ने अपने न्यूक्लियर वॉरहेड यानी परमाणु हथियार छिपा रखे हैं। चूंकि पाकिस्तान के लिए यह स्टेट सिक्रेट है, इसलिए वो कभी इस बात को जाहिर नहीं होने देगा और हो सकता है पूरी तरह से दुनिया को गुमराह करने के लिए उसने खुद यह अफवाह फैलायी हो। भारतीय वायुसेना ने एक पत्रकार के सवाल पर कहा था कि उसे नहीं पता कि किराना हिल्स में पाकिस्तान ने परमाणु हथियारों का स्टोरेज बना रखा है या नहीं। अब सेना के इस जवाब को आप इसे जिस भी रूप में लें। लेकिन पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में जरूर यह मैसेज दे दिया है कि अभी तो यह झांकी थी, नहीं मानोगे तो मिट्टी में ही मिलोगे। उन्होंने अपने संबोधन में भी यह साफ कहा था कि भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के न्यूक्लियर की हवा निकाल दी। न्यूक्लियर बम का एक और वर्जन जिसे डर्टी बम कहा जाता है उससे रेडिएशन फैलने की बातें सामने आ रही हैं। क्या है पाकिस्तान में फैल रहे न्यूक्लियर रेडिएशन की असलियत, और भारत ने कैसे पहले ही दिन के हमले में पाकिस्तान को परास्त कर दिया था, बता रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह।

सुरंगों में पाकिस्तान ने परमाणु हथियार छुपाये हैं!
किराना हिल्स अस्सी के दशक तक पाकिस्तान द्वारा परमाणु परिक्षण के लिए तय की गयी जगह थी। सरगोधा एयर बेस से करीब उत्तर पश्चिम की ओर आठ किलोमीटर दूर किराना हिल्स इलाका है। मजबूत चट्टानों से बनी एक पहाड़ी, जो अलग सी ही नजर आती है। इसके काले-भूरे रंग के कारण स्थानीय लोग इसे काली पहाड़ी भी कहते रहे हैं। यह बहुत ऊंची नहीं है। इसकी सबसे ऊंची चोटी महज 320 मीटर है। जानकारों की मानें तो इस पहाड़ी की खासियत यह है कि इसके नीचे बनी कई सुरंगों में पाकिस्तान ने अपने कई परमाणु हथियार दुनिया की नजरों से बचाकर रखे हुए हैं। इन सुरंगों को काफी पुख्ता बनाया गया है, ताकि बाहर से किसी विस्फोट या हमले का उस पर कोई असर न पड़ सके। इसे पूरी तरह बम प्रूफ बनाया गया है। जानकारों की मानें तो किराना हिल्स की ढलानों पर करीब पचास से ज्यादा जगहों पर पहाड़ों में सुरंगें बनी हुई हैं, जो काफी अंदर और गहरी जाती हैं। पाकिस्तान इंस्टीटूशन आॅफ न्यूक्लियर साइंस एंड टेक्नोलॉजी (पिंसटेक) मेटलर्जिकल लैबोरेट्रीज एमएल और खान रिसर्च लैबोरेट्रीज ने यहां परमाणु अनुसंधान से जुड़े कई प्रयोग किये हैं। 1983 से 1990 के बीच पाकिस्तान ने कई बार यहां परमाणु परीक्षणों की कोशिश की लेकिन अमेरिका के उपग्रहों ने इसका पता लगा लिया।

अमेरिका की आपत्ति के बाद परमाणु परीक्षणों की जगह बदली पाकिस्तान ने
इसके बाद अमेरिका की आपत्ति के बाद परमाणु परीक्षणों की जगह बदल दी गयी। लेकिन इस जगह को उसने अपने परमाणु हथियारों का जखीरा सुरक्षित रखने के लिए तय किया। पाकिस्तान ने चीन से हासिल एम 11 मिसाइलों को भी यहां रखा था, लेकिन जब अमेरिका को पता लगा तो उनकी जगह भी बदल दी गयी। न्यूक्लियर ठिकानों में इंजीनियरिंग के काम से जुड़ी पाकिस्तानी सेना की खास यूनिट एसडब्लूडी ने इस इलाके में कई सुरंगें तैयार की हैं, जो पांच से 15 मीटर तक चौड़ी हैं। कई रिपोर्ट्स के मुताबिक ये भी लगता है कि किराना हिल्स के नीचे कुछ सुरंगें आपस में जुड़ी हुई हैं। किराना हिल्स के अंदर ये स्ट्रक्चर काफी मजबूत बनाया गया है। सुरंग की दीवारें ढाई से पांच मीटर तक चौड़ी बनायी गयी हैं जिन्हें तीन स्तरों पर आरसीसी, स्टील वगैरह से मजबूत किया गया है, ताकि बाहर से किसी हमले का असर न पड़े। अमेरिका के उपग्रहों की निगाह से बचने के लिए यहां सुरंग बनाने का काम रात में हुआ करता था।

जब भारत ने ब्रह्मोस के साथ-साथ अन्य मिसाइलें पाकिस्तान पर दाग दीं
किराना हिल्स का किस्सा चर्चा में तब आया, जब 22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में आतंकवादियों ने 26 लोगों की हत्या कर दी थी। इसके बाद भारत ने 6 और 7 मई की मध्य रात पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर, पीओके के अंदर नौ आतंकी ठिकानों पर हमले किये और उन्हें ध्वस्त कर दिया। भारत ने साफ-साफ कहा कि उनके निशाने पर सिर्फ आतंकियों के कैंप थे और उसने पाकिस्तानी सेना और वहां की आम जनता को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया है। लेकिन पाकिस्तान तो ठहरा एक आतंकी देश। पाकिस्तानी सेना और पाकिस्तान सरकार द्वारा आतंकवादियों के लिए फातिहा पड़ने के बाद, आतंकवाद का समर्थन करते हुए भारत के खिलाफ 8 तारीख की रात हमला बोल दिया। भारत ने भी पहले डिफेंसिव मोड में उसका जवाब दिया। लेकिन जब पाकिस्तान नहीं माना और ड्रोन के साथ-साथ, घातक मिसाइलों को दागने लगा, तब भारत ने ब्रम्होस के साथ-साथ अन्य मिसाइलें पाकिस्तान पर दाग दीं। भारतीय वायु सेना ने पाकिस्तान के अंदर 11 सैन्य स्थलों पर हमला किया। इसमें से एक था रावलपिंडी के पास स्थित नूर खान मिलिट्री बेस। रावलपिंडी में ही पाकिस्तानी आर्मी का हेडक्वार्टर है। नूर खान पाकिस्तान के परमाणु हथियारों की देखरेख करने वाली संस्था, स्ट्रैटिजिक प्लांस डिवीजन के हेडक्वार्टर के करीब है। अब इसके बाद आती है न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट, जिसने खूब सुर्खियां बटोरीं। न्यूयॉर्क टाइम्स ने पाकिस्तान के न्यूक्लियर प्रोग्राम को करीब से जानने वाले एक पूर्व अमेरिकी अधिकारी के हवाले से लिखा, पाकिस्तान का सबसे गहरा डर है कि उसकी परमाणु कमांड अथॉरिटी कहीं खत्म न हो जाये, जब नूर खान पर भारत की ओर से मिसाइल हमला हुआ तो पाकिस्तान सहम गया। भारत ने इस हमले से पाकिस्तान को एक चेतावनी भी देनी चाही कि सुधर जाओ नहीं तो तुम्हारे परमाणु ब्लैकमेल के दिन लद जायेंगे। भारत ने नूर खान और सरगोधा पर अटैक करके पाकिस्तान को यह भी मैसेज दे दिया कि भारत पाकिस्तान के परमाणु हथियारों के जखीर को बेअसर करने की क्षमता रखता है। हालांकि, भारत ने ये बहुत ही साफ बता दिया कि उसने कहां-कहां हमले किये और उन हमलों से हुए नुकसान की सैटेलाइट तस्वीरें भी दीं। सरगोधा एयरबेस भी भारत के हमले का निशाना बना, लेकिन हमले के बाद भारत ने ये भी साफ कर दिया कि उसने किराना हिल्स पर कोई हमला नहीं किया। ये बात पहले भारतीय सैन्य अधिकारियों ने कही और फिर विदेश मंत्रालय ने भी उसे दोहरा दिया। भारत ने उन तमाम रिपोर्ट्स को खारिज कर दिया है, जिसमें कहा गया था कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान में संवेदनशील परमाणु स्थलों पर बमबारी की गयी थी। लेकिन सोशल मीडिया पर एक्सपर्ट्स बार-बार दावे कर रहे हैं कि किराना हिल्स को निशाना बनाया गया है, जहां पाकिस्तान ने अपने कुछ परमाणु वारहेड्स रखे थे या, फिर जहां पाकिस्तान का न्यूक्लियर ठिकाना है। दावा किया जा रहा है कि भारत की जवाबी कार्रवाई के बाद और मिसालें दागने के बाद पाकिस्तान के किराना हिल्स में रेडियोएक्टिव रिसाव शुरू हो गया है और अमेरिका ने रेडिएशन की जांच करने वाले अपने एक विमान को उस साइट पर भेजा है। दावा तो यहां तक किया जा रहा है कि उस जगह पर तीव्र गति के भूकंप भी नोटिस किये गये थे। और दावा यह भी है कि पाकिस्तान के कई न्यूक्लियर बॉम्ब कुक हो चुके हैं। जो अब किसी काम के नहीं रहे।

न्यूक्लियर स्ट्रेटेजी में अमेरिका कैसे पाकिस्तान को करता है सपोर्ट
यहां टाइमलाइन से देखने की कोशिश करेंगे तो पायेंगे कि भारत ने पाकिस्तान के जो नुक्लियर इंस्टालेशन हों, नुक्लियर कमांड सेंटर हों, या फिर नुक्लियर लोडिंग साइट्स हों। जैसे सरगोधा और जकोबाबाद। इन स्थानों पर पाकिस्तान के न्यूक्लियर वेपंस स्टोरेज भी हैं। जकोबाबाद में अमेरिका द्वारा निर्मित एफ-16 इन न्यूक्लियर वेपंस को लेकर उड़ने के लिए तैयार रहते हैं। इस जगह पर अमेरिका का स्टाफ एफ-16 पर परमाणु लोड करने के लिए रहते थे। अमेरिका ने इसके एवज में पूरी ओवर साइट ले राखी थी। यानि न्यूक्लियर बम की। यहां समझने वाली बात यह है कि बिना अमेरिका के परमिशन से पाकिस्तान परमाणु बम का कोई फैसला नहीं ले सकता। जब पाकिस्तान के हमले का जवाब भारत ने देना शुरू किया तब टीवी चैनलों पर कई जगहों के नाम आ रहे थे कि भारत ने यहां हमला कर दिया, लेकिन अचानक ये नाम गायब हो गये। वैसे भी इन नामों को सरकार या सेना किसी ने भी शेयर नहीं किया था और जानकारों की मानें तो कई मीडिया संस्थानों को मैसेज भी दिया गया कि सेना से जुड़ी कोई भी कार्रवाई न दिखाई जाये। यह सेना की सुरक्षा का मामला है।

आखिर भारत ने ब्रह्मोस क्यों चलायी, पस्त हो गया पाकिस्तान
तीन नामों की चर्चा है। पाकिस्तान के कहुटा पर ड्रोन हमला, काला चिट्टा रेंज पर ड्रोन हमला और अटक पर ड्रोन हमला। इनमे से अटक में पाकिस्तान का न्यूक्लियर मिसाइल बेस है, जिसे फतह जंग बेस कहते हैं। यहां पर भारत ने पहले ही दिन सीधा हमला कर दिया था। काला-चिट्टा जो रावलपिंडी के पास है, जहां पाकिस्तान का न्यूक्लियर मोबाइल लांचर का ठिकाना है, कहुटा में पाकिस्तान के हथियार को आइसोलेट किया जाता है, तो पहले ही दिन इन जगहों पर हमला हो चुका था। भारत ने पाकिस्तान के राडार सिस्टम को भी ध्वस्त कर दिया था, यानी पाकिस्तान को आधा अंधा बना दिया था। फिर 9 और 10 मई की मध्य रात्रि को पाकिस्तान ने फतह-1 और फतह-2 मिसाइलें चलायीं। ये मिसाइलें इसलिए चलायी गयीं क्योंकि पाकिस्तान को लगा कि भारत ने तो इनके परमाणु हथियारों के गढ़ पर ही हमला बोल दिया है। भारत ने उन मिसाइलों को ध्वस्त कर दिया। भारत ने फिर पाकिस्तान पर ब्रम्होस-ए दाग दिया। साथ में और भी कई मिसाइलों से पाकिस्तान पर हमला किया। इनका मुख्य टारगेट पाकिस्तान के 11 एयरबेस थे। इन 11 में से तीन जगहों सरगोधा के किराना हिल्स, जकोबाबाद और भोलारी के पास हुए धमाकों ने पाकिस्तान को हिला डाला। भोलारी में न्यूक्लियर बेस नहीं है। यहां अलग रणनीति के तहत इसे टारगेट किया गया था। सरगोधा एफ-16 का बेस है। किराना हिल्स में न्यूक्लियर हथियार का स्टोरेज हाउस है। पाकिस्तान ने न्यूक्लियर बॉम्ब के साथ-साथ डर्टी बम भी बना रखे हैं। न्यूक्लियर बम तो ब्लास्ट होता है लेकिन डर्टी बम ब्लास्ट नहीं होता है। डर्टी बम को अगर पब्लिक प्लेस पर फेंक दिया जाये तो वह एक्सपोज हो जाता है और उसमें से रेडिएशंस निकलनी शुरू हो जाती हैं। इस रेडिएशन का पता तुरंत नहीं चलता लेकिन जैसे जैसे समय पार होता है, इस रेडिएशन के कारण उस स्थान की हवाएं जहरीली हो जाती हैं, जल स्रोत जहरीले हो जाते हैं, तरह-तरह की बीमारियां फैलने लगती हैं जैसे स्किन कैंसर और भी घातक रोग। उसके बाद उस स्थान को चार-पांच साल में खाली करना ही एकमात्र उपाय होता है। एक्सपर्ट्स की मानें तो भारत के हमले के दौरान पाकिस्तान द्वारा निर्मित उस स्थान पर कुछ डर्टी बम एक्सपोज हो गये। उसके बाद वहां से रेडिएशन फैल रहा है। यहां सबसे महत्वपूर्ण जानकरी यह है कि जैसे ही भारत ने नूर खान एयरबेस पर हमला किया उसके पास स्थित पाकिस्तान का न्यूक्लियर कमांड सेंटर की नींव ही हिल गयी। उसके बाद पाकिस्तान ने ट्रंप के हाथ-पैर जोड़ लिये कि भारत को रोको, नहीं तो मोदी हमें मिट्टी में मिला देगा।

ये तो क्लीयर कट भारत की जीत है: दुनिया के सबसे बड़े मिलिट्री एक्सपर्ट का दावा
ऑपरेशन सिंदूर से बौखलाये पाकिस्तान के खोखले और झूठे दावों पर ऑस्ट्रेलियन मिलिट्री एक्सपर्ट टॉम कूपर ने शहबाज शरीफ सरकार को आईना दिखाया है। उन्होंने साढ़े तीन दिन चली कार्रवाई को न सिर्फ भारत की जीत बताया, बल्कि यह भी कहा कि पाकिस्तान का सीजफायर के लिए गुहार लगाना कोई हैरानी वाली बात नहीं थी, क्योंकि उसको इतना नुकसान हो चुका था कि वह बुरी तरह घबरा गया। टॉम कूपर दुनिया के सबसे सम्मानित युद्ध इतिहासकारों में से हैं। वह विश्लेषक, लेखक और मध्य पूर्व से दक्षिण एशिया तक के हवाई युद्धों के एक्सपर्ट हैं। टॉम कूपर ने बता दिया कि भारतीय सेना के सामने पाक आर्मी टिक नहीं सकी। टॉम कूपर ने कहा कि भारत ने पाकिस्तान के अंदर घुस कर जिस तरह तबाही मचायी, वो पाक की हार को दिखाता है। इसी वजह से वह सीजफायर के लिए अमेरिका के पास गुहार लगाने पहुंच गया था। उन्होंने भारत के अभियान को क्लियर कट जीत बताया है। टॉम कूपर ने एक ब्लॉग में लिखा, ‘साफ-साफ कहूं जैसा हमेशा कहता हूं। जब एक पक्ष दूसरे के परमाणु हथियार भंडारण पर बम बरसा रहा हो और दूसरा कुछ भी करने की हालत में न हो, तो मेरे हिसाब से यह साफ-साफ जीत है। इस्लामाबाद की तरफ से सीजफायर के लिए गुहार लगाना, कोई हैरानी की बात नहीं है।’ टॉम कूपर ने साफ-साफ लिखा कि भारत इस कार्रवाई में पाकिस्तान से कहीं ऊपर था और भारत की सीधे तौर पर जीत हुई। टॉम कूपर के अनुसार ऑपरेशन सिंदूर में कम से कम पांच मुख्य आतंकी मारे गये और 140 अन्य आतंकवादियों का सफाया हुआ। पाकिस्तान की सरकार ने चुप्पी साध ली, लेकिन आइएसआइ ने इन आतंकियों को शहीद बता कर पाक सेना के अफसरों के साथ राजकीय सम्मान दिया, जो ये बताने के लिए काफी है कि आतंकियों का सेना के साथ सीधा संबंध है। टॉम कूपर ने लिखा कि भारत की पहलगाम आतंकी हमले का बदला लेने की कार्रवाई पूरी तरह सफल रही और पाकिस्तान फेल हो गया। उन्होंने कहा कि भारत ने न सिर्फ आतंकी कैंप पर हमला किया, बल्कि पाकिस्तान के हमलों को भी कुशलता से रोका। पाकिस्तान के हमले भारत के एयर डिफेंस सिस्टम एस-400, बराक, आकाश, स्पाइडर और बोफोर्स को पार नहीं कर पाये। टॉम कूपर ने इंडस वॉटर ट्रीटी सस्पेंशन पर भी लिखा। भारत ने पानी रोक दिया और पाकिस्तान कुछ नहीं कर सका, जबकि ये उसके लिए रेड लाइन थी। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने कुछ नहीं सीखा और वह यह भी नहीं समझा कि भारत ने उसकी धमकियों को गंभीरता से लेना बंद कर दिया है। इसके अलावा, भारत ने पाकिस्तान के रावलपिंडी और कराची जैसे अहम शहरों में लगे एयर डिफेंस सिस्टम एचक्यू -9 को भी बर्बाद कर दिया और आखिर में पाकिस्तान बैकफुट पर आ गया और उसको खुद भारत से बात करके सीजफायर की बात करनी पड़ी। टॉम कूपर की रिपोर्टिंग ने पाकिस्तान के दावों और जमीनी हकीकत के अंतर को पूरी दुनिया के सामने उजागर कर दिया है।

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