Close Menu
Azad SipahiAzad Sipahi
    Facebook X (Twitter) YouTube WhatsApp
    Thursday, June 5
    • Jharkhand Top News
    • Azad Sipahi Digital
    • रांची
    • हाई-टेक्नो
      • विज्ञान
      • गैजेट्स
      • मोबाइल
      • ऑटोमुविट
    • राज्य
      • झारखंड
      • बिहार
      • उत्तर प्रदेश
    • रोचक पोस्ट
    • स्पेशल रिपोर्ट
    • e-Paper
    • Top Story
    • DMCA
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Azad SipahiAzad Sipahi
    • होम
    • झारखंड
      • कोडरमा
      • खलारी
      • खूंटी
      • गढ़वा
      • गिरिडीह
      • गुमला
      • गोड्डा
      • चतरा
      • चाईबासा
      • जमशेदपुर
      • जामताड़ा
      • दुमका
      • देवघर
      • धनबाद
      • पलामू
      • पाकुर
      • बोकारो
      • रांची
      • रामगढ़
      • लातेहार
      • लोहरदगा
      • सरायकेला-खरसावाँ
      • साहिबगंज
      • सिमडेगा
      • हजारीबाग
    • विशेष
    • बिहार
    • उत्तर प्रदेश
    • देश
    • दुनिया
    • राजनीति
    • राज्य
      • मध्य प्रदेश
    • स्पोर्ट्स
      • हॉकी
      • क्रिकेट
      • टेनिस
      • फुटबॉल
      • अन्य खेल
    • YouTube
    • ई-पेपर
    Azad SipahiAzad Sipahi
    Home»झारखंड»रांची»कर्ज ही नहीं, इन वजहों से खेती से हाथ खड़े कर रहे हैं किसान
    रांची

    कर्ज ही नहीं, इन वजहों से खेती से हाथ खड़े कर रहे हैं किसान

    आजाद सिपाहीBy आजाद सिपाहीJune 20, 2017No Comments4 Mins Read
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram LinkedIn Pinterest Email

    रांची: 10 जून को पिठोरिया के किसान कलेश्वर महतो ने आत्महत्या कर ली थी। 15 जून को सुतियांबे के किसान बलदेव महतो की लाश उसके घर के पास खेत में बने कुएं से मिली। इन दोनों खबरों ने सबको झकझोर कर रख दिया। आजाद सिपाही की टीम भी पहुंचे थी सुतियांबे गांव। दोपहर तक तो तेज धूप थी, लेकिन शाम ढलते ही झर-झर हवाएं चलने लगीं। वहां मुलाकात हुई महेश मुंडा से, जो घर के सामने पत्थर के टीले पर पेड़ की छांव में बैठा था। हाइस्कूल तक पढ़ाई की है। अब खेती ही मुख्य पेशा है। दादाजी बूढ़े हो गये हैं, वे भी पास में पेड़ के नीचे आराम फरमा रहे थे। चाचाजी बगल के खेत में कच्चू लगा रहे थे। महेश ने बताया कि खेत में फूलगोभी और बीन लगा चुके हैं। कुछ और सब्जियों के बीज लगाये गये हैं। बताते हैं कि प्रचंड गर्मी में पानी की दिक्कत होती है, सो सब्जियां नहीं लगाते हैं, नहीं तो सालों भर सब्जी का उत्पादन करते हैं। रोजाना सुबह छह से लेकर नौ बजे तक पिठोरिया चौक पर डेली मार्केट में बेच आते हैं। कुछ इसी तरह जिंदगी गुजर रही है। मुश्किल तो तब खड़ी हो जाती है, जब उन्हें नकली बीज मिल जाता है। नकली बीज के कारण न तो पौधे ठीक से उगते हैं और उग गये, तो उसमें न फल आते हैं और न ही उसमें फूल आते हैं। बैंक से ऋण लेकर बीज खरीदते हैं। खेत में लगाते हैं, जब फसल नष्ट हो जाती है, तो उनकी कमर ही टूट जाती है। रही-सही कसर रूठा मानसून कर देता है।
    एक तरफ प्राकृतिक प्रकोप, तो दूसरी तरफ कृषि संबंधित सामग्री के विक्रेताओं की कारस्तानी किसानों पर भारी पड़ रही है। इन दिनों धान का बिचड़ा डालने का पिकआवर चल रहा है। इसके लिए बीज की मांग बढ़ी और मुनाफे के लिए धान का नकली बीज बेचने वाले दुकानदार सक्रिय हो गये हैं। किसानों की आंख में धूल झोंक कर बड़े पैमाने पर ब्रांडेड बोरी में नकली बीज धड़ल्ले से बेचा जा रहा है। इसके अलावा फूलगोभी, पत्तागोभी, सोयाबीन, बरबट्टी आदि के नकली बीज धड़ल्ले से बेचे जा रहे हैं। किसानों को पता भी नहीं चलता कि दुकानदार उन्हें हजारों रुपयों का चूना लगा दिये हैं। पिछले साल नकली बीजों ने किसानों की कमर तोड़ दी थी। हाइब्रिड नकली बीज से काफी नुकसान हुआ था। चाहे वह किसी भी क्वालिटी का बीज हो। धान का बिचड़ा अंकुरित होते ही मुरझाकर सूख गये थे।

    छोटे खेत क्यों हैं घाटे का सौदा?
    छोटे खेत वाले किसानों के पास खेती के पर्याप्त साधन, सिंचाई की व्यवस्था आदि का अभाव होता है और इस सबके लिए उन्हें मोटर पंप और सिंचाई कूप पर निर्भर रहना पड़ता है। छोटे किसानों के लिए खेती के साधन जुटाना बेहद मुश्किल होता जा रहा है। इसके अलावा क्रय-विक्रय में छोटे किसानों की मोलभाव क्षमता भी कम होती है। ऐसे में जैसे-जैसे खेतों का आकार छोटा होता जा रहा है, किसानों को होने वाला फायदा भी कम होता जा
    रहा है।

    किसानों के लिए विकल्पों की तलाश जरूरी
    खेती अकेले किसानों और ग्रामीण मजदूरों को रोजगार नहीं दे सकती है। सरकार को खेती से जुड़े लोगों को दूसरे व्यवसायों में अवसर देने के उपाय करने होंगे। ऐसे लोगों में वैकल्पिक स्किल्स पैदा करने और रोजगार के अवसर मुहैया कराने होंगे। यही नहीं ऐसे लोगों को अस्थायी रोजगार देने पर भी फोकस करना होगा। साथ ही किसानों को उनकी फसल की अच्छी कीमत मिले, यह व्यवस्था करनी होगी। इसके लिए बाजार उपलब्ध कराना होगा, क्योंकि फसल खरीदनेवाले दलाल उन्हें अच्छी कीमत देने से तो रहे।

    कृषि उत्पादों पर कम मूल्य और कर्ज का बढ़ता बोझ ही उनकी मुख्य समस्याएं नहीं हैं। दरअसल कृषि के ढांचे में ही कुछ ऐसी समस्याएं हैं, जिनका कर्ज माफी जैसे अस्थायी उपायों से समाधान नहीं हो सकता। किसानों को चाहिए सिंचाई के लिए साधन (डीप बोरिंग, कुआं, डोभा, तालाब), उन्नत किस्म के बीज, अच्छे कृषि उपकरण और उत्पादित फसल की बाजार में अच्छी कीमत। क्योंकि आज भी इनके बाजुओं में इतनी ताकत है कि वे पत्थर चीर कर भी सब्जियां उगाने में सक्षम हैं।

    पीढ़ी दर पीढ़ी खेती के विभाजित होने से खेतों का आकार घटता जा रहा है। खेतों का आकार छोटा होने से कृषि उत्पादन और फसलों से होने वाली बचत में कमी आ रही है। यहां के किसानों के पास अच्छे कृषि उपकरण नहीं हैे। महेश मुंडा के पास भी खेत जोतने के लिए दो भैंस हैे। कहते हैं कि किराये पर ट्रैक्टर लाते हैं, तो 800 रुपये प्रतिघंटा लेता है। ऐसे में मेहनत और समय ज्यादा लगता है, जिससे खेती की लागत बढ़ जाती है।

    Share. Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Articleमहिलाओं और आदिवासी युवाओं के लिए शुरू होगा ट्रांसपोर्ट स्टार्ट अप
    Next Article कृषि को उद्योग का दर्जा दिलायेंगे : रणधीर सिंह
    आजाद सिपाही
    • Website
    • Facebook

    Related Posts

    लैंड स्कैम : अमित अग्रवाल ने सुप्रीम कोर्ट से मांगी बेल

    June 5, 2025

    राज्यपाल ने पर्यावरण दिवस व गंगा दशहरा की दी शुभकामनाएं

    June 5, 2025

    झारखंड बंद को लेकर समर्थक सड़क पर उतरे, पुलिस अलर्ट

    June 4, 2025
    Add A Comment

    Comments are closed.

    Recent Posts
    • लैंड स्कैम : अमित अग्रवाल ने सुप्रीम कोर्ट से मांगी बेल
    • राज्यपाल ने पर्यावरण दिवस व गंगा दशहरा की दी शुभकामनाएं
    • देश में कोरोना के सक्रिय मामले बढ़कर हुए 4866, पिछले 24 घंटे में 7 लोगों को मौत
    • प्रधानमंत्री, गृहमंत्री सहित प्रमुख नेताओं ने मुख्यमंत्री योगी को दी जन्मदिन की शुभकामनाएं
    • सेमीकंडक्टर फैक्टरी के लिए बंगाल सरकार ने आवंटित की जमीन
    Read ePaper

    City Edition

    Follow up on twitter
    Tweets by azad_sipahi
    Facebook X (Twitter) Instagram Pinterest
    © 2025 AzadSipahi. Designed by Microvalley Infotech Pvt Ltd.

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.

    Go to mobile version