सुनील कुमार
लातेहार। बालूमाथ के एसडीपीओ रणवीर सिंह के कार्यालय की कहानी परत दर परत खुलती जा रही है। उन्हें काम से अलग हटते ही कई लोगों ने अपनी जुबान खोल दी है। आजाद सिपाही को उनके कारनामों की लंबी फेहरिश्त पहुंचायी है। ऐसा ही एक मामला है बालूमाथ थाना कांड संख्या 73/2019। इस केस में पुलिस ने दर्जन भर लोगों को नामजद आरोपी बनाया था तथा दो-ढाई सौ लोगों को अज्ञात रखा था।
अज्ञात के इस खेल में रणवीर सिंह के रीडर राहुल कुमार ने जम कर वसूली की। भुक्तभोगियों की मानें तो नाम जोड़ने और हटाने के इस खेल में राहुल ने लाखों रुपये ऐंठे और उनका नाम भी नहीं हटाया। इस कांड के भुक्तभोगी कई व्यापारियों का कहना है कि राहुल खुलेआम गूगल पे से रुपये लेता था और कई लोगों ने गूगल पे और ई वायलेट से राहुल के बताये खाते में पैसा ट्रांसफर भी किया था। ऐसे कई कारनामे हैं, जो पुलिस के चेहरे को दागदार बनाते हैं। कहा जाता है कि बालूमाथ में जितनी भी कोल साइडिंग चल रही थीं, सभी से इनकी मंथली सेटिंग थी और वह बेखौफ नाजायज वसूली महीनों से कर रहे थे। यहां तक बताया जाता है कि कई मुकदमा तो ये सिर्फ अपने बचने के लिए दर्ज करते थे और अपनी ही पैरवी पर वकील एवं कोर्ट का स्टेशनरी खर्च उठा कर उन्हें जेल से निकालते थे। हद तो तब हो गयी, जब वह खुलेआम रुपयों की मांग व्हाट्सएप एवं फोन से करने लगे। हालांकि इस प्रकरण की जांच के लिए एसआइटी का गठन किया गया है, लेकिन इनकी ऊंची पहुंच के कारण नतीजे तुरंत आनेवाले नहीं हैं, ऐसा जानकारों का कहना है। पिछली सरकार में तो इनकी तूती बोलती थी।
कोयला के अलावा ये कई जगह जमीन के मामलों में भी खुलेआम हस्तक्षेप करते थे और तत्कालीन अनुमंडल पदाधिकारी जय प्रकाश झा (अब सेवानिवृत्त) से मिल कर लाखों रुपया ऐंठते थे। झा को हमेशा ये महंगी गाड़ियां एवं यात्राएं उपलब्ध कराते रहते थे, ताकि कोयला का इनका धंधा बे-रोक-टोक चलता रहे।

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