रांची। झारखंड हाइकोर्ट ने रेप पीड़िता नाबालिग के गर्भपात की अनुमति नहीं दी। बोकारो जेनरल अस्पताल के डायरेक्टर सहित तीन सदस्यीय मेडिकल बोर्ड ने रेप पीड़िता के गर्भपात में उसकी जान पर खतरा होने की रिपोर्ट कोर्ट को सौंपी। इसका अवलोकन करने के बाद कोर्ट ने पीड़िता को तुरंत बेहतर स्वास्थ्य सुविधा वाले अस्पताल में भर्ती करने का निर्देश दिया। राज्य सरकार को पीड़िता के प्रसव का खर्चा वहन करने का निर्देश दिया। प्रसव के छह माह बाद तक पीड़िता और उसके बच्चे के इलाज और देखभाल का खर्चा भी राज्य सरकार को उठाने का आदेश दिया है। रेप पीड़िता नाबालिग की गर्भपात की अनुमति का आग्रह करने वाली अधिवक्ता अनुप कुमार अग्रवाल की याचिका को हाइकोर्ट ने खारिज कर दिया।
मामले की सुनवाई हाइकोर्ट के न्यायमूर्ति आनंद सेन की कोर्ट ने की। मेडिकल बोर्ड ने रिपोर्ट में बताया है कि पीड़िता को खून की कमी की समस्या है। साथ ही उसकी प्रेगनेंसी 34 सप्ताह की है। ऐसे में गर्भपात कराने से उसकी जान को खतरा होगा। बता दें कि हाइकोर्ट के आदेश के बाद पीड़िता की जांच कर और उसकी रिपोर्ट कोर्ट को सौंपने का निर्देश मेडिकल बोर्ड को दिया गया था। इसके लिए तीन सदस्यीय डॉक्टरों की टीम गठित की गयी थी। घटना के संबंध में बताया जाता है कि जनवरी 2020 में 15 वर्षीय नाबालिग का पुरुष मित्र उसे बहला-फुसला कर ले गया। इसके बाद उसने उसके साथ शारीरिक संबंध बनाया। हालांकि पीड़िता का पुरुष मित्र शादीशुदा था, लेकिन उसने इस बात को उससे छिपाया था। जून माह में पीड़िता ने अपने परिजनों को रेप की इस घटना की जानकारी दी। इसके बाद उसके अभिभावकों ने गोमिया थाना में प्राथमिकी दर्ज करायी।
नाबालिग रेप पीड़िता के गर्भपात की हाइकोर्ट ने नहीं दी अनुमति
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