रांची। झारखंड की चर्चित रामकृपाल कंस्ट्रक्शन कंपनी ने नक्सलियों को लेवी के तौर पर छह लाख रुपये का भुगतान किया है। यह एनआइए की छापेमारी में उजागर हुआ है। जांच एजेंसी ने कंपनी के कार्यालय में मंगलवार को छापामारी की थी। इस दौरान कई आपत्तिजनक दस्तावेज, कंप्यूटर हार्ड डिस्क, कैश बुक और बैंक खातों का विवरण जब्त किया गया है। कंपनी का कार्यालय रांची के कचहरी रोड स्थित पंचवटी प्लाजा के सातवें तल्ले पर है। यह छापामारी नौ जुलाई, 2018 को दर्ज एनआइए केस संख्या आरसी 21/2018 के सिलसिले में की गयी।
इस तरह कंपनी तक पहुंची एनआइए
एनआइए ने गिरिडीह के डुमरी थाने में 22 जनवरी 2018 को 06/2018 के तहत एक मामला दर्ज किया था। यह मामला सरिया के केशवारी गांव निवासी मनोज कुमार की गिरफ्तारी के बाद दर्ज किया गया था। मनोज के पास से छह लाख रुपये नगद और आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद किये गये थे। प्राथमिकी में आरोप लगाया गया था कि मनोज ने यह रकम माओवादियों की झारखंड रीजनल कमिटी के सदस्य कृष्णा दा उर्फ कृष्णा हांसदा उर्फ कृष्णा मांझी उर्फ अविनाश दा के निर्देश पर एकत्र की थी। कृष्णा दा पीरटांड़ थाना के मंडलाडीह लेधवा गांव का निवासी है। इसके बाद एनआइए ने इस मामले को आरसी 21/2018 के तहत दोबारा दर्ज किया। इसमें मनोज कुमार और कृष्णा दा को आरोपी बनाया गया। इसी मामले के अनुसंधान के क्रम में जानकारी मिली की मनोज कुमार रामकृपाल कंस्ट्रक्शन का कर्मचारी था और वह इस कंपनी तथा नक्सलियों के बीच का संपर्क सूत्र था। वह माओवादियों को देने के लिए छह लाख रुपये लेकर जा रहा था। एनआइए के अनुसार माओवादी इस तरह एकत्र रकम का इस्तेमाल हथियार और गोला-बारूद खरीदने और नये कैडरों की बहाली में करते हैं। अनुसंधान के दौरान यह भी पता चला कि मनोज कुमार को वह रकम रामकृपाल कंस्ट्रक्शन से मिली थी।
दो जून को सात घंटे तक हुई थी छापामारी
एनआइए की टीम ने रामकृपाल कंस्ट्रक्शन के कार्यालय में दो जून को सात घंटे तक छापामारी की थी। टीम इससे पहले कंपनी के निदेशक रंजन सिंह के बरियातू चेशायर होम रोड स्थित आवास पर भी गयी थी। छापामारी के दौरान एनआइए की टीम ने कंपनी के कर्मचारियों से पूछताछ की थी।
अनुसंधान जारी
एनआइए के अनुसार मामले का अनुसंधान जारी है। मामले में कई लोगों से पूछताछ की जायेगी। इसके लिए जब्त दस्तावेज का अध्ययन किया जा रहा है। कंप्यूटर हार्ड डिस्क में दर्ज आंकड़ों को भी देखने की कोशिश की जा रही है। उसके बाद प्रश्नावली तैयार की जायेगी। जरूरत पड़ने पर गिरफ्तारी भी की जा सकती है।

Share.

Comments are closed.

Exit mobile version