बेगूसराय। राज्यसभा सदस्य प्रो. राकेश सिन्हा ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार का अपमान करना देशवासियों का अपमान है। औरंगजेब की पूजा करने वाली कांग्रेस किस मुंह से देशभक्तों का अपमान करती है।

शुक्रवार को बेगूसराय में पत्रकारों से बात करते हुए राकेश सिन्हा ने कहा कि कर्नाटक के कांग्रेस नेता ने डॉ. हेडगेवार को कायर और नकली स्वतंत्रता सेनानी कहकर देश का अपमान किया है। उसने किस मुंह से पाठ्य पुस्तक से हेडगेवार का जीवन परिचय हटाने की बात कही है।

वह सिर्फ राष्ट्रवादी विचारधारा से ओतप्रोत आरएसएस के संस्थापक ही नहीं, बल्कि भारत माता के महान सपूत थे। परिवारवाद से अलग न कांग्रेस को समझ आया है, न आएगा। परम पूज्य डॉ. हेडगेवार का अपमान सभी देशवासियों का अपमान है। क्योंकि हेडगेवार जी एक महान देशभक्त थे।

राकेश सिन्हा ने कहा कि हेडगेवार ने बंगाल और विदर्भ में अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन को मशाल दिखाई। यह अभिलेखीय संग्रहों में भी है। उनका अपमान कर कांग्रेस ने सभी देशभक्तों और क्रांतिवीरों का अपमान किया है, इसके लिए कांग्रेस देशवासियों से माफी मांगे।

असदुद्दीन ओवैसी द्वारा औरंगजेब के समर्थन में बयान देने पर राकेश सिन्हा ने कहा कि आखिर ओवैसी को औरंगजेब से इतना मोह क्यों है। हिंदुओं ने दुनिया के किसी हिस्से में किसी मस्जिद को नहीं तोड़ा, चर्च को नहीं तोड़ा, धर्म स्थान पर हाथ नहीं उठाया। जबकि एक आक्रमणकारी के वंशज ने भारत में हजारों मंदिरों को तोड़ा।

भारत के मूलनिवासी हिंदुओं पर जजिया टैक्स लगाया। उपनिषद का अनुवाद करने पर अपने ही भाई की हत्या कर दी। जिसके शासनकाल में सिख गुरुओं को शहादत झेलनी पड़ी। ओवैसी यह बताएं कि औरंगजेब इतना ही महान था तो अपने धर्म, संस्कृति और अस्मिता को बचाने के लिए गुरु तेग बहादुर ने शहादत क्यों दी।

उन्होंने कहा कि राहुल गांधी, सीताराम येचुरी, असदुद्दीन ओवैसी और ममता बनर्जी सब एक बुनियाद पर खड़े हैं। इन लोगों को औरंगजेब से प्रेम है और शिवाजी से नफरत। माउंटबेटन से प्रेम है और वीर सावरकर से नफरत। टीपू सुल्तान और औरंगजेब का गुणगान करने वाले भारत की राष्ट्रीयता का हिस्सा नहीं हो सकते हैं।

राकेश सिन्हा ने कहा है कि देश को बदनाम के लिए जो काम जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी ने नहीं किया, वह काम राहुल गांधी कर रहे हैं। कांग्रेस देश की परंपरा को तोड़ रही है। राहुल गांधी विदेश की धरती पर जाकर कटुता भरी राजनीति का उपयोग कर रहे हैं।

देश की चौहद्दी इतनी बड़ी है कि कटुता भी हो तो हम यहीं पर राजनीतिक कुश्ती लड़ सकते हैं। लेकिन राहुल गांधी ने कुश्ती लड़ने के लिए वाशिंगटन, मास्को, पेरिस और लंदन को चुना है। यह उनकी विदेश परस्ती दिखाती है। राहुल गांधी द्वारा नरेन्द्र मोदी नहीं, भारत के लोकतंत्र पर प्रहार किया जा रहा है।

मोदी दुनिया को बता रहे हैं कि बिहार के लिच्छवी वैशाली का गणतंत्र, दुनिया का सबसे प्राचीन गणतंत्र-लोकतंत्र है। वहीं राहुल गांधी विदेश जाकर देश के लोकतंत्र और गणतंत्र का मजाक उड़ा रहे हैं। राहुल गांधी को देश की जनता कभी माफ नहीं करेगी। उनकी यह अल्प बौद्धिकता भारत की राजनीतिक परंपरा को नहीं समझने का परिणाम है।

भारतीय जनता पार्टी ने विदेश में जहां कहीं देश विरोधी ताकत है, उसे रोका। लेकिन कांग्रेस और वामपंथी भारत विरोधी ताकतों को हमेशा बढ़ावा देते हैं। अमेरिका, रूस और मॉरीशस में भारत की बढ़ी भूमिका इन्हें हजम नहीं हो रही है, कुछ लोगों को यह समझ नहीं आ रहा है।

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