विशेष
-अनारक्षित सीटों पर जीत का अंतर कम होना चिंता का विषय
-विधानसभा चुनाव की राह नहीं है आसान, पहले से ज्यादा मजबूत हुआ है इंडिया गठबंधन

नमस्कार। आजाद सिपाही विशेष में आपका स्वागत है। मैं हूं राकेश सिंह।
झारखंड में लोकसभा का चुनाव परिणाम एक हद तक अप्रत्याशित रहा। भाजपा का यह मजबूत गढ़ इस बार उसके हाथ से फिसलता हुआ दिख रहा है। आदिवासियों के लिए सुरक्षित पांच सीटों पर पार्टी उम्मीदवारों की पराजय ने उसके लिए चेतावनी की घंटी बजा दी है, तो अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित पलामू और अन्य आठ अनारक्षिट सीटों पर भाजपा-आजसू की जीत ने भी पार्टी के लिए बहुत खुश होने की वजह नहीं छोड़ी है। इसका कारण यह है कि ये सीटें भाजपा की ही हैं और यहां उसे हराना बेहद कठिन है। इसके बावजूद एक बात ध्यान देने लायक है कि इन सभी आठ सीटों, पलामू, चतरा, कोडरमा, हजारीबाग, धनबाद, गोड्डा, जमशेदपुर और गिरिडीह में इस बार भाजपा-आजसू की जीत का अंतर कम हो गया है। यह भाजपा और आजसू के लिए गंभीर चिंता का विषय है, क्योंकि इन दोनों पार्टियों को छह महीने बाद होनेवाले विधानसभा चुनाव में भी कुछ इसी तरह का मुकाबला करना है। ऐसे में यदि अभी से इन दोनों पार्टियों के नेतृत्व ने जोर नहीं लगाया, तो मामला गड़बड़ा सकता है। क्या रहा इन आठ सीटों पर चुनाव परिणाम और भाजपा को चिंतित होने की क्यों जरूरत है, बता रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह।

झारखंड में लोकसभा की 14 सीटों में से आठ सीटें अनारक्षित हैं, जबकि एक सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। यह आरक्षित सीट है पलामू। इन नौ सीटों में से गिरिडीह को छोड़ कर अन्य सभी सीटों पर पिछली बार की तरह इस बार भी भाजपा उम्मीदवारों की जीत हुई है। गिरिडीह सीट पर भाजपा की सहयोगी आजसू ने अपना कब्जा बरकरार रखा है। राज्य में आठ सीटें जीतने के बावजूद भाजपा बहुत अधिक उत्साहित नहीं दिख रही है, क्योंकि उसे अब छह महीने बाद होनेवाले विधानसभा चुनाव की चिंता सताने लगी है। उसकी चिंता यह है कि इस बार उसकी जीत का अंतर 2019 के मुकाबले कम हो गया। इस कमी को दूर करना उसके सामने बड़ी चुनौती है।

पलामू: वीडी राम ने हैट्रिक लगायी, पर अंतर रह गया आधा
अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित झारखंड की एकमात्र संसदीय सीट पलामू से भाजपा के विष्णु दयाल राम ने लगातार तीसरी बार जीत दर्ज की। आइपीएस अधिकारी रहे वीडी राम ने राजद की ममता भुइंया को हरा कर हैट्रिक बनायी। यहां से कामेश्वर बैठा भी बसपा के टिकट पर मैदान में थे। वीडी राम ने 2014 से आराम से सीट बरकरार रखी है, जब वह झारखंड के डीजीपी के पद से सेवानिवृत्त होने के तुरंत बाद भाजपा में शामिल हो गये थे। इस बार उनकी जीत को लेकर किसी को संशय नहीं था, लेकिन जीत के अंतर को लेकर लोग शुरू से ही सशंकित थे। परिणाम सामने आने पर यह आशंका सच साबित हुई, क्योंकि वीडी राम की जीत का अंतर 4.77 लाख से घट कर 2.88 लाख पर पहुंच गया। इसका प्रमुख कारण भाजपाइयों में अति आत्मविश्वास ही रहा। चुनाव से पहले यह भविष्यवाणी की गयी थी कि पलामू लोकसभा सीट के छह विधानसभा क्षेत्रों में से तीन के कुछ सीमित हिस्सों में भाजपा विरोधी कारक के बावजूद वीडी राम तीसरी बार जीत हासिल करेंगे। और ऐसा ही हुआ, लेकिन इस चुनाव में भाजपा की प्रदेश और स्थानीय इकाई ने जो रवैया दिखाया, उससे पार्टी को चिंता होने लगी है। चुनाव प्रबंधन में लगे स्थानीय नेता खुद को तीसमार खां से कम नहीं समझ रहे थे। यदि उसने इस रुख में बदलाव नहीं किया, तो विधानसभा चुनाव में उसे मुश्किल हो सकती है।

परिणाम एक नजर में
2024 में राजद को मिले मत 4,81,555
2024 में भाजपा को मिले मत 7,70,362
2024 में अंतर 2,88,807 (भाजपा के पक्ष में)
2019 में अंतर 4,77,606 (भाजपा के पक्ष में)
चतरा: स्थानीय को मिल गयी कुर्सी, पर चेतावनी के साथ
चतरा में भी भाजपा ने हैट्रिक लगायी है। इसने इस बार स्थानीय के मुद्दे पर चुनाव लड़ा और दो बार के सांसद सुनील कुमार सिंह को हटा कर कालीचरण सिंह को मैदान में उतारा था। कालीचरण सिंह 1957 में इस चुनाव क्षेत्र की स्थापना के बाद से सांसद बनने वाले पहले स्थानीय व्यक्ति बन गये हैं। चतरा में भाजपा की जीत का यही मुख्य कारण रहा। अपने पूरे अभियान के दौरान कालीचरण ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को वोट देकर उनके हाथ मजबूत करने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने यह भी स्पष्ट रूप से संकेत दिया कि वह मोदी की लोकप्रियता के दम पर संसद के निचले सदन में अपनी सीट सुरक्षित रख रहे हैं। चतरा में मुकाबला मुख्य रूप से कालीचरण सिंह और कांग्रेस के केएन सिंह त्रिपाठी के बीच था। कालीचरण की जीत का श्रेय स्थानीय या प्रदेश भाजपा की मेहनत की बजाय ‘मोदी मैजिक’ को दिया जा रहा है। इसके अलावा कालीचरण की जीत को सत्ता विरोधी लहर का मुकाबला करने के लिए स्थानीय उम्मीदवार को मैदान में उतारे जाने की रणनीति को भी कारण बताया जा रहा है। असल में चतरा में स्थानीय को सांसद की कुर्सी तो मिल गयी, लेकिन भाजपा के लिए यह एक चेतावनी है।

परिणाम एक नजर में
2024 में कांग्रेस को मिले मत 3,53,597
2024 में भाजपा को मिले मत 5,74,556
2024 में अंतर 2,20,959 (भाजपा के पक्ष में)
2019 में अंतर 3,77,871 (भाजपा के पक्ष में)
कोडरमा : झारखंड में सबसे अधिक वोटों से जीतीं अन्न्पूर्णा
‘गेटवे आॅफ झारखंड’ के रूप में चर्चित कोडरमा लोकसभा सीट पर इस बार दिलचस्प मुकाबला देखा गया। अन्नपूर्णा देवी ने लगातार दूसरी बार चुनाव जीत कर भाजपा के लिए हैट्रिक लगायी। चुनाव के पहले यहां तमाम तरह के कयास लगाये जा रहे थे। मीडिया रिपोर्टों में कोडरमा चुनाव को त्रिकोणीय बताया जा रहा था। कहा जा रहा था कि निर्दलीय जयप्रकाश वर्मा अन्नपूर्णा देवी के लिए मुश्किल पैदा करेंगे। लेकिन जब रिजल्ट आया, तो जयप्रकाश वर्मा की हवा निकल गयी। उन्हें कोडरमा में नोटा से भी कम वोट मिला। उसी तरह विनोद सिंह भी कड़ी चुनौती पेश नहीं कर पाये। चुनाव के दरम्यान अन्नपूर्णा देवी ने इस क्षेत्र के जातीय समीकरण को भी बखूबी साधा। चुनाव के पूर्व कुछ यादव मतदाताओं में नाराजगी दिख रही थी लेकिन अन्नपूर्णा देवी ने अपने व्यवहार से उन्हें साध लिया। उन्होंने अपने क्षेत्र के पांचों विधानसभा क्षेत्र में लीड हासिल की।

परिणाम एक नजर में
2024 में भाकपा माले को मिले मत 4,14,643
2024 में भाजपा को मिले मत 7,91,657
2024 में अंतर 3,77,014 (भाजपा के पक्ष में)
2019 में अंतर 4,55,600 (भाजपा के पक्ष में)
हजारीबाग : गढ़ बचा ले गयी भाजपा, पर दरार उभरी
हजारीबाग लोकसभा सीट को भाजपा का गढ़ कहा जाता है। यह गढ़ इस बार भी मनीष जायसवाल ने भाजपा के लिए बचा ली, लेकिन उसमें पड़ी दरार अब उभर कर सामने आ गयी है। मनीष जायसवाल ने ऐन चुनाव से पहले भाजपा छोड़ कर कांग्रेस में शामिल हुए जयप्रकाश भाई पटेल को हराया। इस सीधे मुकाबले को जेबीकेएसएस के संजय मेहता ने त्रिकोणीय बनाने की कोशिश की, लेकिन वह केवल अपनी उपस्थिति ही दर्ज करा सके। मनीष जायसवाल को जयंत सिन्हा का टिकट काट कर मैदान में उतारा गया था। इससे भाजपा के सवर्ण मतदाताओं में नाराजगी थी। मनीष जायसवाल हजारीबाग सदर सीट के विधायक थे और वैश्य समुदाय से आते हैं। पिछली बार भाजपा के जयंत सिन्हा ने रिकॉर्ड मतों के अंतर से जीत हासिल की थी। इससे पहले भी जयंत सिन्हा 2014 में यहां से जीत दर्ज कर चुके थे। मनीष जायसवाल की जीत में पार्टी के साथ-साथ उनका निजी प्रयास अधिक कारगर रहा। मनीष जायसवाल की गिनती झारखंड के बड़े व्यवसायियों में होती है। मनीष जायसवाल के बारे में यह भी कहा जाता है कि सभी के प्रति उनका व्यवहार शालीन रहता है, यही कारण है कि यशवंत सिन्हा गुट के मुखर विरोध के बावजूद मनीष सिन्हा ने सभी विधानसभा क्षेत्रों से लीड ली।

परिणाम एक नजर में
2024 में कांग्रेस को मिले मत 3,77,927
2024 में भाजपा को मिले मत 6,54,613
2024 में अंतर 2,76,686 (भाजपा के पक्ष में)
2019 में अंतर 4,79,548 (भाजपा के पक्ष में)
धनबाद: भाजपा बचा ले गयी अपना किला
करीब 3.33 लाख मतों के अंतर से जीत के साथ ही ढुल्लू महतो धनबाद के नये सांसद निर्वाचित हुए हैं। इसके साथ ही भाजपा में पीएन युग का अवसान और ढुल्लू युग का सूत्रपात हो चुका है ढुल्लू की जीत में भाजपा द्वारा पूर्व में किये गये काम का बड़ा हाथ रहा। उनकी जीत वास्तव में उनकी नहीं, बल्कि भाजपा की जीत है। दरअसल, देश की कोयला राजधानी के रूप में चर्चित धनबाद में भाजपा की नींव इतनी मजबूत है कि उसने तमाम झंझावात झेल लिये। ढुल्लू के सामने कांग्रेस की अनुपमा सिंह थी, जिनका चुनाव लड़ने का पहला अनुभव था। इसके बावजूद उन्होंने कड़ा मुकाबला किया।

परिणाम एक नजर में
2024 में कांग्रेस को मिले मत 4,57,589
2024 में भाजपा को मिले मत 7,89,172
2024 में अंतर 3,31,583 (भाजपा के पक्ष में)
2019 में अंतर 4,86,194 (भाजपा के पक्ष में)
गोड्डा: भाजपा की डगमगाती नाव को पार लगा गये निशिकांत दुबे
गोड्डा लोकसभा सीट पर दिलचस्प मुकाबला देखा गया। निशिकांत दुबे को मैदान में उतार कर भाजपा ने बड़ा दांव खेला था, लेकिन डॉ दुबे लगातार चौथी बार जीत कर इतिहास बना गये। कांग्रेस की ओर से इस बार यहां से पोड़ैयाहाट के विधायक प्रदीप यादव को उम्मीदवार बनाया गया था। भाजपा की आंतरिक गुटबाजी और उसके कतिपय नेताओं के रवैये के कारण गोड्डा में भाजपा की नाव डगमगाती दिख रही थी, लेकिन बाद में स्थिति को खुद डॉ दुबे ने अप्रत्याशित रूप से संभाल लिया, जिससे उन्हें इतिहास बनाने का मौका मिल गया। डॉ दुबे ने गोड्डा में बहुत काम किये हैं और 17वीं लोकसभा में उनका कामकाज बेहद प्रभावशाली रहा।

परिणाम एक नजर में
2024 में कांग्रेस को मिले मत 5,91,337
2024 में भाजपा को मिले मत 6,93,140
2024 में अंतर 1,01,813 (भाजपा के पक्ष में)
2019 में अंतर 1,84,227 (भाजपा के पक्ष में)
गिरिडीह: कड़े संघर्ष में सीट बचा ले गयी आजसू, पर अंतर घटा
‘महतो हार्टलैंड’ के नाम से चर्चित गिरिडीह लोकसभा सीट इस बार भी आजसू के खाते में गयी। चंद्रप्रकाश चौधरी अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी झामुमो के मथुरा महतो को 80880 वोट से हरा कर जीते तो जरूर, लेकिन जेबीकेएसएस के धमाकेदार नेता जयराम महतो ने दोनों प्रमुख प्रत्याशियों का पसीना छुड़ा दिया। पिछली बार भाजपा ने अपने सीटिंग सांसद रविंद्र कुमार पांडेय को हटा कर यह सीट अपने गठबंधन सहयोगी आजसू को दी थी और तब चंद्रप्रकाश चौधरी ने झामुमो के जगरनाथ महतो को हराया था। चंद्रप्रकाश चौधरी की जीत के लिए पार्टी की तरफ से जम कर पसीना बहाया गया, लेकिन जातीय समीकरण जयराम महतो के पक्ष में होने के कारण मुकाबला कांटे का हो गया। पहली बार चुनाव लड़ रहे जयराम महतो ने पूरे मुकाबले में अपनी धमक बनाये रखी और उन्हें इस चुनाव में 3.47 लाख से अधिक वोट मिले।

परिणाम एक नजर में
2024 में झामुमो को मिले मत 3,70,259
2024 में भाजपा को मिले मत 4,51,139
2024 में अंतर 80,880 (भाजपा के पक्ष में)
2019 में अंतर 2,48,347 (भाजपा के पक्ष में)
जमशेदपुर: विद्युतवरण की हैट्रिक में पार्टी का योगदान कम
भाजपा ने जमशेदपुर लोकसभा सीट पर लगातार तीसरी बार जीत दर्ज की। पार्टी प्रत्याशी विद्युत वरण महतो ने 2.59 लाख से अधिक वोटों के अंतर से झामुमो के उम्मीदवार समीर कुमार मोहंती को पराजित किया। विद्युतवरण महतो ने जमशेदपुर सीट लगातार तीसरी बार जीती है। उनसे पहले किसी भी उम्मीदवार को लगातार तीन बार यहां से जीतने का मौका नहीं मिला था। दो-दो बार इस सीट पर तीन सांसदों को सफलता मिली थी। इनमें रुद्र प्रताप षाड़ंगी, शैलेंद्र महतो और आभा महतो शामिल हैं। लेकिन इस बार भाजपा प्रत्याशी की जीत में पार्टी की भूमिका सबसे कम रही। पूरे चुनाव प्रचार अभियान के दौरान पार्टी का ढीला-ढाला रवैया भाजपा के पुराने नेताओं और कार्यकर्ताओं को परेशान करता रहा। पार्टी द्वारा चुनाव प्रबंधन की कमान ऐसे लोगों के हाथों में दी गयी थी, जिन्हें इसका न अनुभव था और न क्षेत्र की जानकारी। फिर भी विद्युत वरण महतो मोदी मैजिक के सहारे चुनाव जीत गये।

परिणाम एक नजर में
2024 में झामुमो को मिले मत 4,66,392
2024 में भाजपा को मिले मत 7,26,174
2024 में अंतर 2,59,782 (भाजपा के पक्ष में)
2019 में अंतर 3,02,090 (भाजपा के पक्ष में)

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