Close Menu
Azad SipahiAzad Sipahi
    Facebook X (Twitter) YouTube WhatsApp
    Tuesday, June 3
    • Jharkhand Top News
    • Azad Sipahi Digital
    • रांची
    • हाई-टेक्नो
      • विज्ञान
      • गैजेट्स
      • मोबाइल
      • ऑटोमुविट
    • राज्य
      • झारखंड
      • बिहार
      • उत्तर प्रदेश
    • रोचक पोस्ट
    • स्पेशल रिपोर्ट
    • e-Paper
    • Top Story
    • DMCA
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Azad SipahiAzad Sipahi
    • होम
    • झारखंड
      • कोडरमा
      • खलारी
      • खूंटी
      • गढ़वा
      • गिरिडीह
      • गुमला
      • गोड्डा
      • चतरा
      • चाईबासा
      • जमशेदपुर
      • जामताड़ा
      • दुमका
      • देवघर
      • धनबाद
      • पलामू
      • पाकुर
      • बोकारो
      • रांची
      • रामगढ़
      • लातेहार
      • लोहरदगा
      • सरायकेला-खरसावाँ
      • साहिबगंज
      • सिमडेगा
      • हजारीबाग
    • विशेष
    • बिहार
    • उत्तर प्रदेश
    • देश
    • दुनिया
    • राजनीति
    • राज्य
      • मध्य प्रदेश
    • स्पोर्ट्स
      • हॉकी
      • क्रिकेट
      • टेनिस
      • फुटबॉल
      • अन्य खेल
    • YouTube
    • ई-पेपर
    Azad SipahiAzad Sipahi
    Home»देश»मोदी को देनी होगी एक और परीक्षा, चंद्रबाबू और नीतीश को साधना आसान नहीं होगा
    देश

    मोदी को देनी होगी एक और परीक्षा, चंद्रबाबू और नीतीश को साधना आसान नहीं होगा

    adminBy adminJune 5, 2024Updated:June 5, 2024No Comments4 Mins Read
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram LinkedIn Pinterest Email

    -पहली बार गठबंधन की सरकार का करना होगा नेतृत्व
    प्रशांत झा
    रांची। नरेंद्र मोदी ने राजनीतिक जीवन में कई परीक्षाएं दी हैं। गुजरात में भाजपा को अंगद की तरह पैर जमाना हो या देश में शीर्ष स्तर पर भाजपा को ले जाना हो। मोदी ने हर परीक्षा में सफलता हासिल की है। इस बार जब नरेंद्र मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री बनेंगे, तो उनके सामने एक और परीक्षा है। गठबंधन की सरकार चलाना। जदयू प्रमुख नीतीश कुमार और टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू को साधना और साथ लेकर चलना। इस परीक्षा में उनके सामने कई चुनौतियां आयेंगी। वह इन चुनौतियों से कैसे निपटते हैं, यह देखने वाला होगा। क्योंकि मोदी ने जो गारंटी दी है, उनमें कई गारंटियों को पूरा करने के लिए सहयोगियों को मनाना होगा।

    विपक्ष भले ही हार बोले, लेकिन 240 सीट कम नहीं:
    भाजपा के लिए 240 का आंकड़ा 400-पार के दावों के सामने बहुत छोटा दिखता है, लेकिन 1984 के बाद अब तक कभी कांग्रेस या गैर-भाजपा पार्टियों ने इतनी सीटें हासिल नहीं कर पायी हैं। ये 1984 के बाद किसी भी गैर-भाजपा पार्टी की तरफ से हासिल किया गया सबसे अच्छा आंकड़ा है। विपक्षी नेताओं ने भाजपा के बहुमत हासिल नहीं कर पाने को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हार बतायी। वह भी तब, जब भाजपा ने अकेले इतनी सीट हासिल की है, जितनी सीटें विपक्षी इंडिया गठबंधन की सभी पार्टियों ने मिल कर भी हासिल नहीं कर पायी हैं। जबकि हकीकत यह है कि मोदी ने अपने दम पर अकेले भाजपा को उस मुकाम तक पहुंचाया, वह कम नहीं है।

    मोदी को दोतरफा मामला संभालना होगा:
    मोदी अब पहली बार गठबंधन की सरकार चलायेंगे। उनके लिए ये स्थिति बहुत सहज नहीं है, बतौर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने पहले दो कार्यकाल में काफी मजबूत स्थिति में थे। गुजरात में भी मोदी ने मुख्यमंत्री रहते पूर्ण बहुमत की मजबूत सरकार चलायी थी। प्रधानमंत्री के तौर पर भी उन्होंने 10 साल पूर्ण बहुमत की सरकार चलायी। अब खिचड़ी सरकार में उनके सामने दोतरफा चनौती होगी। एक ओर उन्हें मजबूत और नये जोश से लबरेज आक्रामक विपक्ष का सामना करना पड़ेगा, तो दूसरी ओर नीतीश और चंद्रबाबू जैसे सहयोगियों के दबाव से भी पार पाना होगा। ऐसे में जो कठोर निर्णय पहले लेते आये हैं, उनमें समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

    जदयू और टीडीपी का समर्थन जरूरी:
    एनडीए को 293 सीटें मिंली हैं, जो बहुमत के 272 से कहीं अधिक है। चुनाव पूर्व गठबंधन में जदयू और टीडीपी शामिल हैं। जदयू के पास 12 और टीडीपी के पास 16 सीटें हैं। इन दोनों के समर्थन के बिना भाजपा सरकार नहीं बना सकती है। इन दोनों के अलावा छोटे-छोटे दल के रूप में चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी, शिवसेना (शिंदे), जयंत चौधरी की आरएलडी और जेडीएस आदि दलों की भागीदारी है।

    चंद्रबाबू के साथ नहीं रहे हैं मधुर संबंध:
    इतिहास को देखें तो पूर्व में टीडीपी नेता चंद्रबाबू नायडू के साथ नरेंद्र मोदी के संबंध बहुत मधुर नहीं रहे हैं। दोनों ने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले एनडीए में वापसी की है। इस बार उन्हें साथ लेकर चलना सबसे बड़ी चनौती होगी। जब गुजरात में साल 2002 में दंगे हुए थे, तो चंद्रबाबू नायडू एनडीए के पहले ऐसे नेता थे, जिन्होंने बतौर मुख्यामंत्री नरेंद्र मोदी के इस्तीफे की मांग की थी। अप्रैल 2002 में टीडीपी ने मोदी के खिलाफ हिंसा को रोकने और सांप्रदायिक दंगों के पीड़ितों को राहत देने में बुरी तरह फेल होने को लेकर एक प्रस्ताव भी पारित किया था। नायडू उस समय मोदी सरकार के खिलाफ सदन में अविश्वास प्रस्ताव लाये थे। ये अविश्वास प्रस्ताव तो पास नहीं हो पाया, लेकिन अपने 16 सांसदों के साथ एनडीए से निकल गये थे। साल 2018 में चंद्रबाबू नायडू ने आंध्रप्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर एनडीए का साथ छोड़ दिया था।

    नीतीश पर हमेशा रहता सस्पेंस:
    जदयू नीतीश कुमार ने जब साल 2013 में एनडीए छोड़ी, तो उसकी वजह नरेंद्र मोदी ही थे। तब भाजपा ने नरेंद्र मोदी को अपने चुनावी अभियान का प्रमुख ही बनाया था। वह शुरू में अकेले फिर 2015 में राजद के साथ चले गये थे। दो साल 2017 में नीतीश फिर एनडीए में आ गये। 2019 के लोकसभा चुनाव में बिहार की 40 में से 39 सीटों पर एनडीए को जीत मिली थी। 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार की जदयू बिहार में तीसरे नंबर की पार्टी बनी, लेकिन एनडीए की सरकार में वे मुख्यमंत्री बने। फिर 2022 में नीतीश राजद के साथ आ गये। लेकिन इस साल जनवरी में वह एक बार फिर पाला बदल बीजेपी के साथ आ गये। नीतीश कुमार का गठबंधन बदलना भारत की राजनीति में ऐसी प्रक्रिया बन गयी है, जो हैरान नहीं करती, लेकिन सस्पेंस बरकरार रहता है।

    Share. Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Articleभाजपा की जीत में ओबीसी मोर्चा का अहम रोल
    Next Article झारखंडी जनता की आवाज बनेंगे सांसद: राजेश
    admin

      Related Posts

      अहमदाबाद शहर में कोरोना से पहली मौत, पिछले 24 घंटे में 55 नए केस

      June 2, 2025

      राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने तेलंगाना के स्थापना दिवस पर दी बधाई

      June 2, 2025

      प्रधानमंत्री मोदी आज वैश्विक विमानन सीईओ को करेंगे संबोधित

      June 2, 2025
      Add A Comment

      Comments are closed.

      Recent Posts
      • विश्व साइकिल दिवस पर मतदाता जागरूकता साइकिल रैली का आयोजन
      • बिहार के सीवान में आंधी-तूफान से तबाही,सात लाेगाें की माैत, अनुग्रह राशि की घोषणा
      • हॉकी इंडिया चैंपियनशिप के लिए ट्रायल 14 जून को
      • पूर्व जिला परिषद अध्यक्ष अनीता सुंभूरुई नहीं रहीं, शोक की लहर
      • 19 जून को रांची को मिलेगा पहला एलिवेटेड कॉरिडोर, रातू रोड को मिलेगा जाम से निजात
      Read ePaper

      City Edition

      Follow up on twitter
      Tweets by azad_sipahi
      Facebook X (Twitter) Instagram Pinterest
      © 2025 AzadSipahi. Designed by Microvalley Infotech Pvt Ltd.

      Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.

      Go to mobile version