विशेष
‘मेरा बाप चारा चोर’ से लेकर ‘नेशनल दामाद अलायंस’ जैसे नारे
कटाक्षों और निजी हमलों से भरे पोस्टरों से माहौल हो रहा खराब
पार्टियों के बीच चल रही है एक-दूसरे को नीचा दिखाने की होड़

नमस्कार। आजाद सिपाही विशेष में आपका स्वागत है। मैं हूं राकेश सिंह।
विधानसभा चुनाव से चार महीने दूर बिहार का राजनीतिक तापमान चढ़ा हुआ है। यह स्वाभाविक भी है, क्योंकि चुनाव से ठीक पहले सियासी गतिविधियां हमेशा उफान पर होती हैं। बिहार में चुनाव नजदीक है, यह इस बात से भी प्रमाणित होता है कि यहां राजनीतिक दलों के बीच पोस्टर वॉर शुरू हो गया है। सड़कों, चौराहों और दीवारों पर पोस्टरों की बाढ़ आयी हुई है। ये पोस्टर न केवल नेताओं पर तीखे कटाक्ष कर रहे हैं, बल्कि निजी और पारिवारिक जीवन को भी चुनावी मुद्दा बना रहे हैं। खासतौर पर एनडीए और महागठबंधन के बीच यह पोस्टर वॉर अब खुलकर सामने आ गया है। इन पोस्टरों में जो नारे लिखे हुए हैं, उनसे माहौल भी खराब हो रहा है। इन पोस्टरों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, लालू प्रसाद यादव, तेजस्वी यादव, चिराग पासवान और जीतन राम मांझी जैसे नेताओं की तस्वीरों के साथ तीखे तंज कसे गये हैं। यह पोस्टर वॉर इस बात का संकेत है कि बिहार की राजनीति अब पारंपरिक रैलियों और प्रेस कांफ्रेंस से आगे बढ़कर विजुअल और मनोवैज्ञानिक युद्ध की ओर बढ़ रही है। अब नेताओं की छवि को सोशल मीडिया और सड़कों पर लगे पोस्टर तय कर रहे हैं। जानकारों के अनुसार बिहार में यह प्रचार का नया तरीका है, जो राजनीति के निम्न स्तर को दर्शाता है। यह पोस्ट वॉर इस बात का गवाह है कि राजनीति अब मुद्दों पर नहीं, रिश्तों और छींटाकशी पर चल रही है। क्या है बिहार के पोस्टर वॉर का नजारा और क्या है इसके पीछे की रणनीति, बता रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह।

बिहार में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होना है। इसे देखते हुए राज्य का सियासी तापमान स्वाभाविक तौर पर चढ़ा हुआ है। इस गर्म राजनीतिक माहौल को हाल में शुरू हुए पोस्टर वॉर ने और भी गर्मा दिया है। बिहार के विभिन्न क्षेत्रों में राजनीतिक पोस्टरों की बाढ़ आयी हुई है।

कैसे शुरू हुआ यह पोस्टर वॉर
पोस्टर वॉर का यह सिलसिला इसी सप्ताह उस समय शुरू हुआ, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने विवादित टिप्पणी की। इस टिप्पणी ने बिहार के सियासी तापमान को बढ़ा दिया और पोस्टर वॉर शुरू हो गया। दीवारें और चौक-चौराहे राजनीतिक कटाक्षों और निजी हमलों से भरे पोस्टरों से भर गये। सत्ताधारी एनडीए और विपक्षी महागठबंधन एक-दूसरे पर व्यक्तिगत और पारिवारिक स्तर पर हमले करने लगे।

क्या कहा तेजस्वी ने
शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बिहार दौरे के बाद तेजस्वी यादव ने प्रेस कांफ्रेंसस में पीएम मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि हमें ‘पॉकेटमार पीएम’ और ‘अचेत सीएम’ नहीं चाहिए। इसके बाद बिहार में सियासत गर्मा गयी।

राजद ने की शुरूआत
पटना की सड़कों पर और राबड़ी आवास के बाहर ‘दामाद आयोग’ को लेकर कई पोस्टर लगाये गय। इन पोस्टरों के जरिये तेजस्वी ने एनडीए पर बड़ा हमला बोला। पोस्टर में पीएम मोदी, सीएम नीतीश, केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी, केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान, मंत्री अशोक चौधरी अपने दामाद सायण कुणाल के साथ, जीतनराम मांझी अपने दामाद देवेंद्र मांझी के साथ और दिवंगत रामविलास पासवान अपने दामाद धनंजय उर्फ मृणाल पासवान के साथ नजर आ रहे हैं। साथ ही पोस्टर में लिखा है ‘एनडीए सरकार दामाद सेवा में सदैव तत्पर’। इसके बाद एक और अन्य पोस्टर में एक बार फिर सभी ससुर-दामाद को दिखाते हुए लिखा गया है ‘पुण्य किये, सेवा किये, तीरथ किये हजार, दामाद सेवा न किया तो ये सब है बेकार’। एक अन्य पोस्टर में एनडीए का फुल फॉर्म बताते हुए लिखा है ‘नेशनल दामादवादी अलायंस’। ये सभी पोस्टर राबड़ी आवास और राजद कार्यालय के बाहर लगाये गये हैं। वहीं, जदयू के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा को एक पोस्टर में घेरा गया है। आरोप लगाया गया है कि उन्होंने अपने परिवार के लोगों को सुप्रीम कोर्ट के पैनल में एडवोकेट बनवाकर ‘परिवारवाद’ को बढ़ावा दिया। पोस्टर में लिखा गया है-‘इन्होंने क्या दिया बिहार को? सब कुछ दिया अपने परिवार को।’ एक और पोस्टर में चिराग पासवान को मोदी को अपना सीना दिखाते हुए दर्शाया गया है और व्यंग्यात्मक टिप्पणी की गयी है-‘बिहार फर्स्ट की जगह जीजा जी फर्स्ट है’। मांझी और अशोक चौधरी को लेकर भी व्यंग्य किया गया- ‘हिम्मत दामाद फर्स्ट, वो भी आरएसएस कोटे से’।

एनडीए का पलटवार
इसके बाद तो पोस्टर वॉर तेज हो गया। एनडीए समर्थकों की ओर से भी पलटवार हुआ। एक पोस्टर में राजद प्रमुख लालू यादव को भैंस पर बैठे और मुंह में चारा चबाते हुए दिखाया गया है। तेजस्वी यादव को उनके आगे बैठे दिखाया गया है। इस पर लिखा गया है-‘मेरा बाप चारा चोर, मुझे वोट दो’। पोस्टर में लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव का कार्टूननुमा चित्र भी लगाया गया है। यह पोस्टर साफ तौर पर चारा घोटाले और वंशवाद के मुद्दे को निशाने पर लेता है। यह पोस्टर सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका है, और समर्थक-विरोधी खेमों में तीखी बहस छिड़ गयी है।

पोस्टरों को लेकर बयानबाजी
इन पोस्टरों को लेकर बयानबाजी भी होने लगी है। एनडीए नेताओं का कहना है कि तेजस्वी यादव को अपने शब्दों पर माफी मांगनी चाहिए, क्योंकि यह प्रधानमंत्री जैसे संवैधानिक पद का अपमान है। वहीं, राजद और विपक्षी दलों का कहना है कि यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है और भाजपा बेवजह मुद्दा भटकाने का प्रयास कर रही है। दूसरी ओर अपने सोशल मीडिया के माध्यम से तेजस्वी यादव ने एक वीडिया साझा कर एनडीए सरकार पर हमला बोला है, जिसमें ‘कवि सम्मेलन में दामाद जी आयोग में पधारो’ बोल दिया गया है। साथ ही तेजस्वी ने लिखा है, भाई साहब जरा गौर से सुनियेगा। वीडियो में काल्पनिक कवि कहते नजर आ रहे हैं कि ‘भूल के सभी विकास के वादों को, हां-हां नेशनल दामाद आयोग की चर्चा हो रही है, भूल कर सभी विकास के वादों को वो कुर्सी पर बैठा रहे हैं अपने अपने दामादों को’। इस वीडियो के माध्यम से भी तेजस्वी ने चिराग पासवान, जीतनराम मांझी और अशोक चौधरी पर निशाना साधा है।

क्या है इन पोस्टरों के पीछे की रणनीति
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह पोस्टर वॉर केवल प्रचार का हिस्सा नहीं, बल्कि एक रणनीतिक दांव है। इससे नेताओं की छवि पर असर डालने की कोशिश की जाती है और मतदाताओं के बीच भ्रम या आकर्षण की स्थिति बनायी जाती है। इस पोस्टर वॉर में जहां एक ओर शिक्षा, स्वास्थ्य, बेरोजगारी जैसे अहम मुद्दों को कम जगह मिल रही है, वहीं पारिवारिक संबंधों, वंशवाद और व्यक्तिगत हमले केंद्र में आ गये हैं। यह चिंता का विषय है, क्योंकि इससे असली समस्याएं चर्चा से गायब हो जाती हैं।

 

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