रांची। मौसीबाड़ी में मेहमानी के बाद महाप्रभु जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र संग सोमवार को अपने घर लौटे। भगवान के दर्शन-पूजन और मुख्य मंदिर पहुंचाने के लिए एक बार फिर से आस्था का सैलाब उमड़ा। मौसीबाड़ी में विग्रहों की पूजा-अर्चना की गयी। विशेष भोग लगा। इसके बाद भगवान ने भक्तों पर आशीष बरसायी। दोपहर बाद मंदिर का पट बंद कर दिया गया। इसके बाद शाम को भगवान के रथ को प्रस्थान किया गया। विष्णु-सहस्त्रनाम पाठ और जगन्नाथ अष्टकम का सस्वर पाठ कर मंगल आरती उतारी गयी। गगनभेदी जयकारों के साथ हजारों श्रद्धालुओं ने भगवान का धर्मरथ खींच कर मुख्य मंदिर पहुंचाया। इसके बाद एक-एक कर श्रीश्री विग्रहों को मुख्य मंदिर में विराजमान किया गया। रात को आरती उतारी गयी। पकवान का खास भोग लगाया गया। मौसीबाड़ी से जैसे ही भगवान का रथ प्रस्थान किया, भक्तों की भीड़ रस्सी खींचने को उमड़ पड़ी। हर कोई रस्सी खींच स्वयं को धन्य मान रहा था। रथ के आगे पारंपरिक वाद्ययंत्रों का वादन करते हुए टोली चल रही थी।
मेला में सुरक्षा के थे पुख्ता इंतजाम
घुरती रथ यात्रा में भी सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम थे। मेला सुरक्षा समिति और पुलिस के जवानों की चप्पे-चप्पे पर नजर थी। व्यवस्था संभालने के साथ भक्तों को हरसंभव सहयोग देने में समिति के युवा और पुलिस के जवान लगे रहे।
मेले में भक्ति के साथ जम कर हुई मस्ती
घुरती रथ मेले में उमंग और मस्ती चहुंओर छायी रही। तरह-तरह के झूले और तमाशे के साथ सर्कस का जहां लोगों ने आनंद उठाया, वहीं विभिन्न तरह की मिठाइयों के साथ चाइनीज फूड और गुपचुप आदि का भी लुत्फ उठाया। कई स्थानों पर छोटानागपुरी गीत-संगीत पर युवक-युवतियां थिरकते नजर आये। मेले में लागों ने जमकर खरीदारी की। छोटानागपुरी परंपरा-संस्कृति और कृषि से संबंधित सामानों के साथ परंपरागत हथियार, मनोरंजन और घरेलू सामानों के स्टॉलों पर भारी भीड़ रही। पारंपरिक हथियार, मांदर, नगाड़ा, मछली पकड़ने का जाल, बंशी, कुंमनी, पिंजरा, बांस के बने छाते की बिक्री खूब हुई।
लाखों का हुआ कारोबार :
धार्मिक और सामाजिक समरसता का प्रतीक ऐतिहासिक रथ यात्रा मेला भक्ति के साथ व्यापार का भी सुअवसर प्रदान करता है। इस बार भी भक्ति के मेले में लाखों का कारोबार हुआ। कृषि उपकरण, पांरपरिक हथियार, घर-गृहस्थी और साज-सज्जा आदि के समानों की जमकर बिक्री तो हुई ही, खाने-पीने, खेल-खिलौनों और तमाशा वालों की चांदी रही।