रांची। शहरी स्थानीय निकायों की लापरवाही की वजह से कई केंद्रीय अनुदानों से राज्य को वंचित होना पड़ रहा है। राज्य सरकार ने 13वें वित्त आयोग अनुदानों की उपयोगिता प्रमाण पत्र समय पर केंद्र को नहीं भेजा। इस कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है। इससे राज्य को 202.04 करोड़ के अनुदान से वंचित होना पड़ रहा है। एक तो राज्य सरकार की ओर से उपयोगिता प्रमाणपत्र समय पर नहीं भेजा गया, दूसरी ओर परफॉर्मेंस अनुदान विमुक्त करने के लिए अनिवार्य शर्तों का भी पालन नहीं किया गया। इसका खामियाजा राज्य की जनता को भुगतना पड़ेगा। उन्हें अब निकायों के माध्यम से होनेवाले विकास कार्य से वंचित रहना पड़ेगा।
विशेष क्षेत्र का अनुदान भी हाथ से फिसला
साल 2011 से 2016 के बीच के शहरी निकायों की नौ सैंपल आॅडिट रिपोर्ट के मुताबिक राज्य सरकार की गड़बड़ियों का भी खुलासा हुआ है। आॅडिट रिपोर्ट में कहा गया है कि उपयोगिता प्रमाणपत्र जमा नहीं करने और योजना से जुड़ी जरूरी शर्तों को पूरा नहीं करने की वजह से ही राज्य सरकार 13वें वित्त आयोग के 202.04 करोड़ से वंचित रह गयी। साथ ही विशेष क्षेत्र के अनुदान के 9.47 करोड़ के लाभ के लिए भी राज्य को आयोग्य करार दे दिया गया।
नगर निकायों के 53 कार्य अधूरे
सरकार द्वारा नगर निकाय के माध्यम से विकास योजनाओं के क्रियान्वयन करने के सरकारी क्रियाकलापों पर कई प्रश्न खड़े हो रहे हैं। इसे सरकार ने दूर करने की कोशिश नहीं की, जिसका नुकसान राज्य की जनता को उठाना पड़ रहा है। चयनित शहरी स्थानीय निकाय में 113.41 करोड़ अनुदानित राशि के 42 कार्य स्वीकृति के बाद भी नहीं हो सके, जबकि 64.5 करोड़ रुपये खर्च होने के बावजूद 126 करोड़ की प्राक्कलित राशि के 53 कार्य अधूरे थे।