Close Menu
Azad SipahiAzad Sipahi
    Facebook X (Twitter) YouTube WhatsApp
    Monday, May 12
    • Jharkhand Top News
    • Azad Sipahi Digital
    • रांची
    • हाई-टेक्नो
      • विज्ञान
      • गैजेट्स
      • मोबाइल
      • ऑटोमुविट
    • राज्य
      • झारखंड
      • बिहार
      • उत्तर प्रदेश
    • रोचक पोस्ट
    • स्पेशल रिपोर्ट
    • e-Paper
    • Top Story
    • DMCA
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Azad SipahiAzad Sipahi
    • होम
    • झारखंड
      • कोडरमा
      • खलारी
      • खूंटी
      • गढ़वा
      • गिरिडीह
      • गुमला
      • गोड्डा
      • चतरा
      • चाईबासा
      • जमशेदपुर
      • जामताड़ा
      • दुमका
      • देवघर
      • धनबाद
      • पलामू
      • पाकुर
      • बोकारो
      • रांची
      • रामगढ़
      • लातेहार
      • लोहरदगा
      • सरायकेला-खरसावाँ
      • साहिबगंज
      • सिमडेगा
      • हजारीबाग
    • विशेष
    • बिहार
    • उत्तर प्रदेश
    • देश
    • दुनिया
    • राजनीति
    • राज्य
      • मध्य प्रदेश
    • स्पोर्ट्स
      • हॉकी
      • क्रिकेट
      • टेनिस
      • फुटबॉल
      • अन्य खेल
    • YouTube
    • ई-पेपर
    Azad SipahiAzad Sipahi
    Home»Top Story»सिंह मेंशन: संजीव और सिद्धार्थ समर्थकों के बीच तनीं बंदूकें
    Top Story

    सिंह मेंशन: संजीव और सिद्धार्थ समर्थकों के बीच तनीं बंदूकें

    azad sipahi deskBy azad sipahi deskJuly 12, 2019Updated:July 12, 2019No Comments9 Mins Read
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram LinkedIn Pinterest Email

    यूनियन पर वर्चस्व को लेकर जोर-आजमाइश, कभी भी हो सकता है खूनखराबा

    पूरे बिहार में धाक जमानेवाले परिवार का बिखर रहा कुनबा
    एक जमाना था, जब सिंह मेंशन के मुखिया सूर्यदेव सिंह की कोयलांचल तो क्या पूरे बिहार में तूती बोलती थी। उनकी सीधी पहुंच दिल्ली दरबार में चंद्रशेखर तक हो गयी थी। मुखिया होने के नाते पूरे परिवार को वह एक मंच पर लेकर आये थे। पूरी शिद्दत से पूरा कुनबा खड़ा किया था। बच्चा सिंह, रामाधीर सिंह आदि एक छत के नीचे एक होकर रह रहे थे। उम्मीद थी कि सूर्यदेव सिंह के पुत्र राजीव रंजन सिंह, संजीव सिंह, शशि सिंह और मनीष सिंह (सिद्धार्थ गौतम) तथा भतीजे नीरज सिंह, एकलव्य सिंह एवं अभिषेक सिंह उनके वंश को अच्छी तरह आगे बढ़ायेंगे, पर ऐसा कुछ होता नजर नहीं आ रहा। इस खानदान पर किसी की नजर लग गयी। एक जमाने में सूर्यदेव सिंह के नजदीकी हुआ करते थे जेएम धर्मपुरी। ये वही धर्मपुरी थे, जिन्होंने मिलकर सूर्यदेव सिंह की यूनियन जनता मजदूर संघ की स्थापना करायी। आज उन्हीं धर्मपुरी का पुत्र रूद्र प्रताप सिंह विधायक संजीव सिंह के छोटे भाई सिद्धार्थ गौतम का सबसे करीबी बना हुआ है। झरिया में हर व्यक्ति की जुबान पर यही चर्चा है कि रूद्रप्रताप सिंह जो कहता है, सिद्धार्थ वही करते हैं।

    संजीव सिंह और सिद्धार्थ के बीच आज जो बंदूकें तनी हैं, उसके मूल में रूदप्रताप सिंह ही है, जो बार-बार सिद्धार्थ को यह कह कर उकसाता है कि कोयला के उठाव पर संजीव सिंह तो हर दिन लाखों कमा रहे हैं, आपको क्या मिलता है-ठप-ठन गोपाला। लोग कहते हैं कि सिद्धार्थ गौतम उसकी बात नहीं टालते। उसके इशारों पर ही चलते हैं। हमेशा एकजुट रहा परिवार आज इस कदर बिखर चुका है कि इस सिंह मेंशन का अब बच्चा सिंह पर भी विश्वास नहीं रहा। वह नीरज सिंह के जीवित रहते-रहते सिंह मेंशन से अलग हो गये और अपनी अलग दुनिया बना ली। दरअसल सूर्यसिंह के निधन के बाद जब तक सिंह मेंशन की कमान राजीव रंजन सिंह के हाथों में थी, तब तक सिंह मेंशन की तरफ किसी को ताकने की हिम्मत भी नहीं होती थी। लेकिन जैसे ही सुरेश सिंह ने ब्रजेश सिंह को मिला कर राजीव रंजन सिंह की हत्या करवा दी, उसके बाद से ही सिंह मेंशन की आंच मद्धिम पड़ने लगी। सूर्यदेव सिंह के परिवार ने चाचा बच्चा सिंह पर विश्वास किया, लेकिन उन्होंने अपने स्वार्थ के कारण परिवार की चिंता नहीं की और अंतत: वह सिंह मेंशन से अलग हो गये। वह सिर्फ सिंह मेंशन से अलग ही नहीं हुए, सिंह मेंशन की एक मजबूत कड़ी नीरज सिंह को भी अलग कर दिया और उसके बाद सिंह मेंशन के संजीव सिंह और नीरज सिंह के बीच जो दुश्मनी पनपी, उसका हश्र सबको पता है। नीरज सिंह की हत्या हो गयी और हत्या के आरोप में चचेरे भाई विधायक संजीव सिंह जेल की हवा खा रहे हैं। सिंह मेंशन परिवार में शशि सिंह की भी धाक थी। लेकिन सुरेश सिंह की हत्या में आरोपी बनने के बाद वह फरार हो गये और संजीव सिंह तथा सिद्धार्थ गौतम के ऊपर सिंह मेंशन की धाक बचाने की जिम्मेदारी थी। संजीव सिंह के जेल जाने के बाद कोयलांचल का बच्चा-बच्चा यह जानता है कि अब उनके और सिद्धार्थ के बीच यूनियन पर वर्चस्व को लेकर 36 का आंकड़ा हो चुका है। सिद्धार्थ गौतम उर्फ मनीष सिंह बगावत पर उतारू हैं। उधर, सूर्यदेव सिंह की पत्नी और इनकी मां कुंती सिंह न चाहते हुए भी यह सब देखने को मजबूर हैं। उनकी आंखों के सामने कुनबा धीरे-धीरे बिखर रहा है। वह चाहकर भी कुछ नहीं कर सकतीं। जिस जेएम धर्मपुरी के साथ मिलकर सूर्यदेव सिंह ने अपने यूनियन की स्थापना की, अपना सिक्का आगे बढ़ाया, रूतबा कमाया। आज उन्हीं का लड़का सिंह मेंशन को मटियामेट करने की पृष्ठभूमि तैयार कर चुका है। दोनों भाई संजीव सिंह और सिद्धार्थ गौतम के बीच दीवार खड़ी हो गयी है।

    जबकि यही मनीष सिंह घर में सबसे छोटा होने के कारण सबके दुलारे थे। कुंती सिंह के अलावा संजीव सिंह भी उन्हें काफी मानते थे। फिर रूद्रप्रताप उनके निकट आये और धीरे-धीरे दृश्य बदलने लगा। उन्होंने सिद्धार्थ गौतम को भड़काना शुरू किया और वह बहकते चले गये। परिवार से दूरियां बढ़ने लगी। अब उनके ऐसे बगावती तेवर हैं कि पूरा परिवार बिखरने के कगार पर आ गया है। दोनों भाई दो छोर पर खड़े हैं। इस बीच संजीव सिंह की पत्नी रागिनी सिंह का राजनीति में आना और भाजपा ज्वाइन करना भी चर्चा में रहा। कहा जाता है कि उनके इस कदम ने दोनों भाइयों के बीच लगी आग में घी का काम किया और दोनों के बीच लगी आग और भड़क गयी है। मामला इतना गंभीर हो गया है कि कभी भी कुछ भी हो सकता है।
    लेवी वसूली है विवाद की जड़
    अब बात करते हैं कि आखिर ऐसी नौबत क्यों आयी। कहा जाता है कि इसके पीछे भी कहीं न कहीं पैसा ही है। लेवी वसूली को लेकर दोनों के बीच तनाव बढ़ रहा है। लोग कहते हैं कि कुछ दिनों पहले एक खदान पर वसूली को लेकर दोनों भाइयों के समर्थक आमने-सामने आ गये थे। गोली बारी की नौबत आ गयी थी। संजीव सिंह ने तो अपने समर्थकों को आदेश तक दे दिया था कि सिद्धार्थ गौतम को छोड़ कोई भी सामने आये, गोली चला देना। परंतु प्रशासन के सजग रहने से मामला संभल गया। मामला संभलने का एक और कारण रहा कि सिद्धार्थ गौतम तनाव वाले स्थान पर नहीं पहुंचे। लोकसभा चुनाव के दौरान भी दोनों के बीच विवाद और गहरा गया, जब संजीव सिंह के लाख मना करने के बावजूद सिद्धार्थ गौतम ने चुनाव लड़ा। किसी के समझाने पर वह नहीं माने। नतीजा यह हुआ कि जेल में रहते हुए संजीव सिंह ने अपनी पत्नी रागिनी सिंह को पीएन सिंह के समर्थन में चुनाव प्रचार करने के लिए उतारा। इसका असर यह रहा कि सिद्धार्थ गौतम को उनकी यूनियन का भी वोट नहीं मिला। सदस्यों की संख्या बीस हजार से अधिक है और वोट दस हजार से भी कम आये।
    रघुकुल में भी बढ़ रहा विवाद
    उधर सिंह मेंशन से छिटक कर अलग हुए बच्चा सिंह और नीरज सिंह ने रघुकुल को स्थापित करने की पुरजोर कोशिश की। लेकिन नीरज सिंह की हत्या के बाद आज रघुकुल में भी शांति नहीं है। नीरज सिंह की हत्या के बाद से एकलव्य सिंह और अभिषेक सिंह की राजनीतिक महत्वाकांक्षा जाग गयी है। कई तरह की खबरें बाहर आ रही हैं कि दोनों भाइयों में विवाद बढ़ रहा है। दोनों ही झरिया से चुनाव लड़ने को लेकर आमने-सामने आ गये हैं। यहां एक खबर यह भी आ रही है कि कुछ लोग नीरज सिंह की पत्नी को झरिया से चुनाव मैदान में उतारना चाहते हैं। ऐसा अगर हुआ, तो एकलव्य और अभिषेक के बीच भी वही होगा, जो संजीव और सिद्धार्थ के बीच हो रहा है।
    कभी सूर्यदेव सिंह का राज था, विरासत को लगा ग्रहण!
    अब बात करते हैं सिंह मेंशन की विरासत की। कोयलांचल में कभी सूर्यदेव सिंह की हनक थी। राजनीति से लेकर समाजसेवा तक में उनकी विशेष पहचान थी। आज भी लोग उनकी विरासत को याद करते हैं। उनकी दबंगई भी जगजाहिर है। इसके बाद सूर्यदेव सिंह के भाई बच्चा सिंह ने राजनीतिक विरासत संभाली। लेकिन जल्द ही उनका स्वार्थ आड़े आ गया और सूर्यदेव सिंह की पत्नी कुंती सिंह ने उनसे वह विरासत छीन ली। बाद में उन्होंने अपने पुत्र संजीव सिंह को वह विरासत सौंप दी। अभी झरिया से वही विधायक हैं, लेकिन जेल में रहने के कारण हो सकता है, भाजपा उन्हें टिकट नहीं दे, इसीलिए उन्होंने अपनी पत्नी रागिनी सिंह को आगे किया है। लेकिन, लगता है सिंह मेंशन की विरासत को ग्रहण लग गया है।
    पंजाब के पहलवान को पछाड़ कर धाक जमायी थी सूर्यदेव सिंह ने
    बताया जाता है कि रोजी-रोजगार की तलाश में कभी खाली हाथ बलिया से धनबाद पहुंचने वाले सूर्यदेव सिंह उस समय चर्चा में आये, जब कोल फील्ड के दंगल में पंजाब के पहलवान को पटकनी दे दी। फिर क्या था, कोलियरी के लोगों की इस नये पहलवान को देख कर बांछें खिल उठीं। इसके बाद कोलियरी मालिकों ने उन्हें अपना नया पहलवान बना लिया। बाद में कोल फील्ड पर उनका राज स्थापित हो गया। बाद में सूर्यदेव सिंह ने अपनी दबंगता से राजनीतिक गलियारे में भी पहचान बना ली। झरिया विधानसभा क्षेत्र उनकी कर्मभूमि बन गयी। सूर्यदेव सिंह झरिया से चार बार विधायक बने। बाद में उनकी विरासत को उनकी पत्नी कुंती सिंह ने संभाला। वह वर्ष 2005 और वर्ष 2009 में विधायक बनीं। इसके बाद वर्ष 2014 में सूर्यदेव सिंह के बेटे संजीव सिंह झरिया के विधायक बने। उन्होंने अपने ही चचेरे भाई कांग्रेस के उम्मीदवार नीरज सिंह को पराजित किया।
    संजीव सिंह ने चाचा बच्चा सिंह पर लगाया साजिश का आरोप
    खास बात यह कि संजीव सिंह ने अपने बड़े भाई राजीव रंजन ​की मौत के बाद उनकी पत्नी रागिनी से शादी की थी। संजीव ने उनसे कोर्ट मौरिज की थी। इसमें परिवार के कुछ खास लोगों ने ही शिरकत की थी। उन्होंने कहा था कि भाभी की अभी पूरी लाइफ बची है, उनकी जिंदगी कैसे कटेगी। विधायक संजीव सिंह और रागिनी की शादी में राजीव रंजन की बेटी साक्षी भी शामिल हुई थीं। गौरतलब है कि संजीव सिंह की सुरक्षा में 25 बॉडीगार्ड हमेशा साथ चलते थे। जेल जाने से पहले विधायक संजीव सिंह ने बड़े ही भावुक होकर मीडिया को बताया था कि उनके चाचा मेरे पिता सूर्यदेव सिंह की विरासत को खत्म करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि मेरे चाचाजी बच्चा सिंह समेत जो लोग मेरे दुश्मन बने हुए हैं, वो लोग किस तरह से कर रहे हैं, किसी से छिपा नहीं है। मेरे पिता स्व सूर्यदेव सिंह की संपत्ति और विरासत को खत्म करना चाहते हैं। अपने चाचा की ही साजिश का शिकार हुआ हूं। कहते हैं, उगनेवाला सूर्य अस्त होता ही है। लेकिन अगर समय से वह अस्त हो तो सुखद होता है और असमय अगर अंधेरा छा जाये, तो बुरा होता है। सिंह मेंशन का अंत उस अंधेरे के समान ही है, जहां से परिवार के लोगों का रास्ता सिर्फ और सिर्फ बर्बादी की तरफ जा रहा है। अब उस परिवार में एक भी ऐसा खेवनहार नहीं बचा है, जो इस बर्बादी को रोक सके।

    Share. Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Articleदो बच्चों की हत्या कर शव को दफनाया
    Next Article झारखंड में खुलेगी आदिवासी यूनिवर्सिटी
    azad sipahi desk

      Related Posts

      भारत के सुदर्शन चक्र ने पाकिस्तान के नापाक मंसूबों को तबाह कर दिया

      May 11, 2025

      बाबूलाल मरांडी ने विभिन्न मुद्दों पर की हेमंत सरकार की आलोचना

      May 11, 2025

      झारखंड कैडर के 4 आईपीएस अधिकारियों को आईजी रैंक के पैनल में किया गया शामिल

      May 11, 2025
      Add A Comment

      Comments are closed.

      Recent Posts
      • प्रधानमंत्री के नेतृत्व में भारत ने अंतरराष्ट्रीय जगत में अपना परचम लहराया : लाजवंती झा
      • दुश्मन के रडार से बचकर सटीक निशाना साध सकती है ब्रह्मोस, रफ्तार ध्वनि की गति से तीन गुना तेज
      • कूटनीतिक जीत: आतंकवाद पर भारत ने खींची स्थायी रेखा, अपने उद्देश्य में भारत सफल, पाकिस्तान की फजीहत
      • भारत के सुदर्शन चक्र ने पाकिस्तान के नापाक मंसूबों को तबाह कर दिया
      • वायुसेना का बयान- ‘ऑपरेशन सिंदूर’ अभी भी जारी, जल्द दी जाएगी ब्रीफिंग
      Read ePaper

      City Edition

      Follow up on twitter
      Tweets by azad_sipahi
      Facebook X (Twitter) Instagram Pinterest
      © 2025 AzadSipahi. Designed by Microvalley Infotech Pvt Ltd.

      Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.

      Go to mobile version