रांची। मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि पर्यटक या श्रद्धालु पारसनाथ के दर्शन के लिए अब पैदल या डोली के जरिये ही मधुबन जा सकेंगे। मोटर साइकिल या अन्य वाहन से दर्शन के लिए ऊपर जाना प्रतिबंधित रहेगा। वृद्ध एवं दिव्यांग पर्यटकों या श्रद्धालुओं को अत्यंत विशेष परिस्थिति में ही जिला प्रशासन वाहन के उपयोग की अनुमति देगा। इसे तत्काल प्रभाव से लागू किया जाये। जनजातीय संस्कृति के संवर्धन एवं विकास के लिए मरांगबुरू का मंदिर भी पर्यटन प्लान के तहत बनाया जायेगा। जैन धर्म एवं स्थानीय लोक सांस्कृतिक परंपराओं का यह अनुपम उदाहरण होगा। मुख्यमंत्री ने उक्त बातें शुक्रवार को पारसनाथ पहाड़ी पर स्थित जल मंदिर के जीर्णोद्धार सहित समग्र पर्यटकीय विकास से संबंधित बैठक में समीक्षा करते हुए कहीं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी पक्ष अपने-अपने दायित्वों का एक टाइमलाइन के तहत निर्वहन करें। उन्होंने कहा कि वन विभाग से संबंधित मामले 15 सितंबर 2018 तक भेज दिये जायें। उन्होंने यह भी कहा कि तीन माह के अंदर वन विभाग सभी पहलुओं की जांच करते हुए अपना क्लीयरेंस दे। स्थानीय नागरिक, जिनकी जीविका पर्यटकों से जुड़ी हुई है, उनका खास ध्यान रखा जाये। पालकी की अनिवार्यता से इससे जुड़े लोगों का रोजगार संकट भी खत्म होगा। पारसनाथ पहाड़ी की नैसर्गिकता और तमाम जल स्रोतों का संरक्षण करते हुए विकास होगा। बैठक में मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव डॉ सुनील कुमार वर्णवाल, भूमि राजस्व सचिव कमल किशोर सोन, पेयजल स्वच्छता सचिव आराधना पटनायक, प्रधान मुख्य वन संरक्षक संजय कुमार, पर्यटन सचिव मनीष रंजन, प्रधान मुख्य वन संरक्षक, वन्य प्राणी लाल रत्नाकर सिंह, मुख्य वन संरक्षक आनंद मोहन शर्मा, गिरिडीह के उपायुक्त मनोज कुमार, एसपी गिरिडीह सुरेंद्र कुमार झा आदि उपस्थित थे। बैठक बहुत सार्थक रही।
अब पैदल और पालकी से ही पारसनाथ का दर्शन कर सकेंगे पर्यटक : रघुवर
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